Gujarat Election: जानिए गुजरात में कितनी महिला उम्मीदवार जीतती रही हैं ? इमाम के बयान पर हो रहा है विवाद
गुजरात में महिला उम्मीदवारों के प्रति वोटरों का उत्साह फीका नजर आता है। शायद यही वजह है कि 1962 से सिर्फ 111 महिलाएं ही एमएलए बनी हैं। तीन चुनावों में अधिकतम 16 महिलाएं चुनाव जीती हैं। इस बार 138 मैदान में हैं।
गुजरात में 1962 से सिर्फ 111 महिला विधायक
अहमदाबाद जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती शब्बीर अहमद सिद्दीकी का महिला जनप्रतिनिधिओं से संबंधित बयान पर तूफान मचा हुआ है। लेकिन, यदि हम 1962 से गुजरात में हुए विधानसभा चुनावों का रिकॉर्ड देखें तो इस मामले में गुजराती वोटरों का रूख बहुत ही सक्रिय नहीं रहा है। न्यूज18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1962 से हुए गुजरात विधानसभा चुनाव का रिकॉर्ड ये है कि राज्य के मतदाताओं ने सिर्फ 111 महिला प्रतिधिनिधियों को ही असंबेली तक पहुंचाया है। यही नहीं, चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक ऐसा कभी नहीं हुआ है कि सदन में विधायकों की कुल संख्या के मुकाबले महिला एमएलए की संख्या ने 10 फीसदी का आंकड़ा पार किया हो।
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एक बार में अधिकतम 16 महिलाएं एमएलए बनीं
2017 में कुल 13 महिलाएं विधानसभा का चुनाव जीतकर गुजरात विधानसभा तक पहुंची थीं। यह संख्या 1962 के पहले गुजरात विधानसभा चुनाव से सिर्फ 2 से तो ज्यादा थी। क्योंकि, तब सिर्फ 11 महिलाएं ही विजयी हो पाई थीं। यदि 1962 से लेकर 2017 के विधानसभा चुनाव के आंकड़े देखें तो सबसे कम महिला विधायकों की संख्या 1 रही है और सबसे ज्यादा 16 विधायक चुनी जा सकी हैं। मसलन, 1972 में सिर्फ 1 महिला चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंची थी, जबकि तीन चुनावों में- यानि 1985, 2007 और 2012 में 16 महिलाएं जनता की प्रतिनिधि बन पाई थीं।
जामा मस्जिद के इमाम के बयान पर हो रहा है विवाद
गौरतलब है कि रविवार को ही अहमदाबाद जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती शब्बीर अहमद सिद्दिकी ने यह कहकर बड़ा सियासी बवंडर खड़ा कर दिया है कि इस्लाम महिलाओं को चुनाव लड़ने या राजनीति में भागीदारी करने की इजाजत नहीं देता। उन्होंने यह कहकर भारी विवाद खड़ा कर दिया है कि क्या पुरुष नहीं हैं, जो महिलाओं को टिकट दिया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि अगर औरतों को इस तरह से लोगों के सामने आना जायज रहता तो मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए आने से रोका नहीं जाता। इमाम का बयान उस दिन आया, जिसके अगले दिन सुबह से अहमदाबाद में मतदान होना था।
महिला उम्मीदवारों के प्रति वोटरों में बेरुखी
एक दिलचस्प बात ये है गुजरात में विधासभा के अंदर महिलाओं का प्रतिनिधित्व तो नहीं बढ़ रहा है, लेकिन चुनाव लड़ने में उनकी तादाद कम ही सही, बढ़ी जरूर है। मसलन, 1962 में जहां सिर्फ 19 महिलाएं चुनाव लड़ी थीं, तो 2017 में यह संख्या बढ़कर 126 तक पहुंच गई थी। लेकिन, सिर्फ महिला उम्मीदवार ही बढ़ती रहीं, मतदाताओं का उनके प्रति बेरुखी जारी ही रहा। क्योंकि, 1962 में सिर्फ 3 महिला प्रताशियों की जमानतें जब्त हुई थी लेकिन 2017 में ऐसों की तादाद बढ़कर 104 तक पहुंच गई।
आनंदीबेन पटेल बनीं एकमात्र महिला सीएम
इसी तरह गुजरात को अबतक सिर्फ एक ही महिला मुख्यमंत्री मिली हैं। उत्तर प्रदेश की मौजूदा राज्यपाल आनंदीबेन पटेल 2014 से लेकर 2016 तक राज्य की सीएम थीं। उन्हें यह बड़ी जिम्मेदारी तब मिली थी, जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के लिए इस्तीफा दे दिया था। आनंदीबेन पटेल के कार्यकाल में ही गुजरात ने पाटीदारों का ऐतिसाहिक आंदोलन देखा। बाद में पटेल गवर्नर बनकर गांधीनगर से लखनऊ चली गईं।
इस बार कुल 138 महिला उम्मीदवार
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के आंकड़ों के मुताबिक 2022 के विधानसभा चुनाव में गुजरात में 138 महिला उम्मीदवार चुनावी किस्मत आजमा रही हैं, लेकिन फिर भी उनकी संख्या सिर्फ 9 फीसदी पर ही सीमित रह गई है। राज्य में इस बार कुल 182 सीटों पर 1,621 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। सबसे ज्यादा बीजेपी ने महिलाओं (17 या 9%) को टिकट दिया है। फिर कांग्रेस (13 या 7%) और उसके बाद आम आदमी पार्टी है, जिसने 4 फीसदी महिलाओं को उतारा है। अब 8 दिसंबर को मतगणना के बाद पता चलेगा कि कितनी महिलाएं जीतकर विधासभा तक पहुंचती हैं।