चांद से टकराया रहस्यमयी रॉकेट, और एक की जगह बन गये दो बड़े गड्ढे, NASA के साइंटिस्ट हैरान
खगोलविदों ने पुष्टि की है, कि दुर्घटनाग्रस्त वस्तु एक रॉकेट का दूसरा चरण का हिस्सा था और बेतरतीब ढंग से टकराने वाली वस्तु की पहचान सबसे पहले बिल ग्रे ने की थी।
वॉशिंगटन, जून 28: अंतरिक्ष की दुनिया में बहुत कुछ ऐसा होता रहता है, जो वैज्ञानिकों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं होते हैं और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिक उस वक्त चकरा गये, जब उन्होंने चांद से आई एक तस्वीर को देखा। ये तस्वीर चांद पर चार मार्च को क्रैश कर गये एक रॉकेट की थी, लेकिन इस क्रैश की वजह से चांद के सतह पर एक डबल क्रेटर, यानि दो गड्ढे बन गये हैं, जिसे देखकर वैज्ञानिक आश्चर्य में हैं।
लूनर टोही ऑर्बिटर को मिला गड्ढा
नासा के मुताबिक, नासा के लूनर टोही ऑर्बिटर ने हाल ही में चंद्रमा से बेकाबू होकर टकरा गये एक रॉकेट की वजह से बने दो गड्ढों को देखा, जबकि वहां सिर्फ एक ही गड्ढा होना चाहिए था। ये रॉकेट मार्च में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। लूनर टोही ऑर्बिटर द्वारा खींची गई इस तस्वीर में दिख रहा है, कि ये गड्ढे अगल-बगल में ही बने हुए हैं, लिहाजा नासा वैज्ञानिकों के लिए ये काफी हैरान करने वाला है।
काफी बड़े हैं दोनों गड्ढ़े
नासा की रिपोर्ट के मुताबिक, अगल बगल में बने ये दोनों क्रेटर, यानि गड्ढे लगभग 18-मीटर और 16-मीटर व्यास के हैं और विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि दो ऐसे क्रेटर के बनने से संकेत मिलता है कि रॉकेट का द्रव्यमान अनुमान से बड़ा रहा होगा। तस्वीरें जारी करते हुए नासा ने एक बयान में कहा कि, 'आमतौर पर, एक भेजा गया रॉकेट में मोटर के अंत में द्रव्यमान केंद्रित होता है और रॉकेट के बाकी चरण में मुख्य रूप से एक खाली ईंधन टैंक होता है। चूंकि रॉकेट बॉडी की उत्पत्ति अनिश्चित रहती है, लिहाजा क्रेटर की दोहरी प्रकृति इसकी पहचान का संकेत दे सकती है'।
चांद पर कहां हैं ये क्रेटर
ये दोनों क्रेटर 5.226 डिग्री उत्तर, 234.486 डिग्री पूर्व में, चंद्रमा पर 1,863 मीटर की ऊंचाई पर एक जटिल क्षेत्र में पाया गया है, जहां ओरिएंटेल बेसिन घटना से इजेक्टा का प्रभाव हर्ट्ज़स्प्रंग बेसिन के 536 किलोमीटर व्यास वाले उत्तर-पूर्वी रिम पर पड़ता है। नासा ने कहा कि, 'चंद्रमा पर किसी अन्य रॉकेट बॉडी प्रभाव ने डबल क्रेटर नहीं बनाए। अपोलो-4 एसआईवी-बी क्रेटर रूपरेखा में कुछ अनियमित थे (अपोलोस 13, 14, 15, 17) और प्रत्येक डबल क्रेटर काफी बड़े (35 मीटर से अधिक, लगभग 38 गज) थे। मिस्ट्री रॉकेट बॉडी के डबल क्रेटर की अधिकतम चौड़ाई (29 मीटर, लगभग 31.7 गज) एस-आईवीबी के पास थी। नासा ने कहा कि, फिलहाल दुनिया की कोई भी एजेंसी स्पेस मलबे को ट्रैक नहीं करती है, लिहाजा इसके बारे में सटीक जानकारी मिलना काफी मुश्किल है।
पता लगाने में लगे चार महीने
दुर्घटनास्थल का पता लगाने में लगभग चार महीने लग गए और लिहाजा क्रेटर का पता भी नहीं चल पाया था। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि जिस जगह पर ये रॉकेट टकराया था, वो चंद्रमा के सबसे दूर इलाके में था, जो हमें पृथ्वी से देखने को नहीं मिलता है और इसमें कई प्रभाव वाले क्रेटर के साथ एक ऊबड़-खाबड़ इलाका है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इजेक्शन से चंद्र भूविज्ञान का अध्ययन करने का रास्ता खुलेगा और यह प्रभाव चंद्रमा की सतह के गठन और दूर की तरफ के भूविज्ञान के बारे में कुछ नई जानकारियां देगा।
चीन का है टकराने वाला रॉकेट
खगोलविदों ने पुष्टि की है, कि दुर्घटनाग्रस्त वस्तु एक रॉकेट का दूसरा चरण का हिस्सा था और बेतरतीब ढंग से टकराने वाली वस्तु की पहचान सबसे पहले बिल ग्रे ने की थी, जो पृथ्वी के पास की वस्तुओं को ट्रैक करने के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोजेक्ट प्लूटो सॉफ्टवेयर का काम देखते हैं। बिल ग्रे ने कहा है कि, जो रॉकेट टकराया है, वो चीन के लुनर मिशन का हिस्सा है। बचा हुआ रॉकेट 4 मार्च को 9,300 किलोमीटर प्रति घंटे की चौंका देने वाली गति से चंद्रमा के सुदूर हिस्से में गिर गया था। चंद्रमा में पहले से ही अनगिनत क्रेटर हैं, जिनकी लंबाई 1,600 मील (2,500 किलोमीटर) तक है। बहुत कम या कोई वास्तविक वातावरण नहीं होने के कारण, चंद्रमा पर उल्काओं और क्षुद्रग्रहों की निरंतर बारिश होती रहती है। वहीं, कई बार अंतरिक्षयान भी चंद्रमा से टकराते हं।
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