‘यासीन मलिक के शरीर को कैद कर सकते हैं, विचार नहीं’, यासीन को मिली उम्रकैद पर बोला पाकिस्तान
आतंकी यासीन मलिक के गुनाह कबूल करने के बाद भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और बिलावल भुट्टो को इससे चैन नहीं मिल पाया है।
इस्लामाबाद, 25 मईः टेरर फंडिंग केस में आतंकी यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। लेकिन यह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को नागवार गुजर रहा है। इस फैसले के बाद से ही पाकिस्तानी नेताओं की नाजायज टिप्पणियां आने लगी हैं। आतंकी यासीन मलिक के गुनाह कबूल करने के बाद भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और बिलावल भुट्टो को इससे चैन नहीं मिल पाया है। उन्होंने यासीन मलिक के उम्रकैद के फैसले को भारतीय लोकतंत्र और उसकी न्याय प्रणाली के लिए काला दिन बताया है।
बिलबिला उठे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने मंगलवार को ट्विटर पर लिखा कि आज का दिन भारतीय लोकतंत्र और उसकी न्याय प्रणाली के लिए काला दिन है। भारत यासीन मलिक को शारीरिक रूप से कैद कर सकता है लेकिन वह कभी उसके विचारों को कैद नहीं कर सकता। उन्होंने आगे लिखा कि दुनिया को जम्मू-कश्मीर में सियासी कैदियों के साथ भारत सरकार के रवैये पर ध्यान देना चाहिए। प्रमुख कश्मीरी नेता यासीन मलिक को फर्जी आतंकवाद के आऱोपों में दोषी ठहराना भारत के मानवाधिकारों के उल्लंघन की आलोचना करने की वाली आवाजों को चुप कराने की कोशिश है। मोदी सरकार को इसके लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए।
नए विदेश मंत्री बिलावल के भी फूटे बोल
वहीं पाकिस्तान के नए विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने ट्विटर पर लिखा कि हम इस नकली मुकदमे में हुर्रियत नेता यासीन मलिक को अन्यायपूर्ण सजा सुनाए जाने की कड़ी निंदा करते हैं। भारत कभी भी कश्मीरियों की आजादी और आत्मनिर्णय की आवाज को चुप नहीं करा सकता। पाकिस्तान कश्मीरी भाइयों और बहनों के साथ खड़ा है, उनके न्यायपूर्ण संघर्ष में हर संभव सहयोग देता रहेगा।
आफरीदी ने भी की टिप्पणी
वहीं पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने एक ट्वीट कर कहा कि यह शर्मनाक है। भारतीय न्यायालय द्वारा न्यायिक आतंकवाद फैलाया जा रहा है। इसे पहले कि मोदी खुद को फंसीवादी में बदल लें दुनिया को भारत के सामने उठकर खड़ा होना पड़ेगा। यासिन मलिक को लेकर पूर्व क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने भी ट्वीट किया। शाहिद अफरीदी ने लिखा कि भारत उन आवाजों को दबाने की कोशिश कर रहा है जो कि मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ उठ रही हैं।