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बर्फ के नीचे छिपा बड़ा 'खजाना', तलाश के लिए अरबपतियों का ग्रुप पानी की तरह बहा रहा पैसा

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ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, जिस वजह से ग्लेशियर भी तेजी से पिघल रहे। इसका सबसे ज्यादा असर ग्रीनलैंड पर पड़ रहा, जो क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का 13वां बड़ा देश है। सितंबर में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक इस देश की आबादी महज 56,990 है, जबकि यहां का 20 लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा इलाका चट्टान और बर्फ से ढका हुआ है। ऐसे में यहां पर ग्लोबल वार्मिंग का बहुत बुरा असर हो रहा। इस बीच अरबपतियों के एक ग्रुप ने वहां पर एक खास प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसकी खूब चर्चा हो रही है।

बिल गेट्स भी शामिल

बिल गेट्स भी शामिल

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ग्रीनलैंड पर दुनिया के कई अरबपतियों की नजर है, जिसमें जेफ बेजोस, बिल गेट्स, माइकल ब्लूमबर्ग आदि का नाम शामिल है। ये सभी ग्रीनलैंड के स्पेशल प्रोजेक्ट पर पानी की तरह पैसा बहा रहे। अगर ये प्रोजेक्ट सफल रहा तो इन अरबपतियों को तो फायदा होगा ही, साथ ही लोगों को भी उन बहुमूल्य पदार्थों का लाभ मिलेगा।

बहुमूल्य पदार्थों का भंडार

बहुमूल्य पदार्थों का भंडार

दरअसल अरबपतियों को लगता है कि ग्रीनलैंड के डिस्को आइलैंड और नुसुआक पेनिनसुला में जो घाटिया हैं, उनके नीचे बहुमूल्य पदार्थों का भंडार है। इससे जुड़े कुछ सबूत भी उनके हाथ लगे हैं। इस बहुमूल्य पदार्थों में निकल और कोबाल्ट भी शामिल है। अगर इस भंडार का पता चल गया, तो दुनिया में एक नई क्रांति आ जाएगी।

क्या है निकल-कोबाल्ट का इस्तेमाल?

क्या है निकल-कोबाल्ट का इस्तेमाल?

निकल बहुत की खास मिश्र धातु है। ये पूरी तरह से जंक प्रतिरोधी होती है, ऐसे में इसका उपयोग अन्य धातुओं पर सुरक्षा परत (प्रोटेक्टिव लेयर) बनाने में भी किया जाता है। इसके अलावा कॉपर निकल मिश्र धातु का उपयोग समुद्री पानी को शुद्ध करने वाले सयंत्र बनाने के लिए होता है। वहीं कोबाल्ट का उपयोग जेट इंजान और टरबाइन जैसे चीजों को बनाने में किया जाता है। दावा किया जा रहा कि ग्रीनलैंड में इतना ज्यादा निकल और कोबाल्ट है कि उससे अरबों इलेक्ट्रिक गाड़ियां बन सकती हैं।

ट्रांसमीटर के साथ हेलीकॉप्टर तैनात

ट्रांसमीटर के साथ हेलीकॉप्टर तैनात

मामले में कोबाल्ट मेटल्स के सीईओ कर्ट हाउस ने बताया कि उन्होंने हाईटेक हेलीकॉप्टर्स को ट्रांसमीटर के साथ उस इलाके में तैनात किया है, जो लगातार सर्वे कर रहे। अभी तक ये प्रोजेक्ट सही जा रहा। अगर ये भंडार मिलता है, तो ये निकल और कोबाल्ट का सबसे बड़ा भंडार होगा। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों और बड़ी-बड़ी बैटरियों को बनाने में मदद मिलेगी।

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आपदा को अवसर में बदला

आपदा को अवसर में बदला

एक्सपर्ट्स के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्रीनलैंड की बर्फ तेजी से पिघल रही। जिस वजह से गर्मियों में कई इलाकों से बर्फ गायब हो गई। इस अवसर को अरबपतियों के ग्रुप ने पकड़ लिया और उन्होंने तुरंत कोबाल्ट मेटल्स की फंडिंग शुरू की। उम्मीद जताई जा रही कि जल्द ही उन्हें बड़ी सफलता मिलेगी।

English summary
Nickel-cobalt reserves in Greenland billionaires started search
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