'भारत के प्रति कृतज्ञता दिखाएं', जासूसी कांड पर इस देश के PM ने विपक्षी नेताओं से क्यों कहा ऐसा?
टेलीकॉम कंपनी के सीईओ शेरी सिंह के इस्तीफे के बाद मॉरीशस में राजनीतिक तूफान मच गया है और मॉरीशस में विपक्षी दल वहां की सरकार के खिलाफ एकजुट हो गये हैं और प्रधानमंत्री जगन्नाथ के ऊपर देशद्रोह का आरोप लगा रहे हैं।
पोर्ट लुईस, जुलाई 30: मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने भारत के प्रति संदेह रखने वाले अपने ही देश के विपक्षी नेताओं की जमकर खिंचाई की है और कहा है कि, देश के नेताओं को भारत के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए और नेताओं के मन में भारत को लेकर आदर और सम्मान होना चाहिए। दरअसल, मॉरीशस के विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है, कि मॉरीशस के अगालेगा द्वीप भारत ने एक सैन्य अड्डे का निर्माण किया है, वहीं, मॉरीशस ने एक चीन की एक जासूसी कंपनी को लेकर भी भारत को बीच में लाने की कोशिश की गई, जिसको लेकर देश के प्रधानमंत्री ने विपक्षी नेताओं को जमकर फटकार लगाई है।
मॉरीशस में भारत पर हंगामा क्यों?
हिंद महासागर में स्थिति अफ्रीकी देश मॉरीशस में भारत को लेकर उस वक्त जासूसी विवाद शुरू हुआ है, जब पिछले हफ्ते, मॉरीशस टेलीकॉम के पूर्व सीईओ शेरी सिंह के इस्तीफा देने के बाद भारत एक दुर्भावनापूर्ण खेल में फंस गया था। शेरी सिंह ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था, कि प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने उनपर दबाव डाला, कि वो भारत की एक टीम को मॉरीशस की टेलीकॉम कंपनी के केन्द्र में ले जाए, जहां भारतीय टीम को जासूस डिवाइस इंस्टाल करना था।
सरकार को घेर रहा है विपक्ष
हालांकि, टेलीकॉम कंपनी के सीईओ शेरी सिंह के इस्तीफे के बाद मॉरीशस में राजनीतिक तूफान मच गया है और मॉरीशस में विपक्षी दल वहां की सरकार के खिलाफ एकजुट हो गये हैं और प्रधानमंत्री जगन्नाथ के ऊपर देशद्रोह का आरोप लगाते हुए उनसे इस्तीफा मांग रहे हैं। हालांकि, भारत ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने विपक्षी नेताओं को फटकार लगाते हुए भारत के प्रति सम्मान दिखाने को कहा है। गुरुवार को मॉरीशस की संसद में प्रश्नकाल के दौरान जगन्नाथ ने कहा कि, "हम जानते हैं कि भारत हमारी अर्थव्यवस्था को विकसित करने, बुनियादी ढांचे के उत्थान करने और आधुनिकीकरण, सामुदायिक सुविधाओं में सुधार और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करने के लिए, और हमारी आजादी से लेकर हर सहायता देने तक...भारत हमेशा से मॉरीशस के नागरिकों के साथ रहा है, लिहाजा भारत के प्रति मॉरीशस को कृतज्ञ होना चाहिए'।
'भारत के साथ हमारे विशेष संबंध'
मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने कहा कि, "यह भारत के साथ हमारे विशेष संबंधों और साझेदारी के कारण संभव हुआ है, जिसे हमारी सरकार द्वारा समय के साथ और मजबूत किया गया है। हमें वास्तविक साझेदारी पर संदेह करने के बजाय भारत के प्रति कृतज्ञता दिखानी चाहिए। मॉरीशस के प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता जेवियर ल्यूक डुवाल द्वारा अगालेगा द्वीप पर "विदेशी सैन्य कर्मियों" की उपस्थिति से पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे। डुवाल ने प्रधानमंत्री से पनडुब्बी रोधी विमान पोसीडॉन बी737 को वहां तैनात करने की कथित योजना के बारे में भी पूछा। वहीं, मॉरीशस के मुख्य विपक्षी नेता जेवियर ल्यूक डुवाल ने कहा कि, वो भारत पर नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री पर संदेह कर रहे हैं।
2015 में मॉरीशस गये थे पीएम मोदी
आपको बता दें कि, साल 2015 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंद महासागर में स्थित रणनीतिक तौर पर काफी अहम और करीबी पड़ोसी द्वीप राष्ट्र की यात्रा के दौरान, भारत और मॉरीशस, अगालेगा द्वीप में समुद्री और हवाई संपर्क विकसित करने के लिए एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि, अगालेगा द्वीप विकसित करने से "बाहरी द्वीप में अपने हितों की रक्षा करने में मॉरीशस की रक्षा बलों की क्षमताओं में वृद्धि होगी"। हालांकि, भारत और मॉरीशस के बीच हुए इस डील को हिंद महासागर में चीन को रोकने की दिशा में किया गया काफी महत्वपूर्ण कदम करार दिया गया। दरअसल, चीन जिस 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' का निर्माण करना चाहता है, उसमें हिंद महासागर और मॉरीशस के रास्ते भी शामिल हैं और अपनी इस योजना के तहत चीन बंदरगाहों का जाल बिछाना चाहता है, लिहाजा भारत और मॉरीशस के बीच हुआ अगालेगा द्वीप समझौता चीन के लिए बहुत बड़ा झटका माना गया।
क्या भारत बना रहा है अगालेगा में सैन्य अड्डा?
वहीं, ये मुद्दा विवादास्पद बन गया और कई लोगों ने आरोप लगाया, भारत मूल रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हिंद महासागर योजना के तहत 'क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर)' के तहत चीन पर नजर रखने के लिए अगालेगा द्वीप में एक सैन्य अड्डा बना रहा है। हालांकि, गुरुवार को पीएम जगन्नाथ ने एक बार फिर से द्वीप के सैन्य अड्डे में तब्दील होने के आरोपों से इनकार किया। मॉरीशस के पीएम ने यह भी कहा कि, 'भारत के साथ हुए गोपनीय समझौते के तहत विवरण को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा, लेकिन इस परियोजना के लिए भारत सरकार लगातार नि:शुल्क धन उपलब्ध करा रही है।"
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि, मॉरीशस सरकार ने इस मामले पर प्रधानमंत्री के स्तर पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि, "इस समय इस मुद्दे पर साझा करने के लिए हमारे पास कोई और जानकारी नहीं है।" विदेश मंत्रालय द्वारा भारत के अटॉर्नी जनरल और मॉरीशस के कृषि उद्योग और खाद्य सुरक्षा मंत्री मनीष गोबिन के साथ हुई एक बैठक में, जब जासूसी के आरोप लग रहे थे, अरिंदम बागची ने कहा कि, "मुझे संक्षेप में याद है कि यह बैठक हुई थी और यह नियमित परामर्श का हिस्सा था।"
क्या है अगालेगा द्वीप को लेकर विवाद?
अगालेगा द्वीप, मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुइस से 1120 किलोमीटर दूर है और यहां पर एक भारत ने एक फैसिलिटी का निर्माण किया हुआ है। ऐसा कहा जाता है, कि भारत ने इस द्वीप को एक स्टैंगिंग पोस्ट के तौर पर विकसित कर रहा है, ताकि चीन की नौसेना पर सीधी नजर रखी जा सके। द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया है कि, फ्रांस ला रीयूनियन द्वीप से नौसैनिक और हवाई सेवाओं का संचालन करता है और चीन की नौसेना भी लगातार जासूसी करती रहती है, लिहाजा भारत अगालेगा द्वीप पर फैसिलिटी का निर्माण कर चीन की नौसेना पर नजर रखना चाहता है। ऐसी रिपोर्ट है, कि खुद भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस प्रोजेक्ट पर नजर रख रहे हैं और नियमित तौर पर मॉरीशस के प्रधानमंत्री से संपर्क में रहते हैं। और पिछले दिनों मॉरीशस के पीएम ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर अगालेगा द्वीप में सर्वे करने के लिए टीम भेजने का अनुरोध किया था। हालांकि, भारत सरकार की तरफ से आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
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