भारत को सऊदी अरब का मिला सहयोग, रुपया-रियाल व्यापार, UPI सिस्टम पर चर्चा, 40 क्षेत्रों में साथ करेंगे काम
नई दिल्ली, 20 सितंबरः वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि भारत और सऊदी अरब ने रुपया-रियाल व्यापार को संस्थागत बनाने की व्यवहार्यता और राज्य में UPI और RuPay कार्ड की शुरुआत पर चर्चा की है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की 18-19 सितंबर को रियाद की यात्रा के दौरान इन मुद्दों पर चर्चा की गई थी।
पीयूष गोयल मंत्रिस्तरीय बैठक में हुए शामिल
वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने भारत-सऊदी अरब सामरिक भागीदारी परिषद की मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लिया। इस दौरान पीयूष गोयल और सऊदी ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान अल-सऊद ने परिषद की अर्थव्यवस्था और निवेश पर समिति की मंत्रिस्तरीय बैठक की सह-अध्यक्षता की। इस अवसर पर व्यापार और वाणिज्य का विविधीकरण और विस्तार, व्यापार बाधाओं को दूर करना, सऊदी अरब में भारतीय फार्मा उत्पादों के स्वचालित पंजीकरण और विपणन प्राधिकरण, रुपया-रियाल व्यापार को संस्थागत बनाने की व्यवहार्यता, सऊदी अरब में यूपीआई और रुपे कार्ड की शुरूआत, चर्चा के प्रमुख बिंदु रहे। गोयल ने प्रिंस अब्दुल अजीज बिन सलमान अल सऊद के साथ विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा की.
मंत्रिस्तरीय बैठक ने 40 क्षेत्रों का किया समर्थन
पीयूष गोयल ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि उन्होंने चर्चा की कि जलवायु परिवर्तन संवेदनशीलता के साथ ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास और समृद्धि कैसे प्रदान कर सकती है। मंत्रिस्तरीय बैठक ने कृषि और खाद्य सुरक्षा ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और आईटी, और उद्योग और बुनियादी ढांचा के चार व्यापक डोमेन के तहत तकनीकी टीमों द्वारा पहचाने गए सहयोग के 40 क्षेत्रों का भी समर्थन किया।
संयुक्त परियोजनाओं में एक दूसरे को निरंतर सहयोग
बता दें कि यह समयबद्ध तरीके से प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर भी सहमत हुआ और भारत में पश्चिमी तट रिफाइनरी, एलएनजी बुनियादी ढांचे के निवेश और रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारण सुविधाओं के विकास सहित संयुक्त परियोजनाओं में निरंतर सहयोग की पुष्टि की।
भारत से निर्यात बढ़ाने पर हुई चर्चा
सऊदी अरब में व्यवसायियों के साथ एक सीईओ गोलमेज सम्मेलन के दौरान भारत से निर्यात बढ़ाने और भारत में आवक निवेश की सुविधा पर ध्यान केंद्रित किया गया। एक अलग बैठक में मंत्री ने दोनों देशों के एक्जिम बैंकों के संस्थागत गठजोड़, तीसरे देशों में संयुक्त परियोजनाओं, मानकों की पारस्परिक मान्यता और बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की।
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