
टूटेगी डॉलर की बादशाहत, अब रूस के साथ रुपये में व्यापार करने की इस बैंक को मिली जिम्मेदारी
नई दिल्ली, 15 सितंबरः अब रूस के साथ व्यापार करने के लिए भारत की कंपनियों को यूआन, रियाल जैसी विदेशी मुद्रा की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब भारत सीधे भारतीय रुपये में रूस के संग व्यापार कर सकेगा। भारतीय स्टेट बैंक इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए सहमत हो गया है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि तंत्र सफल होता है तो आने वाले समय में भारतीय मुद्रा रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण में एक लंबा सफर तय कर सकता है।

ट्रेड करने के लिए SBI हुआ अधिकृत
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (FIEO) के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने बुधवार को कहा कि केंद्र ने रूस के साथ रुपये में व्यापार को बढ़ावा देने के लिये देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को अधिकृत किया है। अब रूस द्वारा इस व्यवस्था के कार्यान्वयन के लिए बैंक का नाम बताया जाना है। फियो के अध्यक्ष ए. शक्तिवेल ने कहा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास रुपये में व्यापार को सुगम बनाने के पर्याप्त साधन हैं लेकिन रूस को अभी बैंक की पहचान करनी है। उन्होंने कहा कि रूस बैंक का नाम 15 दिन के भीतर बता सकता है।

RBI ने जुलाई में जारी किया था सर्कुलर
उन्होंने कहा कि भारतीय रुपये में निर्यात-आयात की अनुमति देने वाली आरबीआई अधिसूचना से निर्यातकों को बहुत प्रोत्साहन मिला है। इससे हमें उन देशों को निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी जो विदेशी मुद्रा की कमी का सामना कर रहे हैं या प्रतिबंधों से घिरे हुए हैं। आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय रुपये में निर्यात-आयात के लिए जुलाई में एक सर्कुलर जारी कर बैंकों को अतिरिक्त व्यवस्था करने को कहा था। बता दें कि रूस-यूक्रेन के बाद अमेरिका और यूरोप के प्रतिबंधों की वजह से भारत व रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार विदेशी मुद्रा में हो रहा है।

कच्चे तेल के कारण आयात में हुई वृद्धि
रिपोर्ट के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान रूस को भारत का निर्यात लगभग एक तिहाई गिर गया है, कच्चे तेल के शिपमेंट में तेजी के कारण आयात में वृद्धि जारी रही है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत द्वारा रूसी तेल का निर्यात इस साल दस गुना बढ़ गया है। रिपोर्ट के अनुसार रूसी कच्चा तेल अब भारत के आयातित तेल की खपत का लगभग दस फीसदी हिस्सा पूरा कर रहा है।

भारतीय रुपया होगा इंटरनेशल
ऐसा माना जा रहा है कि यदि रूस द्वारा रुपये को स्वीकार किया जाता है तो आने वाले समय में भारतीय मुद्रा रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण में एक लंबा सफर तय कर सकता है और इस तरह के व्यापार के लिए स्थापित अमेरिकी डॉलर का निकट भविष्य में मैकेनिज्म टूट सकता है। एसबीआई रिसर्च ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक मुद्रा बाजार में एक दिलचस्प विकास हो रहा है क्योंकि रेनमिनबी यानी कि चानी की मुद्र युआन, हांगकांग डॉलर और अरब अमीरात की मुद्रा दिरहम जैसी मुद्राओं में तेल और अन्य वस्तुओं के व्यापार में महत्वपूर्ण उछाल आया है।

धीरे-धीरे सिकुड़ रहा डॉलर
एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक आखिरकार डॉलर डिस्टेंसिंग सफल हो रही है। एसबीआई ने इस रिसर्च में पूछा है कि क्या यह भारत के लिए बदलती विश्व व्यवस्था में रुपये को एक विश्वसनीय, धर्मनिरपेक्ष विकल्प के रूप में पेश करने का समय है? वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार में अमेरिकी डॉलर के हिस्से की बात करें तो, यह इक्कीसवीं सदी की शुरुआत से सिकुड़ रहा है, दिसंबर 2021 के अंत तक यह 59 प्रतिशत के करीब गिर चुका है, जो कि दो दशक पहले 70 प्रतिशत से ऊपर था।
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