अस्पताल में पहुंचे कुशवाहा, तेजस्वी और मुकेश सहनी, लालू ने दे दिया सीट बंटवारे का फॉर्मूला?
पटना। बिहार में एनडीए के बीच घटक दलों- बीजेपी, जेडीयू, लोजपा के बीच सीट बंटवारे पर सहमति के बाद महागठबंधन में भी 2019 लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के तालमेल पर सक्रियता बढ़ गई है। खबर है कि शनिवार को रांची के रिम्स अस्पताल में इलाज करा रहे लालू यादव से तेजस्वी यादव मिलने पहुंचे। उनके साथ दो और लोग थे- उपेंद्र कुशवाहा और निषाद संघ के मुकेश सहनी। सूत्रों का दावा है कि इस मुलाकात के दौरान सीट बंटवारे को लेकर बेहद गंभीर चर्चा हुई और आरजेडी सुप्रीमो ने तेजस्वी को महागठबंधन सीट बंटवारे का मोटा-मोटी फॉर्मूला दे दिया है। हालांकि, अस्पताल के बाहर जब तेजस्वी यादव से मीडियाकर्मियों ने सीट बंटवारे पर सवाल पूछा तो बड़ी होशियारी से वह बात टाल गए।
तेजस्वी ने सीट बंटवारे पर लालू से बातचीत के बारे यूं टाला सवाल
तेजस्वी ने मीडिया से कहा कि ऐसा जरूरी नहीं है कि जब भी लालू जी से लोग मिलने आएं तो सीट शेयरिंग पर ही बात करेंगे। जनता के सामने किसी को फॉर्मूला नहीं चलता है। सीट बंटवारे पर तेजस्वी ने इतना जरूर कहा कि महागठबंधन में किसी प्रकार का विवाद नहीं है और जल्द ही सारी बातें सबके सामने आ जाएंगी।
तेजस्वी ने सही पर उपेंद्र कुशवाहा ने जरूर दिए संकेत
एनडीए से अलग होने के बाद महागठबंधन में आए उपेंद्र कुशवाहा ने मीडिया से कहा कि महागठबंधन के सभी दल एकजुटता के साथ लड़ेगे और एक-एक सीट की रणनीति बन चुकी है। अभी सभी दलों के प्रतिनिधि नहीं है, इसलिए रणनीति का खुलासा नहीं किया जा सकता है। जब सभी घटक दलों के नेता मौजूद रहेंगे, तब इसका खुलासा कर दिया जाएगा। निषाद संघ के नेता मुकेश सहनी ने भी इस मौके पर मीडिया से बातचीत की और कहा कि एनडीए उन्होंने इसलिए छोड़ दिया, क्योंकि बीजेपी गंदी राजनीति करती है। बिहार में निषादों को आरक्षण नहीं दिया गया। उन्होंने दावा किया कि महागठबंधन अब बेहद मजबूत हो गया है और इससे बीजेपी का कम से कम 18 प्रतिशत वोट बिहार में घट जाएगा।
महागठबंधन में सीट बंटवारा एनडीए की तुलना में ज्यादा कठिन काम
एनडीए में तीन दलों के बीच सीटों का बंटवारा हुआ है- बीजेपी, जेडीयू और लोजपा। उपेंद्र कुशवाहा अलग चले गए। तीन दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में महीनों तक टकराव चला। दूसरी ओर महागठबंधन में घटक दलों की संख्या अब 11 तक जा पहुंची है। ऐसे में तेजस्वी यादव के सामने चुनौती कम नहीं है। सबसे बड़ी समस्या कांग्रेस को मनाने की है। कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ चुनाव में जीतकर आई है और अब वह पहले से ज्यादा मजबूती के साथ गठबंधन में सीट बंटवारे पर अपनी बात रख रही है। ऐसे में देखना रोचक होगा कि तेजस्वी यादव पूरे कुनबे को किस प्रकार से साथ लेकर 2019 लोकसभा चुनाव के रण में उतरते हैं।