एक तरफ पार्टी और दूसरी तरफ पिता, क्या करेंगे भाजपा सांसद जयंत सिन्हा ? जानिए
नई दिल्ली, 22 जून: राष्ट्रपति चुनाव की वजह से बीजेपी सांसद जयंत सिन्हा के सामने कर्तव्य और परिवार में से एक को चुनने की स्थिति आ गई है। एक तरफ पिता यशवंत सिन्हा चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके हैं और दूसरी तरफ उनकी अपनी पार्टी बीजेपी है, जिसने अपनी उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति भवन में पहुंचाने के लिए बहुत ही सधी हुई रणनीति तैयार की है। आइए जानते हैं कि क्या पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा के मन में इस बात को लेकर किसी तरह की उलझन है ? या फिर उन्होंने कोई फैसला ले लिया है ?
द्रौपदी मुर्मू को बधाई दे चुके हैं जयंत सिन्हा
राष्ट्रपति चुनाव में किस उम्मीदवार का समर्थन करना है, यह फैसला लेना झारखंड के हजारीबाग से बीजेपी सांसद जयंत सिन्हा के लिए आसान नहीं है। एक तरफ विपक्ष ने उनके पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को अपना साझा उम्मीदवार बनाया है तो दूसरी तरफ झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए की आधिकारिक प्रत्याशी घोषित हो चुकी हैं। जब भाजपा की ओर से द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान हुआ तो जयंत सिन्हा ने ट्वीट करके उन्हें बधाई दी। उन्होंने लिखा, 'द्रौपदी मुर्मू जी को एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर हार्दिक बधाई। उनका जीवन हमेशा से ही आदिवासी समाज और गरीब कल्याए के लिए समर्पित रहा है। इस फैसले के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को धन्यवाद देता हूं।'
यशवंत सिन्हा पर विपक्ष ने लगाया दांव
18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और टीएमसी के उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा को अपनी ओर से साझा राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को कहा था कि वे 27 जून को अपना नामांकन दाखिल करेंगे। 29 जून को इसकी आखिरी तारीख है। यशवंत सिन्हा के खिलाफ द्रौपदी मुर्मू सत्ताधारी एनडीए की ओर से चुनाव मैदान में उतर रही हैं, जिनका 25 जून को नामांकन दाखिल करने की संभावना है। इस चुनाव के लिए वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी।
यशवंत ने ममता के प्रति जताया आभार
यशवंत सिन्हा को पता है कि उनकी उम्मीदवारी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के दखल की वजह से पक्की हो पाई है। विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद का साझा उम्मीदवार बनाए जाने पर यशवंत सिन्हा ने ट्वीट किया, 'ममता जी ने टीएमसी में मुझे जो सम्मान और प्रतिष्ठा दी, उसके लिए मैं उनका आभारी हूं। अब समय आ गया है, जब एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी से अलग हटकर बड़े विपक्षी एकता के लिए काम करना होगा। मुझे विश्वास है कि वो इस कदम को स्वीकार करेंगी।'
'मैं अपने संवैधानिक जिम्मेदारी को पूरा करूंगा'
लेकिन, बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा क्या करें ? एक तरफ तो उनके पिता राष्ट्रपति बनने का मंसूबा पाले हैं तो दूसरी तरफ उनकी पार्टी की आधिकारिक उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू सामने आ चुकी है। लेकिन, जयंत सिन्हा ने बिना किसी लाग-लपेट के स्पष्ट कर दिया कि वे एक पार्टी सांसद होने के नाते अपना फर्ज निभाएंगे, क्योंकि यह कोई पारिवारिक मामला नहीं । उन्होंने कहा, 'मेरे पिता यशवंत सिन्हा जी को विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया है। मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि इसे पारिवारिक मामला न बनाएं। मैं एक बीजेपी कार्यकर्ता और सांसद हूं। मैं अपने संवैधानिक जिम्मेदारी को पूरा करूंगा।'
बहुत ही गरीब आदिवासी परिवार से यहां तक पहुंची हैं द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी महिला नेता हैं। वह झारखंड में राज्यपाल और ओडिशा में कैबिनेट मंत्री जैसे पदों को संभाल चुकी हैं। अगर वो यशवंत सिन्हा के खिलाफ चुनाव जीतती हैं, तो देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी। ओडिशा के पिछड़े मयूरभंज जिले से आने वाली मुर्मू बहुत ही गरीब आदिवासी परिवार से राजनीति में इस हैसियत तक पहुंची हैं कि उनके राष्ट्रपति भवन पहुंचने की प्रबल संभावना है।