नई शिक्षा नीति में हिंदी को लेकर घिरी सरकार, दिग्गज मंत्रियों ने किया बचाव
नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के प्रस्तावित विधेयक को लेकर चल रही बहस के बीच सरकार की ओर से सफाई सामने आई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भरोसा दिलाया है कि हिंदी भाषा किसी पर भी थोपी नहीं जाएगी। दरअसल इस शिक्षा नीति को लेकर दक्षिण भारत के लोग विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि स्कूली छात्रों पर हिंदी भाषा को थोपने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन इस पूरे विवाद पर सरकार का बचाव करने के लिए खुद वित्त मंत्री सामने आईं हैं।
निर्मला सीतारमण ने दिलाया भरोसा
निर्मला सीतारण और एस जयशंकर ने ट्विटर पर तकरीबन एक जैसे ही मैसेज करके लोगों को भरोसा दिलाया है कि इस नीति को लागू करने से पहले इसकी समीक्षा की जाएगी। बता दें कि दोनों ही मंत्री तमिलनाडु से आते हैं, जहां इस शिक्षा नीति का सबसे अधिक विरोध हो रहा है। दोनों ही मंत्रियों ने यह ट्वीट तमिल भाषा में किया है। इससे पहले उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी सरकार का बचाव किया था और लोगों से अपील की थी कि वह इसे पढ़ें, इसका विश्लेषण करें, बहस करें, ऐसे ही इसे लेकर किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे।
थरूर, कुमारस्वामी ने साधा निशाना
दरअसल कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस शिक्षा नीति को लेकर चेतावनी जारी की थी, जिसमे कहा गया था कि दक्षिण भारत के राज्यों पर हिंदी भाषा को थोपा नहीं जा सकता है, इससे पहले पी चिदंबरम और डीएमके नेता एमके स्टालिन ने भी इस शिक्षा नीति को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। निर्मला सीतारमण ने ट्वीट करके लिखा कि लोगों की राय लेने के बाद ही इस शिक्षा नीति को लागू किया जाएगा। देश की सभी भाषाओं को आगे बढ़ाने के लिए पीएम मोदी ने एक भारत श्रेष्ठ भारत का बढ़ावा देते हैं। केंद्र सरकार प्राचीन तमिल भाषा के सम्मान और विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
थोपना नहीं चाहिए हिंदी को
इस शिक्षा नीति के प्रस्तावित विधेयक लेकर शशि थरूर ने कहा था कि दक्षिण भारत में अधिकतर लोग हिंदी भाषा सीखने की कोशिश करते हैं, लेकिन उत्तर भारत में कोई भी मलयालम या तमिल सीखने की कोशिश नहीं करता है। भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को को थोपा नहीं जाएगा, बल्कि हिंदी भाषा को स्कूलों में बढ़ावा दिया जाएगा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि एक भाषा को किसी पर थोपना नहीं चाहिए।
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