तो दुपहिया चलाने वाली सिख महिलाएं हेलमेट न पहने
नई
दिल्ली(विवेक
शुक्ला)हालांकि
दिल्ली
में
दुपहिया
वाहन
चलाने
वाली
महिला
और
उसके
पीछे
बैठकर
सवारी
करने
वाली
महिलाओं
को
हेलमेट
पहनना
जरूरी
हो
गया
है,
पर
सिख
महिलाओं
पर
बिना
हेलमेट
पहने
दुपहिया
चलाने
पर
कोई
एक्शन
नहीं
होगा।
तो क्या सिख महिलाओं को हेलमेट नहीं पहनना चाहिए ? क्या उनकी सुरक्षा अहम नहीं है।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेंटी के महासचिव बलबीर सिंह कहते हैं कि सारा मामला सिखों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है। इसलिए उन पर हेलमेट पहनने का दबाव नहीं डाला जा सकता।
उन्होंने बताया कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी उन सिख औरतों को पहचान पत्र देने के बारे में सोच रही हैं,जो दुपहिया चलाती हैं। इससे उनके खिलाफ कोई पुलिसवाला एक्शन नहीं ले पाएगा।
उधर, आईआईटी,दिल्ली के रोड ट्रांसपोर्ट विभाग से जुड़े डा. महेश शर्मा मानते हैं कि सभी दुपहिया चालकों को हेलमेट पहनने के लिए कहा जाना चाहिए।
सारा मामला तो इंसान की सुरक्षा का है। उन्होंने कहा कि हेलमेट न पहनने के कारण कितने लोगों की जान जाती है सड़के हादसों में, यह सबको पता है।
इस बीच, यातायात पुलिस ने शहर में 100 टीमें विशेष तौर पर उतारी हैं, जो बिना हेलमेट दुपहिया पर सवाल महिलाओं का चालान कर रही हैं। दिल्ली के संयुक्त पुलिस आयुक्त (यातायात) अनिल शुक्ला ने बताया कि परिवहन की ओर से इस बारे में पहले ही अधिसूचना जारी कर दी गई है।
जानकार कहते हैं कि हेलमेट पहनना अपनी सुरक्षा के साथ-साथ सड़क पर दूसरे वाहन चालकों की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है।
28 अगस्त को परिवहन विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के तहत मोटर वाहन अधिनियम-1993 के नियम 115 (2) के तहत बिना हेलमेट दुपहिया चलाने व सवारी करने वाली महिलाओं के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
यातायात पुलिस की ओर से अधिसूचना जारी होने के बाद महिलाओं को हेलमेट खरीदने के लिए कुछ दिन का समय दिया गया था। जानकारों ने बताया कि दुपहिया वाहन के पीछे बैठी महिलाएं दुर्घटना में गंभीर चोट का शिकार बनती हैं, क्योंकि उन्होंने हेलमेट नहीं पहना होता है।