Wrestling in India: शोषण ही नहीं स्पॉन्सर, पक्षपात और मनमानी से भी जूझ रहे हैं भारतीय पहलवान
कुश्ती को लेकर देश में विवाद बढ़ गया है। खिलाड़ी सही हैं, या फेडरेशन ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन कुश्ती में विवाद उठते रहे हैं।
भारत में कुश्ती महासंघ और उनके खिलाड़ी आमने-सामने आ गए हैं। विश्व चैंपियनशिप में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी विनेश फोगाट सहित कई महिला खिलाड़ियों ने WFI (Wrestling Federation of India) के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। हालांकि, अध्यक्ष ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है और कहा है कि ऐसा कुछ भी साबित होने पर वे किसी भी सजा के लिए तैयार हैं। फिलहाल खेल मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा गठित सात सदस्यीय कमेटी WFI के अध्यक्ष के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों की जांच करेगी। जिसके बाद खिलाड़ियों द्वारा पिछले दो-तीन दिन से जारी धरना प्रदर्शन को समाप्त कर दिया गया है।
भारत में कुश्ती का इतिहास देखें तो यह सदियों से खेला जा रहा है। प्राचीन भारत में यह खेल मल्लयुद्ध के नाम से प्रचलित था। रामायण काल में सम्राट बाली और महाराजा सुग्रीव को सबसे वीर मल्ल योद्धा कहा गया है। महाभारत काल में बलराम, भीम, दुर्योधन, जरासंध, कर्ण आदि कुछ ऐसे महावीर थे, जिन्हें मल्लयुद्ध में हराना एक चुनौती थी। मगर वर्तमान में भारत के कुश्ती का इतिहास गामा पहलवान, दारा सिंह, टाइगर जीत सिंह जैसे अनेक पहलवानों के कारण स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।
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भारत
सरकार
का
खेल
बजट
खेलों
को
लेकर
केंद्र
सरकार
पहले
से
ज्यादा
सजग
है।
साल
2021-2022
का
खेल
बजट
2757.02
करोड़
रुपये
था,
लेकिन
साल
2022-23
में
खेल
का
बजट
बढ़ाकर
3062.60
करोड़
रुपये
कर
दिया
गया।
यानि
खेल
बजट
में
305.58
करोड़
रुपये
की
बढ़ोतरी
की
गई।
Target Olympic Podium Scheme (TOPS) के तहत संभावित ओलंपिक पदक विजेताओं (महिला-पुरूष) के लिए अनुकूलित प्रशिक्षण और सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। जिस पर कुल बजट का एक छोटा हिस्सा खर्च होता है। साल 2018-19 के दौरान TOPS पर कुल 14.31 करोड़ रुपया, 2019-20 में 12.41 करोड़ रुपया, 2020-21 में 15.65 करोड़ रुपया खर्च किया गया।
भारत
में
कुश्ती
के
लिए
चुनौतियां
और
विवाद
साल
2008
में
बीजिंग
ओलंपिक
में
सुशील
कुमार
ने
कांस्य
पदक
जीतकर
56
साल
से
मेडल
के
लिए
तरस
रहे
कुश्ती
के
सूखे
को
समाप्त
किया
था।
तभी
से
हर
ओलंपिक
में
कोई
न
कोई
पहलवान
कांस्य
या
रजत
पदक
जीत
रहा
है।
इसी
बीच
कुश्ती
में
कॉरपोरेट
जगत
ने
रुचि
ली
और
प्रो
रेसलिंग
लीग
जैसी
प्रतियोगिता
की
भी
भारत
में
शुरूआत
हुई।
खिलाड़ियों को आर्थिक मदद मिली, साथ में प्राइवेट स्पॉन्सर द्वारा विदेशों में ट्रेनिंग मिलने लगी। जिसमें JSW ग्रुप और अन्य कंपनियों के Olympic Gold Quest (OGQ) जैसे प्रोजेक्ट्स की बड़ी भूमिका है।
दूसरी तरफ सरकार ने TOPS योजना के तहत खिलाड़ियों को बढ़ावा दिया। प्राइवेट स्पॉन्सर्स से पहलवानों को प्रोत्साहन मिलता रहा तभी भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) ने साल 2022 में ऐलान किया कि प्राइवेट संस्थाएं अब पहलवानों की मदद WFI की अनुमति के बिना नहीं कर सकती हैं। तभी पहलवानों को मिलने वाली सुविधाओं में कमी आई। यहीं से WFI और खिलाड़ियों के बीच तनाव का माहौल धीरे-धीरे बनने लगा।
साल 2022 में ही WFI ने टाटा मोटर्स जैसे बड़े कॉरपोरेट को कुश्ती का नेशनल स्पॉन्सर बनाया। वहीं BCCI की तर्ज पर WFI ने 2018 में तकरीबन 150 पहलवानों को ग्रेडिंग सिस्टम के हिसाब से कॉन्ट्रैक्ट किया। जिसके तहत A ग्रेड के पहलवानों को 30 लाख रुपये सालाना मिलने थे, लेकिन कुश्ती महासंघ ने 2-3 त्रैमासिक किश्तों के बाद ये पैसा देना बंद कर दिया। अब पहलवानों के पास न तो कोई स्पॉन्सर था और न ही उन्हें WFI पैसे दे रही थी। लिहाजा ये आक्रोश अब प्रदर्शन के रूप में दिख रहा है।
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खिलाड़ियों
के
आरोप
कुश्ती
महासंघ
के
अध्यक्ष
बृज
भूषण
शरण
सिंह
पर
लगे
आरोपों
के
बीच
कुश्ती
खिलाड़ी
विनेश
फोगाट
ने
आरोप
लगाते
हुए
कहा
कि
कोच
महिलाओं
को
परेशान
कर
रहे
हैं
और
फेडरेशन
के
चहेते
कुछ
कोच
महिला
कोचों
के
साथ
भी
अभद्रता
करते
हैं।
बृज
भूषण
शरण
सिंह
ने
कई
लड़कियों
का
यौन
उत्पीड़न
किया
है।
वे
हमारा
शोषण
कर
रहे
हैं।
वहीं
ओलंपिक
पदक
विजेता
बजरंग
पुनिया
कहते
हैं
कि
हम
चाहते
हैं
कि
फेडरेशन
में
बदलाव
हो।
फेडरेशन
द्वारा
पहलवानों
को
परेशान
किया
जा
रहा
है।
जो
WFI
में
शीर्ष
पर
बैठे
हैं
उन्हें
इस
खेल
के
बारे
में
कोई
जानकारी
नहीं
है।
कुश्ती के लिए बने इन नियमों पर भी विवाद है
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- फेडरेशन ने सभी खिलाड़ियों के लिए सीनियर नेशनल इवेंट में उतरने को अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत एक वेट कैटेगरी से 4 ही खिलाड़ियों को ही चुना जा सकता हैं। इस कारण कई खिलाड़ी इवेंट में उतर ही नहीं पाएंगे।
- खिलाड़ी अब तक स्पॉन्सर के हिसाब काम करते थे लेकिन अब स्पॉन्सरशिप में खिलाड़ियों के साथ फेडरेशन भी शामिल होगा।
- ओलंपिक के लिए जो खिलाड़ी क्वालिफाई करेगा, वो जरूरी नहीं कि अखाड़े में उतरे। दरअसल, ओलंपिक से पहले ट्रायल आयोजित किए जाएंगे और इसमें कोटा हासिल करने वाले खिलाड़ी से भिड़ेगा। कोटा जीतने वाला खिलाड़ी अगर हार जाता है तो उसे 15 दिन में दोबारा मिलेगा।
- साथ ही अब ये नियम भी कर दिया गया है कि कोई भी राज्य नेशनल में एक से ज्यादा टीम नहीं भेज सकता। ओलंपिक में सबसे ज्यादा टीमें हरियाणा, रेलवे और सेना से भेजी जाती थीं। जबकि अभी तक सबसे ज्यादा मैडल हरियाणा के पहलवानों ने ही जीते हैं।