3rd Death Anniversary of CM Jayalalithaa: अपने अपमान का बदला लेने के लिए 'द्रोपदी' बनी थीं जयललिता
चेन्नई। तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की आज यानी 5 दिसंबर को तीसरी पुण्यतिथि है। इस मौके पर चेन्नई मरीना बीच पर उनका स्मारक बनाया गया है, इस खास मौके पर मदुरै के केके नगर क्षेत्र में पार्टी के संस्थापक एम जी रामचंद्रन की प्रतिमा के बगल में उनकी प्रतिमा लगाई गई है। तमिलनाडु के सीएम एडप्पादी के पलानीस्वामी और उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने चेन्नई के मरीना बीच में जयललिता स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
फिल्मी कैनवस की मल्लिका थीं जयललिता, शार्ट स्कर्ट में मचाया था धमाल
तमिलनाडु में 'अम्मा' के नाम से प्रचलित जयललिता का नाम देश के उन लोगों में शामिल था जिन्होंने अपने संघर्ष के बल पर हर चीज हासिल की थी। चाहे वो उनकी तालिम हो, फिल्मी सफर हो या फिर तमिलनाडु की सत्ता। परंपराओं और उसूलों को तोड़कर अपने दम पर रास्ता बनाने वाली जयललिता राजनीति कैनवस में चमकने से पहले फिल्मी कैनवस की मल्लिका थीं। बेहद ही ग्लैमरस अभिनेत्री के रूप में पहचान बनाने वाली जयललिता दक्षिण भारत की पहली हिरोइन थीं जिन्होंने स्कर्ट पहनकर फिल्मों में काम किया था।
तेलुगू, कन्नड और हिंदी फिल्मों की लोकप्रिय हस्ती थीं जयललिता
उनकी खूबसूरत अदायगी की खबर दूसरे राज्यों में पहुंची और जयललिता देखते-देखते ही तमिल के अलावा तेलुगू, कन्नड और हिंदी फिल्मों की पॉपलुर हस्ती बन गईं। 1965 से 1972 के दौरान उन्होंने ज्यादातर फिल्में एमजी रामचंद्रन के साथ की थीं जिसमें वो साड़ी में कम स्कर्ट में ज्यादा नजर आती थीं।
1984 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा
जयललिता ने जहां अपने फिल्मी करियर में सबसे ज्यादा फिल्में एमजी रामचंद्रन के साथ कीं वहीं दूसरी ओर उन्होंने अपना राजनैतिक करियर भी एमजी रामचंद्रन के साथ शुरू किया। और साल 1984 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा था और उसके बाद कभी भी उन्होंने जीवन में पीछे मुड़कर नहीं देखा। लेकिन जब वो राजनीति में आईं तो उनका दूसरा रूप दुनिया के सामने आया, वो एक खूबसूरत अभिनेत्री के सांचे से बाहर निकल चुकी थीं और उनकी छवि एक जुझारू महिला की बन चुकी थी, जिसने अपने हक के लिए कोई समझौता नहीं किया बल्कि विरोधियों को धूल चटाया।
जयललिता को करना पड़ा था विरोध का सामना
जयललिता 1984 से 1989 के दौरान तमिलनाडु से राज्यसभा के लिए राज्य का प्रतिनिधित्व भी किया।वर्ष 1987 में रामचंद्रन का निधन के बाद उन्होंने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। हालांकि इस बात का काफी विरोध हुआ था लेकिन राज्य और राजनीति के चलते पार्टी के लोगों को उनकी बात माननी पड़ी।
डीएमके
के
सदस्य
ने
की
बदसलूकी
बात
1989
की
है,
जब
विपक्ष
की
नेता
जयललिता
ने
स्पीकर
से
कहा
कि
मुख्यमंत्री
करूणानिधि
के
उकसाने
पर
पुलिस
ने
उनके
फोन
को
टैप
किया
है
इसलिए
इस
पर
बहस
होनी
चाहिए
लेकिन
उस
दिन
बजट
पेश
होना
था
इसलिए
स्पीकर
ने
कहा
कि
वे
इस
मुद्दे
पर
बहस
की
अनुमति
नहीं
दे
सकते
क्योंकि
बजट
पेश
किया
जा
रहा
है
लेकिन
एआईडीएमके
के
नेता
इस
बात
पर
गुस्सा
हो
गए
और
स्पीकर
के
सामने
हल्ला
मचाने
लग
गए।
बजट
भाषण
फाड़
दिया
गया
और
हंगामा
मच
गया,
जिसे
देखते
हुए
विधानसभा
अध्यक्ष
ने
सदन
को
स्थगित
कर
दिया
लेकिन
इसके
बाद
जैसे
ही
जयललिता
सदन
से
निकलने
के
लिए
तैयार
हुईं,
डीएमके
के
एक
सदस्य
ने
उन्हें
रोकने
की
कोशिश
की,
उसने
उनकी
साड़ी
इस
तरह
से
खींची
कि
उनका
पल्लू
गिर
गया।
अपने अपमान का बदला लेने के लिए 'द्रोपदी' बनी थीं जयललिता
जयललिता सबके सामने ज़मीन पर गिर पड़ीं और उसके बाद उन्होंने कसम खाई कि वो यहां तभी कदम रखेंगी जब वो महिलाओं के लिए सुरक्षित हो जाएगा। जयललिता के साथ ये शर्मनाक हरकत करने वालों को एआईडीएमके के नेताओं ने काफी पीटा था और इसके बाद जयललिता सीएम बनकर ही विधानसभा भवन पहुंची थीं और अपने आप को उन्होंने द्रोपदी संबोधित किया था।