UP Election 2022: अखिलेश को क्यों याद आए शिवपाल, टिकट की आस में जुटे भाजपाइयों की क्या है टीस
लखनऊ, 04 दिसंबर: उत्तर प्रदेश में जैसे जैसे चुनाव करीब आता जा रहा है वैसे वैसे सियासत भी अपने रंग दिखा रही है। इसमें अब किसी को अपने रिश्तों की याद आ रही है तो किसी को अपने टिकट की चिंता सता रही है। इसमें एक नेता ऐसे भी हैं जो लखनऊ के कई चक्कर काट चुके लेकिन उन्हें कोई घास तक डालने को तैयार नहीं है। दो बार लखनऊ से उनकी वापसी हो चुकी है और उनके समर्थकों का दावा है कि अब वो अकेले 100 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन अभी चुनाव तक यूपी में कई उलटफेर होने बाकी है तो आगे आगे देखिए होता है क्या। वहीं बीजेपी के एक नेता ने चुटकी लेते हुए कहा कि ओम प्रकाश राजभर सपनों की दुनियां में जी रहे हैं उनका ख्वाब कभी पूरा नहीं होगा और चारों खाने चित्त होंगे।
अखिलेश को याद आया शिवपाल का काम
शिवपाल यादव एक तरफ जहां भतीजे अखिलेश यादव के साथ मिलने को तैयार बैठे हैं लेकिन अखिलेश को उनकी याद नहीं आ रही है। लेकिन शिवपाल के करीबी उस समय चौंक गए जब बुंदेलखंड पहुंचे अखिलेश ने शिवपाल के कामों को गिनाना शुरू कर दिया। दरअसल बुंदेलखंड पहुंचे अखिलेश को मोदी पर हमला बोलने के लिए शिवपाल के काम का सहारा लेना पड़ा। उन्होंने खुले मंच पर लंबे समय बाद चाचा का जिक्र करते हुए उनके विकास कार्यों की याद जनता को दिलाई। अखिलेश के इस रुख से शिवपाल के समर्थकों में इस बात की तसल्ली होने लगी है कि लग रहा है कि भतीजे के मन में रिश्तों को लेकर जमी बर्फ अब पिघलनी शुरू हो गई है और बुलावा कभी भी आ सकता है। लेकिन अखिलेश भी कम चतुर खिलाड़ी नहीं हैं। वह अभी अपने चुनावी पत्ते खोलने को कतई तैयार नहीं हैं।
अब राजा भैय्या का क्या होगा
प्रतापगढ़ और कौशांबी में अपना दबदबा रखने वाले राजा भैया भी आजकल चर्चा में हैं। उनकी हालत भी यही है कि वह अपना ठिकाना ढूंढने में लगे हैं। लेकिन अभी तक किसी से बात नहीं बन पा रही है। मुलायम सिंह से मिलने पहुंचने राजा भैया की नींद उस समय हवा हो गई जब कुछ दिन बाद प्रतापगढ़ पहुंचे अखिलेश ने यह कह दिया कि ये राजा भैया कौन हैं। दरअसल सूत्रों की माने तो अखिलेश भी इस बार राजा भैया को वेटिंग में रखना चाह रहे हैं। उन्हें लगता है कि राजा भैया के बिना ही वह इस बार बीजेपी को हराने में कामयाब हो जाएंगे लेकिन अखिलेश ने यह बयान क्यों दिया यह तो समय ही बताएगा। जानकारों की मानें तो अखिलेश अभी राजा को लेकर अपनी रणनीति का खुलासा करने को तैयार नहीं हैं।
टिकट की आस लगाए भाजपाइयों की टीस
भाजपा इस समय देश ही नहीं विश्व की सबसे बड़ी पार्टी हो चुकी है। दावा है कि नया सदस्यता अभियान भी चलाया जा रहा है लेकिन एक बार फिर मिस्ड काल का सहारा लिया जा रहा है। बहराल इस बार चुनाव में पदाधिकारी भी टिकट की आस में बैठे हुए हैं लेकिन अमित शाह के फरमान के बाद उनको कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। अमित शाह ने कहा था कि जिनको संगठन में पद चाहिए उन्हें टिकट नहीं मिलेगा लेकिन अब कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिन रात एक एक कर काम करने पर पद मिलता है। पद मिलने के बाद टिकट की आस में कई नेताओं की गणेश परिक्रमा करनी पड़ती है। पांच साल गणेश परिक्रमा के बाद अब अंतिम समय में उम्मीदों पर पानी फिर जाए तो काफी निराश होती है। बहरहाल कुछ पदाधिकारी ऐसे भी हैं जो अमित शाह के फरमान से बेपरवाह अपनी तैयारियों में जुटे हैं।
क्या वाकई चारों खाने चित्त होंगे ओम प्रकाश राजभर
बीजेपी के एक नेता का दावा है कि ओम प्रकाश राजभर जी जिस ख्वाब में है उसका जवाब 2022 में मिल जाएगा। राजभर ने अखिलेश के साथ गठबंधन किया है लेकिन उनको यह बात मालूम नहीं है कि अखिलेश ने लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन किया था। मायावती ने सपा का वोट अपने उपर ट्रासंपर करा लिया लेकिन बसपा का वोट सपा में ट्रांसफर नहीं हुआ। ठीक उसी प्रकार से राजभर जी को भी आगे समझ में आ जाएगा। राजभर समाज पूरी तरह से अखिलेश को वोट दे देगा लेकिन राजभर समाज के उम्मीदवारों को सपा का वोट ट्रांसफर होगा यह बड़ा सवाल है। राजभर जी चारों खाने चित्त हो जाएंगे।