VIDEO: कार्तिक पूर्णिमा की धार्मिक मान्यता के मुताबिक आज यहां आते हैं देवता
बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा के किनारे आस्था का जन सैलाब नजर आता है। कोई मां गंगा में डुबकी लगा कर पुण्य कमाना चाहता है तो कोई धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक दिन का विशेष फल पाना चाहता है।
उपरोक्त VIDEO कानपुर का है
वाराणसी। कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर वाराणसी के घाटों पर आस्था और श्रद्धा का अद्भुत नजारा नज़र देखने को मिल रहा है। श्रद्धालु काशी के पावन घाटों पर गंगा स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। कार्तिक मास की पूर्णिमा को गंगा स्नान का विशेष महात्म है ऐसी मानयता है की अगर इस खास दिन में काशी, प्रयाग या किसी भी पवित्र नदी में स्नान किया जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है और कई जन्मों के पापों से भी मुक्ति मिलती है। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा के किनारे आस्था का जन सैलाब नजर आता है। कोई मां गंगा में डुबकी लगा कर पुण्य कमाना चाहता है तो कोई धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक दिन का विशेष फल पाना चाहता है। आज के दिन जो भी भक्त सच्चे मन और आस्था के साथ मां गंगा का स्नान करते हैं। उनकी सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं, पुराणों की मान्यता है की सभी मास में कार्तिक मास महत्वपूर्ण होता है और जो जो भी भक्त गंगा में स्नान में बाद भगवान विष्णु की आराधना करता है उसे पापो से मुक्ति मिल जाती है।
एक महीने भगवान विष्णु की सभी जिम्मेदारी उठाते है भोलेनाथ
पर्वों की नगरी वाराणसी में हर त्योहार का एक अपना अलग महत्व हैं और स्कंद पुराण की मानें तो आज के दिन स्वर्ग से देवतागण पृथ्वी पर आतें हैं इसलिए भोलेनाथ की नगरी में मां गंगा में स्नान और पूजन करने से शिव के संग भगवान् विष्णु भी प्रसन्न होते हैं और भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ती होती है। बटुक जी मंदिर के महंत जितेंद्र मोहन पुरी (विजय गुरू) ने OneIndia को बताया की कार्तिक मास में भगवान विष्णु शयन करते हैं, तब उनकी सभी जिम्मेदारी भगवान शिव के पास रहती है। इस महीने में जो भी शख्स काशी के पंचगंगा घाट पर एक महीने स्नान करता है। उसके जन्म जमांतर के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
पांच नदियों का है इस घाट पर संगम
महंत जितेंद्र मोहन पुरी ने बताया की काशी के पंच गंगा घाट पर पांच नदियों का संगम हुआ है गंगा, जमुना, सरस्वती, किरणना और धुर्पपापा जीमने किरणना और धुर्पपापा इसी घाट के ऊपर से बहती हैं। इस घाट के ऊपर भगवान विष्णु का बिंदु माधव मंदिर है और साथ ही साथ मंगला गौरी के मंदिर में ही सूर्य नारायण का विग्रह है। जिससे आज भी पानी के रूप में सूर्य का पसीना निकलता है, जिससे किरणना नदी कहा जाता है। इसके दर्शन मात्र से मनुष्य को परमब्रह्म की प्राप्ति होती है। यही वजह है की कई महात्माओं ने कई वर्षों तक ये तपस्या की जैसे रामानुजाचार्य, तैलंग स्वामी, विवेकानंद और भी अन्य। मान्यता है कि आज यहां दर्शन मात्र से ही पुण्य प्राप्त हो जाता है।
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