क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

खाना पकाने के ख़तरे जिनसे आप नावाकिफ़ हैं

'आज इंसान सभ्यता के जिस मुकाम पर है, वो सिर्फ़ इसलिए है क्योंकि हमने अपना खाना पका कर खाना सीख लिया.'

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
कबाब सेकता व्यक्ति
Getty Images
कबाब सेकता व्यक्ति

'आज इंसान सभ्यता के जिस मुकाम पर है, वो सिर्फ़ इसलिए है क्योंकि हमने अपना खाना पका कर खाना सीख लिया.'

ब्रिटेन की ससेक्स यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर जेना मैचियोकी की इस बात से दुनिया के तमाम जीव वैज्ञानिक इत्तिफ़ाक़ रखते हैं.

जेना कहती हैं कि, 'जब हम सिर्फ़ कच्चा खाना खाते थे. तो हमें लगातार खाते रहना होता था. क्योंकि कच्चे खाने से हमारे शरीर को पोषक तत्व हासिल करने का संघर्ष करना पड़ता था.'

इंसान का विकास सीधे तौर पर आग के इस्तेमाल से जुड़ा हुआ है. जब हमारे पूर्वज आदि मानव खाना पका कर खाने लगे, तो उनके पास खाने और उसे पचाने के दरमियान काफ़ी वक़्त मिलने लगा. उन्हें पोषक तत्व भी ज़्यादा मिलने लगा. खाना चबाने में जो एनर्जी लगती थी. वो बचने लगी.

खाने को पकाने के हुनर से इंसान के जबड़े छोटे हो गए. मगर उसका ज़हन बड़ा हो गया. और इस ज़हन के काम करने के लिए ज़रूरी ऊर्जा पका हुआ खाने से मिलने लगी. कच्चे खाने में बहुत से बैक्टीरिया और दूसरे रोगजनक हो सकते हैं. पका कर खाने के दौरान वो सब मर जाते हैं. तो इंसानों पर बीमारियों का क़हर भी कम हो गया. अब इंसान को पोषक तत्व आसानी से मिलने लगे, तो इस एनर्जी का इस्तेमाल वो दिमाग़ चलाने में करने लगा. शरीर के कुल हिस्से का महज़ दो फ़ीसद होने के बावजूद, वो शरीर की कुल ऊर्जा का बीस फ़ीसद चट कर जाता है. इंसान का दिमाग़ चला तो सभ्यता का पहिया घूमते घूमते आज यहां तक पहुंचा.

इंसान की तरक़्क़ी में इतना बड़ा योगदान देने वाली खाना पकाने की कला हमारे लिए नुक़सानदेह भी हो सकती है. लगातार गर्म तापमान के पास रहने से सेहत को कई ख़तरे हो सकते हैं.

आज दुनिया में कच्ची ख़ुराक का चलन बढ़ा है. साथ ही खाना पकाने के लिए भी नई चीज़ें ईजाद की जा रही हैं. नतीजा ये कि आज वैज्ञानिक गर्म खाने के फ़ायदे नुक़सान पर भी काफ़ी रिसर्च कर रहे हैं.

एक्रिलेमाइड

प्राचीन हस्तशिल्प
Getty Images
प्राचीन हस्तशिल्प

ये एक ऐसा केमिकल है, जो औद्योगिक काम में इस्तेमाल होता है. मगर ब्रिटेन की फूड स्टैंडर्ड एजेंसी ने एक्रिलेमाइड को लेकर चेतावनी जारी है. अगर खाने को बेहद ऊंचे तापमान पर भूना, तला या ग्रिल किया जाता है, तो उसमें ये ख़तरनाक केमिकल बनने लगता है. एक्रिलेमाइड से कैंसर होने का ख़तरा होता है.

जिन चीज़ों में कार्बोहाइड्रेट ज़्यादा होता है, उनमें ये केमिकल बनने का डर अधिक होता है. जैसे कि आलू, जड़ वाली सब्ज़ियां, टोस्ट, अनाज, कॉफ़ी, केक और बिस्कुट. ज़्यादा भूनने या पकाने पर ये सभी सुनहरे भूरे होने लगते हैं. ये इस बात का संकेत है कि इनमें एक्रिलेमाइड बनने लगा है.

इस ख़तरे से बचने का एक तरीक़ा ये है कि आप खाने को ज़्यादा देर तक न पकाएं. स्टीम करें. बहुत ज़्यादा भून कर खाने से बचें.

रसोई का धुआं और कैंसर

खाना पकाती महिला
Getty Images
खाना पकाती महिला

विकासशील देशों में ख़ास तौर से चूल्हे बीमारियों की बड़ी वजह होते हैं. लकड़ी, कोयला या कचरा जलाकर खाना पकाने से निकलने वाला धुआं फेफड़ों के कैंसर का सबब बन सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, रसोई से उठने वाला धुआं हर साल क़रीब 38 लाख लोगों की मौत का ज़िम्मेदार होता है.

इसके अलावा खाना पकाने के दौरान अन्य चीज़ों से निकलने वाला धुआं भी घातक हो सकता है.

2017 की एक स्टडी के अनुसार, पकाने के तेल से निकलता धुआं, फेफड़ों के कैंसर के ख़तरे को बढ़ा सकता है. अक्सर खाना पकाने की ज़िम्मेदारी महिलाओं की होती है. तो तेल का धुआं उनके लिए ज़्यादा जानलेवा साबित हो सकता है. इसमें भी, हल्के तेल में भूनना, तेल में डीप फ्रांइग के मुक़ाबले ज़्यादा ख़तरनाक होता है.

अगर गर्भवती महिलाएं, जलते हुए तेल के क़रीब ज़्यादा समय तक रहती हैं, तो उनके होने वाले बच्चे पर भी इसका बुरा असर पड़ता है. उनका वज़न घट सकता है. ताइवान में हुए एक अध्ययन के अनुसार सूरजमुखी के तेल से ज़्यादा ख़तरा है. वहीं पाम ऑयल, सफ़ेद सरसों और देसी घी से निकलने वाला धुआं उतना ख़तरनाक नहीं होता.

पके हुए मांस का डायबिटीज़ से संबंध

खाना पकाती महिला
Getty Images
खाना पकाती महिला

अगर लाल मांस को सीधे लौ पर रख कर पकाया जाता है, तो वो ज़्यादा ख़तरनाक हो जाता है. मांस को बहुत तेज़ या सीधी आंच पर पकाने से महिलाओं में डायबिटीज़ का ख़तरा बढ़ जाता है. लाल मांस, चिकन या मछली को महीने में पंद्रह बार खाने वालों को टाइप 2 डायबिटीज़ होने का डर बढ़ जाता है.

खाना पकाने के नए विकल्प-

पिछली एक सदी में खाना पकाने के नए माध्यमों का विकास हुआ है. जैसे कि माइक्रोवेव, इंडक्शन चूल्हे और टोस्टर जैसी चीज़ें आज कम-ओ-बेश हर घर में मिल जाती हैं.

वैज्ञानिक लगातार ये कहते आ रहे हैं कि माइक्रोवेव में खाना पकाना सेहत के लिहाज़ से सबसे अच्छा है.

वैज्ञानिकों को रिसर्च से मिले सबूत बताते हैं कि सब्ज़ियों के विटामिन बचाने का सबसे अच्छा तरीक़ा है कि उन्हें कम से कम देर के लिए पकाया जाए. और पकाने में पानी का कम से कम इस्तेमाल हो. ऐसे में माइक्रोवेव सबसे अच्छा तरीक़ा है, खाना पकाने का, जो खाना उबालने से भी अच्छा विकल्प है. सब्ज़ियों को अगर स्टीम करके खाया जाए, तो उससे सब्ज़ियों के ज़्यादातर पोषक तत्व बच जाते हैं.

खाना पकाना
Getty Images
खाना पकाना

खाना पकाने का सबसे ख़राब तरीक़ा, डीप फ्राइंग को माना जाता है. क्योंकि तेज़ आंच में पकाने से तेल में कई केमिकल रिएक्शन होते हैं. और ये सेहत के लिए ख़तरा बन जाते हैं.

हालांकि, सारे तेल के साथ ऐसा नहीं है, जैसे कि जैतून का तेल. वो नारियल के तेल के मुक़ाबले कम तापमान पर गर्म हो जाता है. इसलिए जैतून का तेल, खाना पकाने का अच्छा विकल्प है.

हालांकि, खाना पकाने में सेहत को जोखिम तो होता है. लेकिन, कच्चा खाना खाने के मुक़ाबले ये ख़तरा कम ही है. क्योंकि, जर्मनी में लगातार कच्चा खाना खाने वालों पर हुई एक रिसर्च में पाया गया कि उनके वज़न में लगातार गिरावट देखी गई. वहीं, एक तिहाई महिलाओं के पीरियड होने बंद हो गए.

जेना मैकियोची कहती हैं कि, 'मांस या कार्बोहाइड्रेट को पका कर खाने से हमें इनके ज़्यादा पोषक तत्व मिलते हैं.'

अब हमारे आदिम पुरखे आख़िर ग़लत कैसे हो सकते हैं.

BBC Hindi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Cooking hazards from that you are unaware of
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X