सरकार करने जा रही हैं ऑनलाइन ऑफर्स की मॉनीटरिंग
बेंगलुरु।ऑनलाइन शॉपिंग आसान तरीका तो है, लेकिन कई बार इसमें फायदे की जगह उपभोक्ता को नुकसान भी सहना पड़ता हैं। त्योहार के सीजन में इन दिनों ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ग्राहकों को लुभाने के लिए भारी छूट की पेशकश कर रहे हैं,क्योंकि भारतीय त्योहारी सीजन के दौरान बड़े स्तर पर खरीदारी करते हैं। अच्छे डिसकाउंट के लालच में लोग फंस जाते हैं और कंपनियों की ठगी का शिकार हो जाती हैं। लेकिन अब चिंता करने की जरुरत नहीं हैं केन्द्र में बैठी मोदी सरकार ने अब इस पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली हैं। अब ई-कॉमर्स कंपनियों की सरकार जांच करवाएगी। सरकार फिल्पकार्ट और ऐमजॉन समेत अन्य कंपनियां जो कस्टमर को आफर्स का दावा करती हैं और विभिन्न ब्रांडों पर भारी छूट का दावा करती हैं उनकी सरकार मॉनीटरिंग करने का मन बना चुकी हैं। जिसके बाद फेस्टिव सीजन में हर साल अरबों डॉलर का कारोबार करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों पर शिकंजा कस जाएगा। इनता ही नहीं ग्राहकों से फ्राड करने वाली कंपनियों के पकड़े जाने के बाद उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।
बता दें फ्लिपकार्ट, ऐमजॉन पर भारी छूट दिए जाने के आरोपों की जांच कर रही है। सरकार भारी छूट के साथ बाजार बिगाड़ने वाली कीमत पर उत्पादों को बेचे जाने के आरोपों को लेकर ई-कॉमर्स कंपनियों फ्लिपकार्ट और ऐमजॉन की जांच कर रही है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल बताया कि इन कंपनियों को विस्तृत सवाल भेजे गए हैं और उनके जवाब का इंतजार है। गोयल ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि किसी तरह का उल्लंघन पाया जाता है तो कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। माना जा रहा हैं कि सरकार की मॉनीटरिंग होने से कंस्टमर के साथ हो रही धोखाधड़ी नहीं हो सकेगी।
गौर करने वाली बात ये हैं कि ई-कॉमर्स कंपनियों ने पिछले एक पखवाड़े में अपने मंच से तीन अरब डॉलर का सामान बेचा है। आमतौर पर इन कंपनियों की सालाना बिक्री का आधा त्योहारी मौसम में ही बेचा जाता है। 'ई-कॉमर्स कंपनियं कंस्टमर को छूट या रियायत देकर देकर मोटी कमाई करती हैं। गौरतलब हैं कि व्यापारियों के संगठन फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने पिछले सोमवार को गोयल को पत्र लिखकर ई-कॉमर्स कंपनियों के व्यापार मॉडल की जांच कराने की मांग की थी। कैट ने यह भी कहा था कि फ्लिपकार्ट और ऐमजॉन दावा करती हैं कि यह छूट विभिन्न ब्रांडों द्वारा दिया जा रहा है। ऐसे में सचाई का पता लगाने के लिए प्रमुख ब्रांडों के साथ बैठक बुलाई जानी चाहिए। कैट ने कहा कि त्योहारी सीजन के दौरान विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफार्मो द्वारा दी जाने वाली बड़ी छूट का प्रचलन विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) नियमों के खिलाफ है।
झूठा ऑफर दिखाकर करते हैं ठगी
ऑनलाइन शॉपिंग में कई बार ऐसे मामले आए है जब झूठा ऑफर दिखाकर बाद में कंपनियों ने भारी कीमत वसूली के मामले सामने आए हैं। कुछ वर्षों पूर्व फ्लिपकार्ट पर एक फुटवियर पर झूठा डिस्काउंट दिखाया जा रहा था। कीमत जितनी थी उससे ज्यादा दिखाकर डिस्काउंट पर उसे कम किया गया था। ये किस्सा भी बहुत चर्चा में रहा था।
कई बार ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर आपको इस प्रोडक्ट को लेकर बड़ा डिस्काउंट दिखेगा. 50% या 60% डिस्काउंट तो ये वेबसाइट्स आसानी से दे देती हैं। दरअसल डिस्काउंट के नाम पर प्रोडक्ट की कीमत कम नहीं होती बल्कि एमआरपी ज्यादा दिखाकर डिस्काउंट के नाम पर कीमत उतनी ही कर देते हैं। ऐसे में लोगों को लगता है कि भारी फायदा हो रहा है, लेकिन असल में वो उतना ही दे रहे होते हैं। इतना ही नहीं ब्रांडेड कंपनियों के प्रोडक्ट की कीमत शो रुम में और ऑन लाइल में इन कंपनियों के ऑफर में जमीन आसमान का अंतर होता हैं। सरकार यह छानबीन कर रही हैं कि आखिर ब्रांडेड कंपनियां जिनके प्रोडक्ट ऑनलाइन ऑफर में इतने सस्ते बिक रहे हैं उनके पीछे सच्चाई क्या हैं। कई मामले ऐसे हैं जिनमें प्रोडक्ट की क्वालटी वैसी नही होती जैसा कंपनी द्वारा दावा किया जाता हैं। कई बार शिकायत करने के बाद भी सफलता न मिलने पर ग्राहक घाटा सह कर शांत हो जाता हैं।
कुछ ऐसा ही हुआ था 2016 में दिल्ली स्थित UIMI टेक्नोलॉजी कंपनी ने एक खास प्रोडक्ट लॉन्च किया। मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत कंपनी ने अपना पहला पावर बैंक UIMI U3 पेश किया है जिसमें सोलार चार्जिंग की सुविधा थी। 6000 mAh पावर का ये पावरबैंक सिर्फ 799 रुपए में लॉन्च किया गया।जब इस प्रोडक्ट को खरीदने की कोशिश की गई तो लंबा-चौड़ा डिस्काउंट दिखा। अब जब कीमत पहले से पता हो तो डिस्काउंट देखकर थोड़ा अचरज हुआ। जिस भी साइट पर देखो प्रोडक्ट की अलग कीमत अलग थी। बात कुछ ऐसी है कि 10-20 रुपए का अंतर तो साइट्स पर था ही, लेकिन डिस्काउंट कुछ ज्यादा ही दिखा रहा था। इसकी पड़ताल करने के बाद पता चला की डिस्काउंट तो फेक है। जब साइट की टर्म्स एंड कंडीशन पढ़ी गईं तो पता चला कि साइट पर प्रोडक्ट्स की कीमत कभी भी ऊपर-नीचे की जा सकती है। जी हां, प्रोडक्ट चाहें कोई भी हो उसकी कीमत में बदलाव किया जा सकता है। इसके अलावा, एक डिस्क्लेमर मैसेज भी दिया गया था जिसमें लिखा था कि किसी भी प्रोडक्ट की कीमत टेक्निकल एरर, सेल टाइम, डिस्काउंट, टाइपिंग की गलती या बेचने वाले के द्वारा दी गई गलत जानकारी के कारण बदल सकती है।
जब मोबाइल की जगह मिली कस्टमर को साबुन की टिकिया
कुछ समय पूर्व लखनऊ में ऑनलाइन ठगी के एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ था। जिसमें शातिर आरोपियों ने अमेजन कंपनी के दो करोड़ की कीमत के आई फोन एक्स और वन प्लस 6 टी के मोबाइल का चूना लगाया था। अरोपियों ने अमेजन शॉपिंग वेबसाइट पर शापिंग के लिए फर्जी आईडी बना रखी थी। यह जब कोई ग्राहक अमेजन से कोई आर्डर बुक करता था कि तो यह लोग डिलीवरी होते ही पैकेट से प्रोडक्ट हटाकर उसे लौटाने का खेल करते थे। ऑनलाइन शॅपिंग के लिए अमेजन साइट पर अपने फर्जी नाम से रजिस्ट्रेशन कराकर आई फोन एक्स और वन प्सल 6 टी मोबाइल जैसे सबसे मंहगे फोन का आर्डर ही लेते थे। कंपनी की तरफ से जब डिलीवरी होने पर ये लोग रास्ते में ही कहीं रोककर डिलिवरी ब्वॉय को बातों में फंसा लेते और ओरिजनल प्रोडक्ट अंदर से निकालकर उसमें साबुन रखकर पैकेट फिर बंद देते थे। जो कंस्टमर को मिलती थी। कई शिकायत मिलने पर इस रैकेट का पर्दाफाश हुआ था।
डोमेन नेम के साथ नकली साइट बनाकर होती है ठगी
ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज बढ़ने के साथ-साथ ऑनलाइन ठगी के मामलों में भी बढ़ोतरी हो रही है। ठगी करने वाले नए-नए तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं। ई-कॉमर्स तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में ठगों ने भी ऑनलाइन शॉपिंग, बैंक ट्रांजेक्शन से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह अड्डा जमा लिया है। इधर आपका इंटरनेट शुरू होता है, दूसरे छोर पर ठगी करने वाले सक्रिय हो जाते हैं। इस दौरान छोटी से छोटी चूक की कीमत लाखों में चुकानी पड़ती है। टेक्नोलॉजी की अच्छी समझ रखने वाले ठग कई बार एक जैसे दिखने वाले लोगो और डोमेन नेम के साथ नकली साइट बना लेते हैं, जो बिल्कुल असली जैसी दिखती है। इसे ओपन करने पर यह बिल्कुल असली साइट के जैसी ही दिखती है। हालांकि, असली साइट से इसका कुछ भी लेना-देना नहीं होता है। इन साइट्स पर काफी कम कीमत में सामान दिखाया जाता है, जिससे प्रभावित होकर ग्राहक उस वेबसाइट से सामान खरीद लेते हैं। ग्राहकों से पेमेंट लेने के बाद ये लिंक डिएक्टिवेट हो जाते हैं।
एप का क्लोन बनाकर भी होती है ठगी
गूगल प्ले स्टोर पर एप लॉन्च करना बेहद ही आसान है। इसका फायदा उठाकर ठगी करने वाले ई-कॉमर्स वेबसाइट्स के एप का क्लोन बनाकर उसे गूगल प्ले स्टोर पर अपलोड कर देते हैं। जब लोग गूगल प्ले स्टोर पर किसी एप को सर्च करते हैं, तो कई बार आप क्लोन एप को ही असली एप समझकर डाउनलोड कर लेते हैं और उनके जरिए ही ऑनलाइन खरीदारी करने लगते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए आपको चाहिए कि जिस भी ई-कॉमर्स साइट का एप डाउनलोड करना चाहते हैं, उसे उसकी वेबसाइट पर दिए गए एप डाउनलोड लिंक पर क्लिक करें।
यह लिंक उपभोक्ता को गूगल प्ले स्टोर पर रीडायरेक्ट कर देता है, जहां से ऑफिशियल एप डाउनलोड किया जा सकता है। इसमें ठग लोगों को फोन करते हैं और उन्हें बताते हैं कि उनको फलां कंपनी की तरफ से उन्हें लकी कस्टमर चुना गया है। वे यह भी बताते हैं कि लकी कस्टमर होने के कारण उनको 30 हजार या 40 हजार का मोबाइल सिर्फ पांच हजार या सात हजार में मिलेगा। इसके लिए आपको पैसे कंपनी के अकाउंट में जमा कराने होंगे। आईएमपीएस (इमीडिएट पेमेंट सर्विस) जैसी तकनीक आ जाने से किसी को पेमेंट करते समय सामने वाले खाताधारक के नाम की खास जरूरत नहीं होती है। यदि खाताधारक का नाम गलत भी है, तो भी पैसे उसके अकाउंट में चले जाएंगे। ऐसे में ठग कंपनी का फर्जी नाम बताकर पेमेंट ले लेते हैं। इस तरह की ठगी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि इन फोन कॉल्स के चक्कर में न पड़ें। कोई भी कंपनी इस तरह फोन करके ऑफर नहीं देती है।
सोशल मीडिया के जरिए भी हो रहा फ्राड
सोशल मीडिया पर भी ये फ्राड खूब हो रहा हैं। अकाउंट हैक करके उसके नाम से एक डुप्लिकेट अकाउंट बना कर और फिर उसकी फ्रेंड लिस्ट में शामिल लोगों से मदद के नाम पर पैसा मांग कर खूब ठगी कर रहे हैं। ऐसे में कई बार लोग दोस्त समझकर पैसा दे देते हैं, जबकि कोई ठग दोस्त के नाम पर फर्जी अकाउंट से पैसा वसूल रहा होता है। यह ऑनलाइन ठगी का नया ट्रेंड है। ठग फोन करके यूजर को किसी नंबर पर एसएमएस करने को कहते हैं और उसके एसएमएस करने के बाद उसका नंबर खुद अपने पास एक्टिवेट करवा लेते हैं। नंबर एक्टिवेट करवाने के बाद उस नंबर से रजिस्टर्ड बैंक अकाउंट या वॉलेट से पैसे अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं। इस तरह की ठगी से बचने के लिए जरूरी है कि किसी भी अनजान व्यक्ति के कहने पर किसी भी नंबर पर मैसेज न करें। इसके अलावा किसी के साथ अपने क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड की डिटेल्स न शेयर करें और न ही किसी को ओटीपी बताएं।