ऑनलाइन गर्भपात पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती मोदी सरकार
ऑनलाइन गर्भपात के बढ़ते बाजार पर लखनऊ के मानवशास्त्री डा. आलोक चांटिया का कहना है कि नरेंद्र मोदी की सरकार के आने के बाद भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के ढोल पीटे जा रहे हैं, लेकिन यह ऐसा क्षेत्र है, जिस पर सरकार चाह कर भी प्रतिबंध नहीं लगा पायेगी।
पर ऐसा क्यों?
हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में न्यायपालिका सबसे ऊपर है, पार्लियामेंट्री से भी ऊपर। तो जब न्यायालय ने लिव इन रिलेशन पर प्रतिबंध नहीं लगा रखा है, तो ऑनलाइन गर्भपात पर कैसे प्रतिबंध लगायेगी।
दूसरी बात शादीशुदा या गैरशादीशुदा दोनों महिलाओं पर गर्भपात कराने पर कोई रोक-टोक नहीं है। ऐसे में अगर लड़कियां ऑनलाइन सुविधा के जरिये गर्भपात कराती हैं, तो उनकी निजता के अधिकार का हनन होगा। ऐसे में इसे रोकने का सिर्फ एक रास्ता है। वो है दवाओं पर नियंत्रण स्थापित करना।
हम आपको बताना चाहेंगे कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत महिला मृत्यु दर में सालाना आठ प्रतिशत मृत्यु दर (अर्थात 4600 मृत्यु) गर्भपात के कारण होती है। मेडिकल अबॉर्शन, गर्भपात की सरल प्रक्रिया है लेकिन यह हमेशा किसी डॉक्टर की देखरेख में ही किया जाना चाहिए।