मां के छठे रूप 'कात्यायनी' के दर्शन से हर मुराद पूरी
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
कहते हैं कि कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी माँ भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। माँ भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। जिसके बाद से मां का नाम कात्यायनी पड़ा। मां अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं करती हैं। मां का यह रूप बेहद सरस, सौम्य और मोहक है। नवरात्र के दिनों में मां की सच्चे मन से पूजा की जानी चाहिए। लोग घट स्थापित करके मां की उपासना करते हैं जिससे खुश होकर मां हमेशा अपने बच्चों की झोली भर देती है।
वैसे तो मां का हर रूप अपने भक्तों की प्रार्थना सुनता है। लेकिन राजस्थान के माउंटआबू का अर्बुदा देवी मंदिर, अधर देवी शक्तिपीठ में मां कत्यानी की एक पौराणिक मूर्ति हैं, कहते हैं कि यहां मां सती के होंठ गिरे थे, यहां लोग दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं, मां अपने सारे बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करती हैं।