क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

बजट में मोदी सरकार से कितनी उम्मीदें पूरी हुईं और कितनी रहीं बाक़ी

साल 2022-23 के बजट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीपुल फ़्रेंडली और प्रोग्रेसिव बताया है तो विपक्ष इसे ग़रीबों के ख़िलाफ़ बता रहा है. आइए आसान शब्दों में जानते हैं इस बजट से आख़िर क्या हासिल हुआ.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
निर्मला सीतारमण
BBC
निर्मला सीतारमण

यह बजट इस लिहाज़ से बहुत बढ़िया है कि इसमें कोई एक पक्ष ऐसा नहीं, जो दूसरों पर हावी हो जाए. निराकार ब्रह्म की तरह. जिसे जैसा पसंद आए वो वैसी कल्पना कर ले, वैसी तस्वीर देख ले. जिससे पूछा उसने यही कहा कि इस बजट की सबसे बड़ी ख़ासियत यही है कि इसमें कोई ख़ासियत नहीं, यानी हेडलाइन नहीं है.

पार्टी लाइन पर चलने वालों के लिए तो बहुत आसान होता है बजट का विश्लेषण. और नहीं भी होता तब भी वो अपने झुकाव के हिसाब से ही तारीफ़ या आलोचना करते. लेकिन बारीकी से देखें तो बजट में कुछ ऐसी ख़ास बातें हैं जिनसे इसका असर और दिशा साफ़ हो सकती है.

सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस बजट से ऐसे ज़्यादातर लोगों को निराशा हाथ लगी है, जो कुछ न कुछ पाने की उम्मीद में थे. उनमें एक बड़ा वर्ग तो इनकम टैक्स भरने वालों का है और दूसरा उससे बड़ा उन लोगों का वर्ग है जिन्हें सरकारी योजनाओं में पैसा या अनाज या काम दिया जा रहा है.

इन सभी को उम्मीद थी कि सरकार की कमाई अब पटरी पर आ रही है और वो उन्हें भी कुछ ऐसा देगी जिससे अपनी ज़िंदगी पटरी पर लाने में और मदद मिल सके. ज़ाहिर है वे निराश हैं और मिडिल क्लास यह बात साफ़-साफ़ कह भी रहा है.

डायरेक्ट टैक्स के मामले में ज़्यादातर लोगों को पता था कि कुछ ख़ास मिलने वाला नहीं है और ऐसा ही हुआ. छोटे कर दाताओं के अलावा ज़्यादातर लोगों के लिए यह राहत की बात ही थी कि कोई नया बोझ नहीं पड़ा.

2047 तक का ख़ाका खींचा

शेयर बाज़ार इस बात से ख़ुश है कि सरकार ने बड़ी बड़ी योजनाओं पर काफ़ी कुछ ख़र्च करने की योजना बना ली है और अगले 25 साल तक का ख़ाका भी खींच दिया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण के पहले हिस्से में जो चार स्तंभ गिनाए, उनमें पहला यानी 'ऑपरेशन गति शक्ति' देखने में भले में रूखा सूखा एलान लग सकता है, लेकिन उसके भीतर काफ़ी कुछ छिपा है. तमाम छोटे बड़े उद्यमियों को दिखने भी लगा है कि कैसे यह प्रोजेक्ट उनकी ज़िंदगी बदल सकता है. लेकिन सच्चाई यह है कि इसमें अभी बहुत वक़्त लगनेवाला है.

अभी बजट से पहले लोग जानना चाहते थे कि महंगाई और बेरोज़गारी से निपटने के लिए बजट क्या करेगा, तो यहां चिंता कम करने वाले कोई संकेत नहीं दिखते. ख़ासकर महंगाई के मोर्चे पर. 60 लाख रोज़गार की बात वित्त मंत्री ने बिल्कुल शुरू में ही की, लेकिन यह आंकड़ा हासिल करने का काम भी लंबा है, रातोंरात यह होने वाला नहीं है.

चुनावी बजट न बनाने की दिखाई हिम्मत

सरकार ने हिम्मत तो दिखाई है कि चुनाव सामने होने के बावजूद ऐसा कोई एलान नहीं किया जिसे चुनावी एलान कहा जा सके. लेकिन यह हिम्मत दिखाने में वो थोड़ा संकोच कर गई कि इस वक़्त विकास को गति देने के लिए ग़रीबों से लेकर मध्य वर्ग तक की जेब में कुछ रक़म डाले ताकि वो उसे ख़र्च करें और बाज़ार में कारोबार तेज़ हो सके.

आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर देश 'अमृत काल' में प्रवेश कर रहा है और इस बजट में अगले 25 साल की योजनाएं बनाई गई हैं.

बुनियादी ढांचे और निवेश की योजनाएं देश का नक़्शा बदलने की क्षमता रखती हैं और क़िस्मत भी. यह अच्छा है कि सरकार लंबे दौर की सोच रही है. लेकिन उसे याद रखना चाहिए कि जनता अमृत पीकर नहीं बैठी है. यदि उसे रोटी पानी आज चाहिए तो आज ही देनी होगी, भविष्य के सपने शायद उसके लिए किसी काम के होंगे नहीं.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
How many expectations were fulfilled from the budget 2022
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X