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Iran and UK: ईरान ने दी ब्रिटिश जासूस को मौत, इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान और ब्रिटेन बने दुश्मन

ब्रिटेन और ईरान के बीच रिश्ते साल 1950 से अब तक बनते और बिगड़ते आए हैं। वहीं कई बार ईरान को ब्रिटेन के आगे झुकना भी पड़ा।

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Iran britain enemies after the Islamic Revolution hangs British spy

Iran and UK: कुछ दिन पहले वर्ष 2000 से 2008 तक ईरान के उप रक्षामंत्री रहे अली रजा अकबरी को उनको ही देश में फांसी दे दी गई है। इस फांसी की वजह से ईरान और ब्रिटेन के बीच तनाव पैदा हो गया है। दरअसल, ईरान में ब्रिटिश खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी के आरोप में अली रजा अकबरी को फांसी पर लटकाया गया है। गौरतलब है कि अकबरी के पास दोहरी नागरिकता (ईरान-ब्रिटेन दोनों) थी। हालांकि, अकबरी को फांसी की सजा को लेकर कई पश्चिमी देशों ने इसका विरोध किया था। साथ ही ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि इस कायरतापूर्ण कृत्य को उस बर्बर शासन की ओर से अंजाम दिया गया है, जो अपने लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान नहीं करता है।

वैसे ब्रिटिश-ईरानी संबंधों में खटास कोई नयी बात नहीं है। इनके बीच दशकों से तनावपूर्ण रिश्ते रहे हैं। दरअसल, पहले और दूसरे विश्वयुद्धों के दौरान पश्चिम एशिया के देशों में कच्चे तेल के कई बड़े भंडार मिले थे। इसमें शिया बहुल ईरान भी शामिल था। तब ब्रिटेन की एंग्लो-पर्शियन ऑइल कंपनी ने ईरान में मिले तेल को निकालने का जिम्मा उठाया। साल 1945 में दूसरा विश्वयुद्ध खत्म हुआ, तो ईरान में पहलवी राजवंश का शासन चल रहा था। उसी समय ईरान में लोकतंत्र और राजतंत्र के बीच रस्साकशी चल रही थी। दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने पश्चिम एशिया में कई नए देश बना दिए और उन पर अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए अपने पसंदीदा लोगों को वहां का नेतृत्व सौंप दिया। फिर साल 1949 में ईरान में नया संविधान बना जिसके मुताबिक प्रधानमंत्री नियुक्त किये गए लेकिन कोई भी दो-चार महीनों से ज्यादा सत्ता नहीं संभाल सका।

ब्रिटेन ने किया ईरान में तख्तापलट

फिर साल 1952 में मोहम्मद मोसद्दिक ईरान के प्रधानमंत्री बने। वे ईरान की तेल कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करना चाहते थे। इसी को लेकर ब्रिटेन और ईरान आमने-सामने आ गए। जहां ब्रिटेन ने कहा कि कंपनी हमारी है, तो दूसरी तरफ ईरान ने कहा कि तेल हमारा है। इसी बीच 1953 में मोसद्दिक का तख्तापलट हो गया, जिसमें ब्रिटेन की भूमिका बताई जाती है। इस तख्तापलट के बाद प्रधानमंत्री पद की अहमियत कम हो गयी और मोहम्मद रजा शाह पहलवी को देश का सर्वेसर्वा बना दिया गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच तकरीबन दो दशकों तक रिश्ते सामान्य हो गए।

द सैटेनिक वर्सेज ने मचाया बवाल

साल 1979 में जब ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई और ब्रिटेन के 'संरक्षण' में बने मोहम्मद रजा शाह पहलवी की सरकार हटा दी गयी तो वहां गृहयुद्ध शुरू हो गया। इसके बाद यहां पर अयातुल्लाह खोमैनी को देश का सर्वोच्च नेता चुना गया। साल 1980 में खौमैनी की सरकार बनने के बाद ब्रिटेन ने तेहरान में अपना दूतावास बंद कर दिया। फिर 1988 में ब्रिटेन ने ईरान के साथ राजनयिक संबंध बहाल कर लिए। इसके बाद, फरवरी 1989 में 'द सैटेनिक वर्सेज' किताब में कथित तौर पर ईशनिंदा के खिलाफ ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी को जान से मारने का ईरान में फतवा जारी कर दिया गया। एक बार फिर, ब्रिटेन ने ईरान से अपने राजनयिक संबंध लगभग तोड़ लिए जिन्हें 1990 में आंशिक रूप से बहाल किया गया।

ईरान के आतंकी सगंठनों से लिंक

साल 1994 में ब्रिटेन ने ईरान पर गैरकानूनी आतंकवादी संगठन आयरिश रिपब्लिकन आर्मी (IRA) के साथ संबंध का आरोप लगाया। इस आरोप से ईरान ने साफ इंकार किया लेकिन दोनों देशों के बीच संबंध फिर से बिगड़ गये। IRA मुद्दे पर ईरान और ब्रिटेन ने अपने-अपने राजनयिकों को फिर से वापस बुला लिया। यह संबंध 1999 में जाकर ठीक हुए।

संबंधों में उतार-चढ़ाव

रिश्तों में बदलाव लाने के लिए सितंबर 2001 में ब्रिटिश विदेश मंत्री जैक स्ट्रॉ ने अमेरिका पर 9/11 हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी गठबंधन को मजबूत करने के लिए ईरान का दौरा किया। तब रिश्ते थोड़े संभले ही थे कि 2005 में दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गयी।

इस बार ब्रिटेन का कहना था कि उसके पास इस बात के सबूत हैं कि ईरान या ईरान समर्थित लेबनानी आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह ने ईराक में ब्रिटिश सैनिकों को मारने की नियत से सड़क किनारे बम लगाए थे। उसी वर्ष, ईरान के कुछ इलाकों में बम विस्फोट हुए जिसमें 6 ईरानी नागरिक मारे गए और सैंकड़ों घायल हुए। तब ईरान ने इसके पीछे ब्रिटेन का हाथ बताया, जिससे ब्रिटेन ने साफ इनकार कर दिया।

इसके बाद मार्च 2007 में ईरानी सुरक्षाबलों ने ईरान और इराक को अलग करने वाले शट्ट अल-अरब नदी के जलमार्ग में आठ ब्रिटिश रॉयल नेवी सैनिकों सहित सात लोगों को पकड़ा। हालांकि, इन सैनिकों को बाद में रिहा कर दिया गया। फिर साल 2007 में 'द सैटेनिक वर्सेज' के लेखक सलमान रुश्दी को ब्रिटिश नाइटहुड का पुरस्कार दिया गया। जिससे ईरान इतना गुस्से में आ गया कि उसने अपने विदेश मंत्रालय में ब्रिटिश राजदूत को तलब कर दिया।

ईरान के परमाणु कार्यक्रम ने बढ़ा दी मुश्किलें

जून 2009 में ईरान के विवादित परमाणु कार्यक्रम को लेकर पश्चिमी देशों ने ईरान पर कई प्रतिबंध लगा दिए। इसी के तहत ब्रिटेन ने कई ईरानी संपत्तियों को भी जब्त कर लिया। इन सब उठापटक के बीच, ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अली खामनेई ने ब्रिटेन को विश्वासघाती दुश्मन करार दिया। एक बार फिर लंदन और तेहरान दोनों ने अपने-अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया।

साल 2011 में ब्रिटेन ने ईरान पर वित्तीय प्रतिबंध लगा दिए। ब्रिटेन के सभी वित्तीय संस्थानों को ईरानी समकक्षों और ईरान के केंद्रीय बैंक के साथ व्यापार बंद करने का आदेश दिया गया। दूसरी ओर ईरान की गार्जियन काउंसिल ने ब्रिटेन के साथ संबंधों को कम करने वाले एक संसदीय विधेयक को मंजूरी दी। तब नवंबर 2011 में ब्रिटेन ने लंदन स्थित ईरान दूतावास को बंद कर दिया।

परमाणु कार्यक्रम को लेकर झुका ईरान

साल 2015 में ईरान ने थोड़ी नरमी दिखाई और अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और चीन के साथ एक परमाणु समझौता किया। समझौते के तहत ईरान ने कई विदेशी प्रतिबंधों को हटाने के बदले में अपने परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाया। तब ब्रिटेन के साथ राजनयिक संबंध बहाल होने के कुछ समय बाद ईरान ने फिर से लंदन में अपना दूतावास खोला। वहीं अप्रैल 2016 में ईरान ने ब्रिटिश-ईरानी सामाजिक कार्यकर्ता नाजनीन जगारी-रैटक्लिफ को जासूसी के आरोप में हिरासत में ले लिया। नाजनीन को पांच साल की सजा सुनाई गईं। तब भी दोनों देशों के बीच विवाद देखने को मिला।

एक बार फिर दोनों देश आ गए आमने-सामने

मई 2019 में ट्विटर ने अली खामनेई के एक ट्वीट पर हटा दिया। दरअसल, खामनेई का वह ट्वीट सलमान रुश्दी के खिलाफ था। अगस्त 2022 में सलमान रुश्दी पर न्यूयॉर्क में एक साहित्यिक कार्यक्रम के दौरान मंच पर चाकू मार दिया गया। इसका आरोप भी ईरान पर लगाया गया। इस पर ईरान ने पलटवार करते हुए कहा कि किसी को भी तेहरान पर आरोप लगाने का अधिकार नहीं है। वहीं नवंबर 2022 में ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी के प्रमुख ने दावा किया था कि ईरान की खुफिया एजेंसियों ने ब्रिटेन में कई लोगों के अपहरण एवं हत्या के कम-से-कम 10 प्रयास किए हैं।

रिवोल्यूशनरी गार्ड को आतंकी घोषित कर सकता है ब्रिटेन?

अब ईरान में हिजाब को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। इसी बीच ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों को लेकर ब्रिटेन से संबंध रखने वाले सात लोगों को गिरफ्तार किया। तब ऐसा कहा गया ब्रिटेन, ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड को एक आतंकवादी ग्रुप घोषित कर सकता है।

यह भी पढ़ें: ईरान ने रक्षा विभाग के पूर्व अधिकारी को चढ़ाई फांसी, अमेरिका समेत पश्चिमी देश करते रह गये अपील

English summary
Iran britain enemies after the Islamic Revolution hangs British spy
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