Jaypee Builder: जेपी ग्रुप फिर दिक्कत में, 400 घर खरीदार पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। जेपी ग्रुप एक बार फिर से दिक्कत में पड़ गया है। जेपी ग्रुप से घर खरीदने वाले करीब 400 घर खरीददारों के एक समूह ने उपभोक्ता कानून के तहत प्रोटेक्शन के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। वह चाहते हैं कि उन्हें उपभोक्ता कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट से प्रोटेक्शन दिया जाए। आपको बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जेपी इंफ्राटेक (jaypee builder) को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी।
सुप्रीम
कोर्ट
लगा
चुका
है
जुर्माना
सुप्रीम
कोर्ट
की
तरफ
से
जेपी
ग्रुप
को
पहले
भी
एक
बड़ा
झटका
लगा
है।
दरअसल,
जेपी
ग्रुप
ने
नोएडा
के
केलिप्सो
प्रोजेक्ट
में
देरी
की
है,
जिसके
चलते
जेपी
ग्रुप
पर
जुर्माना
लगाया
गया
था।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
आदेश
दिया
था
कि
जेपी
ग्रुप
10
खरीददारों
को
हर्जाना
देगा।
इन
सभी
खरीददारों
को
5-5
लाख
रुपए
का
जुर्माना
देने
का
आदेश
दिया
था।
इस
तरह
जेपी
ग्रुप
पर
कुल
मिलाकर
50
लाख
रुपए
का
जुर्माना
लगाया
गया
है।
दिवालिया
होने
वाली
थी
जेपी
की
कंपनी
जेपी
ग्रुप
की
कंपनी
जेपी
इंफ्राटेक
पर
दिवालिया
घोषित
होने
की
तलवार
लटक
रही
थी।
नेशनल
कंपनी
लॉ
ट्रिब्युनल
ने
जेपी
इंफ्राटेक
को
दिवालिया
घोषित
करने
की
प्रक्रिया
भी
शुरू
कर
दी
थी।
ट्रिब्युनल
ने
यह
फैसला
बैंकों
की
गुहार
के
बाद
लिया
था।
दरअसल,
कंपनी
पर
बैंकों
का
काफी
बकाया
है,
जो
वापस
न
मिलने
की
सूरत
में
बैंकों
ने
नेशनल
कंपनी
लॉ
ट्रिब्युनल
का
रुख
किया
था।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
लगा
दी
थी
रोक
नेशनल
कंपनी
लॉ
ट्रिब्युनल
की
तरफ
से
दिवालिया
घोषित
करने
की
प्रक्रिया
शुरू
होने
के
बाद
वह
घर
खरीददार
काफी
घबराए
हुए
थे,
जिन्होंने
जेपी
इंफ्राटेक
में
घर
बुक
कराया
था।
उन
सभी
लोगों
ने
उस
समय
राहत
की
सांस
ली,
जब
सुप्रीम
कोर्ट
ने
दिवालिया
घोषित
करने
की
प्रक्रिया
पर
रोक
लगा
दी।
दरअसल,
कंपनी
ने
नेशनल
कंपनी
लॉ
ट्रिब्युलन
के
फैसले
के
खिलाफ
सुप्रीम
कोर्ट
में
याचिका
दायर
की
थी,
जिसके
बाद
फैसला
कंपनी
के
हक
में
आया।
दिया
था
270
दिन
का
समय
दिवालिया
घोषित
करने
की
प्रक्रिया
काफी
लंबी
होती
है।
इसी
के
तहत
जेपी
इंफ्राटेक
को
270
दिनों
का
समय
दिया
गया
था।
कंपनी
से
कहा
गया
था
कि
वह
इस
अवधि
के
दौरान
अपनी
आर्थिक
स्थिति
सुधार
ले।
अगर
कंपनी
अपनी
आर्थिक
स्थिति
सुधारने
में
कामयाब
रहती
हो
जाती
है
तो
उसे
दिवालिया
घोषित
नहीं
किया
जाएगा।
हालांकि,
यह
समय
पूरा
होने
से
पहले
ही
सुप्रीम
कोर्ट
ने
इस
प्रक्रिया
पर
रोक
लगा
दी।