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उत्तराखंड में शुरू हुआ एक और 'चिपको आंदोलन', 11000 पेड़ों की जिंदगी बचाने सड़क पर उतरे लोग

देहरादून दिल्ली हाइवे एक्सप्रेस में 11 हजार पेड़ों के काटने को लेकर सडकोंं पर सामाजिक संगठन

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देहरादून, 28 सितंबर। उत्तराखंड में पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन तेज हो गया है। राजधानी में जहां भी विकास के नाम पर पेड़ों का कटान हो रहा है। वहीं पर दून के 18 से ज्यादा संगठन पहुंचकर विरोध शुरू करने लगे हैं। जोगीवाला से सहस्त्रधारा चौराहे तक रिंग रोड के विस्तारीकरण में 2200 पेड़ को काटने के विरोध में पेड़ों पर मौली बांधकर विरोध करने के बाद अब संगठनों ने देहरादून दिल्ली हाइवे एक्सप्रेस में 11 हजार पेड़ों के काटने का विरोध भी शुरू कर दिया है। इस अभियान को नो ग्रीनरी, नो वोट का नाम दिया गया है। जिससे जनप्रतिनिधियों को भी अवेयर किया जा सके।

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उत्तराखंड में शुरू हुआ एक और 'चिपको आंदोलन', 11000 पेड़ों की जिंदगी बचाने सड़क पर उतरे लोग
मोहंड पर किया प्रदर्शन

मोहंड पर किया प्रदर्शन

पर्यावरण बचाने और प्रदूषण से दून को बचाने के लिए दून के 18 से ज्यादा संगठन सामने आए हैं। पेड़ों को काटने से बचाने के लिए संगठनों से जुड़े लोग मौके पर पहुंचकर विरोध कर रहे हैं। इतना ही नहीं चिपको मूवमेंट की तरह पेड़ों से चिपक कर ये लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। जिससे सरकार को चेताया जा सके। सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून के हिमांशु अरोड़ा ने बताया कि उन्हें यह जानकारी मिली कि मोहंड के पास 11 मिनट के रास्ते को कम करने के लिए सरकार 11 हजार पेड़ों को कटवाने जा रहा है। जिसका विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में जिस तरह से आए दिन लेंड स्लाइड हो रहे हैं, वैसे ही अब शहरों में भी हाल नजर आएगा। पेड़ों को हरा-भरा रखने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए। न कि अपनी सुविधा के लिए पेड़ों का कटान हो। गांधी जयंती पर स्कूल बच्चों के साथ देहरादून के 18 संगठनों ने मोहंड में आकर विरोध दर्ज कराया है।

वन्यजीवों का भी आशियाना नहीं बचेगा

वन्यजीवों का भी आशियाना नहीं बचेगा

विरोध कर रहे संगठनों का कहना है​ कि सरकार मोहंड से आशारोड़ी तक करोड़ों रुपये खर्च कर एलीवेटेड रोड बनाना चाह रही है, जिसका काम भी शुरू कर दिया गया है। लेकिन परियोजना में राजाजी टाइगर रिजर्व के 11 हजार पेड़ों का कटान होगा। एक तरफ तो सरकार वन्यजीवों के संरक्षण पर जोर दे रही है, वहीं राजाजी टाइगर रिजर्व के हजारों पेड़ों को काटकर वन्यजीवों का आशियाना उजाड़ना चाह रही है। जिसको लेकर सभी संगठन एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं। आंदोलन में आगास, बीन देयर दैट दून, सिटीजन फॉर ग्रीन दून, सिटीजन फॉर क्लीन एंड ग्रीन एमबीएंस, डीएनए, डू नाट ट्रैश, द अर्थ एंड क्लाइमेट इनीशिएटिव, द इको ग्रुप दून, द फ्रेंड आफ दून सोसायटी, फ्राइडे फॉर फ्यूचर, आइडियल फाउंडेशन, खुशी की उड़ान चैरिटेबल ट्रस्ट, मेड बाय बीटीडी, मिट्टी फाउंडेशन, निरोगी भारत मिशन ट्रस्ट, पहाड़ परिवर्तन समिति, पराशक्ति, प्रमुख, राजपुर कम्यूनिटी, तितली ट्रस्ट समेत कई संगठनों का समर्थन प्राप्त है।

मौली बांधकर ले चुके हैं संकल्प

मौली बांधकर ले चुके हैं संकल्प

इससे पूर्व 26 सितंबर को सहस्त्रधारा रोड पर भी चिपको मूवमेंट किया गया। जिसमें सभी लोगों का भारी समर्थन मिला। यहां पर मसूरी जाने के लिए हाइर्व का विस्तारीणकरण किया जा रहा है। जिसके लिए करीब 2100 पेड़ काटने का विरोध किया जा रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में भी 18 सामाजिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था। जिसमें स्कूल बच्चों का विशेष योगदान रहा। बच्चों ने पेड़ों पर मौली बांधकर रक्षा का संकल्प लिया था। अब ये आंदोलन वृहत होता जा रहा है। दून के सामाजिक संगठनों का कहना है कि जहां भी सरकार इस तरह पेड़ों का कटान करने की प्लानिंग करेगी। वहीं वे सभी सामाजिक संगठन पहुंचकर विरोध करेंगें। इसके लिए सभी एकजुट हैं।

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English summary
Another 'Chipko movement' started in Uttarakhand, people came out on the road to save the lives of 11000 trees
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