एक एक कदम से Lac पर कब्जा, जानिए 'सलामी स्लाइसिंग' कैसे बना चीन का अचूक हथियार?
जून 2020 के बाद भारत और चीन के सैनिकों के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में संघर्ष हुआ है और इसके साथ ही चीन की सलामी स्लाइसिंग टेक्टिक फिर से उजागर हो गया है।
India-China troops clash in Arunachal: भारत पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई बड़ी झड़प के बाद से पूरी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी सैनिकों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहा है, यहां तक कि सेना वार्षिक "विंटर पोस्चर", जब सेनाओं की अदला-बदली की जाती है और नये सिरे से सेनाओं को एलएसी पर तैनात किया जाता है, उस वक्त भी भारत पूरी तरह से सावधान है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को बताया कि, "हम कठोर मौसम और इलाके की स्थिति के कारण सैनिकों, युद्धक भंडार, रसद ठिकानों और गोला-बारूद की डिलिवरी को सुनिश्चित कर रहे हैं।"
भारतीय वायुसेना का ड्रिल
इस बीच, भारतीय वायु सेना ने अपने तमाम युद्धक विमानों के साथ भीषण अभ्यास शुरू कर दिया है और इंडियन एयरफोर्स अपने पूर्वी कमान के सभी एयरबेस के साथ मिलकर अभ्यास कर रहा है। जिसमें राफेल फाइटर जेट के साथ साथ सुखोई भी शामिल है। हालांकि, इंडियन एयरफोर्स ने स्पष्ट किया है, कि अभ्यास की ये योजना पहले ही बनाई गई थी और हालिया चीनी सैनिकों के साथ हुए संघर्ष से इसका कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन इंडियन एयरफोर्स ने ये भी साफ किया है, कि इस अभ्यास का मकसद किसी भी पल युद्ध के लिए तैयार होना सुनिश्चित करना है। भारतीय और चीनी सैनिक पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भिड़ गए थे, जो जून 2020 में गलवान घाटी की घातक घटना के बाद पड़ोसियों के बीच इस तरह की पहली मुठभेड़ थी।
9 दिसंबर की है घटना
माना जा रहा है, कि कम से कम छह भारतीय सैनिक घायल हुए हैं और सेना के गुवाहाटी अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा है। वहीं, चीन के कितने सैनिक घायल हुए हैं, इसकी कोई रिपोर्ट चीन ने नहीं दी है। यह घटना 9 दिसंबर को हुई थी, जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 300-400 सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पार घुसपैठ की थी, जिसका वहां तैनात भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़" जवाब दिया था और चीनियों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। कथित तौर पर एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें इंडियन आर्मी के जवानों को चीनी सैनिकों की पिटाई करते हुए देखा जा सकता है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र में युद्धाभ्यास
अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ सीमा पर तनाव बढ़ने के बीच भारतीय वायु सेना ने गुरुवार को राफेल लड़ाकू जेट की पूरी क्षमता के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र को कवर करते हुए एक बड़ा अभ्यास शुरू किया है। इस ड्रिल से परिचित लोगों ने कहा कि, दो दिवसीय मेगा अभ्यास में इसके लगभग सभी फ्रंटलाइन फाइटर जेट्स और क्षेत्र में तैनात अन्य प्रॉपर्टी शामिल हैं। वहीं, इंडियन एयरफोर्स ने अपने एक ट्वीट में कहा कि, "36 राफेल जेट विमानों में से अंतिम राफेल भी इंडियन एयरफोर्स में शामिल हो गया है"। आपको बता दें कि, IAF ने पिछले साल जुलाई में हासीमारा में पूर्वी वायु कमान के अपने 101 स्क्वाड्रन में राफेल विमान को शामिल किया था। भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा कि, अभ्यास की योजना काफी पहले बनाई गई थी और यह तवांग क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों से जुड़ा नहीं है।
'सलामी स्लाइसिंग' की निंदा
वहीं, जनरल नरवणे ने चीन की 'सलामी स्लाइसिंग' रणनीति की आलोचना की है और भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा है कि, "सलामी स्लाइसिंग" रणनीति का सहारा लेकर एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश में चीन काफी पहले से लगा रहा है, लेकिन इस बार भारतीय सेना ने काफी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जनरल नरवणे ने कहा कि, "चीन कई वर्षों से एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है, वास्तव में दशकों से चीन ये कोशिश कर रहा है, और वे इसे बहुत छोटे कदमों से आगे बढ़ा रहे हैं, जो अपने आप में बहुत खतरनाक नहीं दिखते हैं। लेकिन, वे काफी सहज दिखते हैं, जिसे हम सलामी कहते हैं।" वो छोटे-छोटे कदम आगे बढ़ा रहे हैं और एक एक इंच की नीति से भारत की तरफ अपनी कदम बढ़ाते हैं। इससे समय के साथ सौदेबाजी में उन्हें बहुत फायदा हुआ है। यह वह रणनीति है, जिसे उन्होंने अपनाया है और इस रणनीति पर वो लगातार काम करते रहते हैं।"
'LAC पर पोस्ट बनाना चाहती है PLA'
टीओआई ने समचार एजेंसी आईएएनएस के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, कि क्षेत्र में तैनात एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि, गलवान की तरह, चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) एलएसी पर एक ऑब्जर्वेशन पोस्ट (ओपी) स्थापित करने की योजना बना रही थी। सैन्य अधिकारी ने कहा कि, "वहां पहले से ही बहुत ठंड है। अगले कुछ हफ्तों के अंदर एलएसी के करीब के सभी क्षेत्र कई फीट बर्फ से ढके रहेंगे। भारतीय पक्ष में, पर्याप्त आपूर्ति के साथ हमारी अग्रिम चौकियों को स्टॉक करने के लिए अंतिम तैयारी की जा रही है। साथ ही बहुत सारी टुकड़ी की आवाजाही भी जारी है। पीएलए निश्चित रूप से सर्दियों के लिए हमारी तैयारियों के बारे में अधिक जानने के लिए इच्छुक है, इसलिए ऑब्जर्वेशन पोस्ठ स्थापित करने का उन्होंने फैसला लिया गया है।" सैन्य अधिकारी की पहचान आईएएनएस ने जारी नहीं की है।
'पहाड़ों पर सैनिकों के लिए आपूर्ति प्रक्रिया में सुधार'
इसके साथ ही अब पहाड़ों पर तैनात रहने वाले सैनिकों की सुविधाओं में भारी इजाफा किया गया है और अत्यधिक ऊंचाई वाली जगहों पर सैना की तैनाती के लिए उनकी सुविधाओं में तत्काल सुधार का आह्वान किया गया है। एक संसदीय पैनल ने कहा है कि, सुरक्षा में लगे सैनिकों के लिए विशेष कपड़े, उपकरण, राशन की आपूर्ति में कोई "कमी" नहीं होनी चाहिए। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैनिकों के लिए सर्दियों के कपड़ों की खरीद में अत्यधिक देरी और उनके आवास की स्थिति में सुधार के लिए परियोजना के कार्यान्वयन की ओर इशारा करते हुए लोक लेखा समिति ने बुधवार को कहा कि, रक्षा मंत्रालय को समय सीमा को कम करने के तरीके और साधन तलाशने चाहिए औसर अनुबंध प्रक्रियाओं में तेजी लानी चाहिए।
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