Kargil Diwas: शादी के 20 दिन बाद ही कारगिल युद्ध के लिए रवाना हो गए थे योगेंद्र सिंह यादव, पढ़ें वीर गाथा
नई दिल्ली, 26 जुलाई। आज पूरा भारत कारगिल पर विजय की 22वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1999 में आज ही के दिन भारत के वीर सपूतों ने कारगिल की चोटियों से पाकिस्तानी फौज को खदेड़कर तिरंगा फहराया था। ''या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा या विजयश्री प्राप्त कर धरती का राज भोगेगा।'' गीता के इसी श्लोक को प्रेरणा मानकर भारत के शूरवीरों ने कारगिल युद्ध में दुश्मन को पांव पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया था।
परमवीर चक्र से सम्मानित योगेंद्र सिंह यादव
इस युद्ध के बाद चार वीरों को भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। जिसमें लेफ्टीनेंट मनोज कुमार पांडे , ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव , राइफलमैन संजय कुमार और कैप्टन विक्रम बत्रा शामिल हैं।
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नई-नवेली दुल्हन को छोड़कर चले गए थे योगेंद्र सिंह
सोनी टीवी के मशहूर शो 'कौन बनेगा करोड़पति सीजन 12' के ग्रैंड फिनाले में योगेंद्र सिंह यादव जब मुख्य अतिथि बनकर आए थे और उन्होंने कारगिल युद्द की जो दास्तां सुनाई थी, उसे सुनकर हर किसी के रोंगटें खड़े हो गए थे। योगेंद्र सिंह यादव ने बताया था कि शादी होने के मात्र 20 दिन बाद ही वो अपनी नई-नवेली दुल्हन को छोड़कर कारगिल युद्ध के लिए चले गए थे क्योंकि उस वक्त उन्हें अपनी भारत मां की रक्षा करनी थी।
पांच रुपए के सिक्के से बची जान
योगेंद्र सिंह यादव ने बताया था कि जब वो भारतीय सेना के साथ टाइगर हिल द्रास सेक्टर में लड़ रहे थे,तब दोनों तरफ आतंकवादियों के बंकर थे। दुश्मनों ने हम पर ग्रेनेड फेंका था। मुझ पर भी गोली चलाई गई थी लेकिन गोली ऊपर छाती वाली पॉकेट में रखे पर्स में पांच रुपए के सिक्के जा टकराई थी और इसलिए वो बच गए थे।
दुश्मनों पर फेंका हैंड ग्रेनेड
लेकिन तब ही मैंने अपने पास पड़े हैंड ग्रेनेड से पिन निकालकर दुश्मनों के ऊपर फेंका था, इससे पाकिस्तानी सैनिकों में खलबली मच गई थी और तभी मैंने एक हाथ से राइफल उठाई और 4-5 पाक सैनिकों को वहीं मार गिराया और इसके बाद मैं गिर पड़ा और उसके बाद जब आंख खुली तो पता चला कि मैं अस्पताल में था, पूरे शरीर पर केवल पट्टियां ही बंधी हुई थी और शायद ही कोई हिस्सा बचा था, जहां फ्रैक्चर ना हो।
19 वर्ष की आयु में मिला 'परमवीर चक्र'
होश आने के बाद मुझे बताया गया कि हम जीत गए हैं। योगेंद्र सिंह यादव ने कहा कि उस वक्त मुझे एहसास हुआ कि मैं वाकई में जिंदा हूं। आपको बता दें कि मात्र 19 वर्ष की आयु में परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले ग्रेनेडियर यादव, सबसे कम उम्र के सैनिक हैं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ है।