IC Srivastava : भारत के वो IAS जो पाकिस्तान में भी रहे जिला कलेक्टर, जानिए क्या-क्या किया वहां?
Vijay Diwas 2022 : रिटायर IAS आईसी श्रीवास्तव ने वो वक्त भी देखा जब पाकिस्तान के छाछरो तक की कलेक्ट्री का जिम्मा इन्हीं के कंधे पर था। यह सब 1972 भारत पाकिस्तान युद्ध में जीत के कारण हुआ।
IAS IC Srivastava DM Barmer Rajasthan Vijay Diwas 2022 : मिलिए आईसी श्रीवास्तव से। ये हैं भारतीय प्रशासनिक सेवा के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी। इनके सर्विस रिकॉर्ड में हर भारतीय के लिए गौरवशाली पल भी मौजूद है। वो ये कि आईसी श्रीवास्तव को पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी कलेक्टर बनने का मौका मिला। एक दिन के लिए नहीं बल्कि पूरे 11 माह तक। यह पूरा वाक्या 50 साल पुराना है।
बाड़मेर के पास है पाकिस्तान का छाछारो
हुआ यूं कि साल 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, जिसमें भारत जीता और बांग्लादेश के रूप में नया देश भी अस्तित्व में आया था। राजस्थान बॉर्डर की तरफ से भारतीय सेना पाकिस्तान के अंदर छाछरो कस्बे तक घुस गई थी और कब्जा जमा लिया था। छाछरो कस्बे के भारत का बाड़मेर जिला सबसे नजदीक है। ऐसे में छाछरो की जिम्मेदारी भी बाड़मेर जिला प्रशासन को दी गई।
आईसी श्रीवास्तव थे बाड़मेर जिला कलेक्टर
उस समय बाड़मेर जिला कलेक्टर आईएएस अधिकारी आईसी श्रीवास्तव थे, जो दिसम्बर 1970 से तैनात थे। बतौर जिला कलेक्टर बाड़मेर में आईसी श्रीवास्तव की पहली पोस्टिंग थी। तब इनकी उम्र महज 27 साल थी। अब ये 79 साल के हो चुके हैं। रिटायर होकर जयपुर के जवाहर नगर में रह रहे हैं। मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले हैं।
छाछरो तक पहुंचा गया था बाड़मेर जिला प्रशासन
मीडिया से बातचीत में बाड़मेर के पूर्व जिला कलेक्टर आईसी श्रीवास्तव कहते हैं कि भारत पाकिस्तान युद्ध 1971 में जीत के बाद हम पाकिस्तान के छाछरो कस्बे तक पहुंच गए थे। वहां का परबत अली (न्यूछोर) और नगरपारकर हमारे कब्जे में था। पाकिस्तान की कब्जे में आई जमीन पर छाछरो में बाड़मेर तहसीलदार को बैठाया गया। बाड़मेर एसपी शांतनुकुमार व जिला कलेक्टर आईसी श्रीवास्तव ने वहां की कानून व प्रशासनिक व्यवस्था संभाली।
बाड़मेर से पहुंचा रहे थे दावा और राशन
भारतीय सेना के कब्जे के कारण पाकिस्तान में 100 किलोमीटर भीतर तक और 8000 वर्ग किलोमीटर तक बाड़मेर जिला हो गया। वहां जिला कलेक्टर भी बाड़मेर का ही लगने लगा। गडरारोड पर अतिरिक्त जिला कलेक्टर गणेश शंकर व्यास और डीएसपी छुगसिंह को नियुक्त किया गया। ये भी पाकिस्तान तक का प्रभार संभाले हुए थे। गडरारोड से लेकर न्यूछोर तक दवा और राशन पहुंचाने का काम करते थे। शरणार्थियों की मदद भी इन्हीं के जिम्मे था।
अक्टूबर 1972 तक बाड़मेर में कलेक्टर रहे आईसी श्रीवास्तव
फिर भारत पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हुआ और भारत ने अपने कब्जे में ली जमीन वापस पाकिस्तान को लौटा दी। अक्टूबर 1972 में तत्कालीन जिला कलेक्टर आईसी श्रीवास्तव का कार्यक्षेत्र भी वापस बाड़मेर जिले तक ही सीमित हो गया। इससे पहले बतौर कलेक्टर आईसी श्रीवास्तव कई बार पाकिस्तान गए। पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री बरकतुल्लाह खां के साथ पाकिस्तान के परबतअली तक की यात्रा की।
बाड़मेर कलेक्टर आवास में बना था बंकर
आईसी श्रीवास्तव कहते हैं कि दिसम्बर 1970 में बाड़मेर में जिला कलक्टर बना तो पत्नी व बच्चों के साथ यहां आया था। तीन दिसम्बर 1971 को भारत पाकिस्तान के बीच जंग शुरू हो गई। बाड़मेर जिला कलेक्टर के सरकारी आवास परिसर में ही बंकर बनाया गया था, जिसमें पत्नी व बच्चे रहते थे। बतौर कलेक्टर आईसी श्रीवास्तव चौबीस घंटे ड्यूटी पर रहते थे।