केरल बीजेपी की गाड़ी ट्रैक पर ला पाएंगे श्रीधरन, 'मेट्रोमैन' की राजनीति में एंट्री पर क्या है हलचल ?
E Sreedharan Impact In Kerala Assembly Election: कोच्चि। मेट्रोमैन के नाम से मशहूर ई श्रीधरन ने 88 साल की उम्र में जब बीजेपी में जाने की घोषणा की है। टेक्नोक्रेट के रूप में उन्होंने जो काम किया उसने भारत में शहरों में रेलवे की छवि बदल दी। लेकिन शायद ही किसी ने सोचा होगा कि जिस उम्र में लोग राजनीति से रिटायरमेंट के बारे में सोचते हैं उस उम्र में श्रीधरन राजनीति शुरू कर रहे हैं।
हर काम समय पर पूरा करने का जज्बा
हालांकि उम्र उनकी राह में रोड़ा कभी नहीं रही और यह उनके काम करने का नतीजा ही है कि 88 साल की उम्र में भी वह दिल्ली मेट्रो के प्रमुख सलाहकार के रूप में कार्य कर रहे हैं जिसका कार्यकाल कुछ समय बाद जून में पूरा हो रहा है। लेकिन राजनीति की जिस राह पर उन्होंने अब चलने का फैसला किया है वह इतनी आसान नहीं है। श्रीधरन के लिए ये राह और कठिन इसलिए भी हो जाती है क्योंकि उस राज्य केरल में बीजेपी के साथ जुड़े हैं जहां पर पार्टी अपनी सबसे कमजोर स्थिति में है।
वैसे श्रीधरन इस काम के लिए भी मशहूर रहे हैं कि सरकारी सेवा के दौरान जिस भी कठिन काम को करने का जिम्मा लिया उसे समय पर पूरा कर दिखाया। फिर चाहे कोंकण रेलवे हो या फिर दिल्ली से लेकर लखनऊ और कोच्चे में मेट्रो रेल का डिजाइन तैयार करना हो, श्रीधरन ने एक मिसाल कायम की। यही वजह है कि बीजेपी को ई श्रीधरन के बीजेपी ज्वाइन करने से बहुत उम्मीदें भी हैं।
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श्रीधरन का असर मामूली- शशि थरूर
खुद श्रीधरन भी मानते हैं कि बीजेपी को फायदा होगा। वो कहते हैं कि बीजेपी सत्ता में आ सकती है। खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन बताने वाले श्रीधरन विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है। पार्टी उन्हें टिकट देने की तैयारी में है हालांकि अभी सीट को लेकर फैसला नहीं हुआ है। उम्मीद है कि अप्रैल-मई में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले उनकी भूमिका तय हो जाएगी।
श्रीधरन के पार्टी ज्वाइन करने से बीजेपी उत्साहित है लेकिन उनकी राजनीति से इंट्री से क्या दूसरे दल चितिंत हैं ? इस बारे में केरल से सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ये तो मानते हैं कि श्रीधरन के आने से असर तो पड़ेगा लेकिन वह कहते हैं कि यह असर मामूली होगा। थरूर ये भी कहते हैं कि बीजेपी के लिए 2016 में एक सीट जीतने के अपने प्रदर्शन से आगे जाना बहुत मुश्किल होगा। थरूर के मुताबिक राज्य की कुछ सीटों को छोड़ दिया जाय तो अधिकांश जगहों पर बीजेपी लड़ाई में ही नहीं है।
राजनीति में जाने का फैसला चौंकाने वाला
अधिकांश लोगों की तरह ही शशि थरूर के लिए भी श्रीधरन का राजनीति में प्रवेश चौंकाने वाला है। थरूर ने कहा श्रीधरन का राजनीति में प्रवेश की जानकारी उनके लिए चौंकाने वाली थी क्योंकि तकनीकी व्यक्ति के रूप में उनका काम इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट को रूप देने का था न कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में नीतियों को लागू करना। थरूर ने कहा 'ये एक अलग दुनिया है।'
जब उनसे ई श्रीधरन के राजनीति में आने को लेकर सवाल पूछा गया तो कांग्रेस सांसद ने कहा "क्योंकि उनके पास न तो राजनीतिक पृष्ठभूमि है न ही कोई राजनीतिक बैकग्राउंड है ऐसे में मेरा मानना है कि उनका असर बहुत ही मामूली होगा।"
इसकी वजह बताते हुए थरूर कहते हैं कि ठजब मैंने 53 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया तो मुझे महसूस हुआ था कि जो प्रभाव मुझे राजनीति में डालना चाहिए उसके लिए मुझे बहुत देर हो गई है। मैं किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में क्या कह सकता हूं जो 88 वर्ष के हैं ?
मुख्यमंत्री पद के लिए जताई इच्छा
क्या श्रीधरन के प्रवेश से केरल के चुनावों में तीन तरफा मुकाबला होगा और भाजपा वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के साथ एक गंभीर दावेदार के रूप में उभरेगी ? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि मुठ्ठी भर सीटों को छोड़कर भाजपा किसी भी सीट पर मजबूत दावेदार नहीं है। बीजेपी के लिए पिछले विधानसभा चुनाव की एक सीट से आगे जाना बहुत मुश्किल होगा।
श्रीधरन ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह बीजेपी के साथ राजनीति की शुरुआत करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि वह विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं और पार्टी चाहती है तो वे मुख्यमंत्री पद के लिए भी तैयार हैं। मेट्रोमैन के रूप में मशहूर श्रीधरन ने कहा था उनका मुख्य उद्येश्य बीजेपी को सत्ता में लाने में मदद करना है।