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केरल चुनाव से पहले मेट्रो मैन श्रीधरन की भाजपा सवारी के मायने?

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नई दिल्ली: भारत के मेट्रो मैन के नाम से लोकप्रिय ई श्रीधरन का भाजपा में शामिल होना अब महज औपचारिकता भर है। पार्टी और खुद उनकी ओर से यह साफ किया जा चुका है कि फैसला हो चुका है। यह लगभग तय है कि वह अप्रैल-मई में होने जा रहे केरल विधानसभा चुनाव में भाजपा के सबसे बड़े चेहरा होंगे। 'देवता का देश' कहलाने वाले इस राज्य में भाजपा का वैचारिक-सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ दशकों से जमीन पर आम लोगों के बीच काम कर रहा है। लेकिन, अभी तक बीजेपी को वहां की राजनीति में उसके मुकाबले कोई खास फायदा नहीं हुआ है। इस दक्षिणी राज्य में सरकार बनाने के उसके एजेंडे में भी दो चीचें मुख्य हैं- हिंदुत्व और विकास। संयोग से पेशे से देश के नामी इंजीनियर रहे ई श्रीधरन उसके इन दोनों एजेंडों में फिट बैठते हैं।

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बीजेपी की राजनीति में फिट बैठते हैं मेट्रो मैन

बीजेपी की राजनीति में फिट बैठते हैं मेट्रो मैन

2016 के केरल विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने केरल की 140 सीटों में से 98 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उसे सिर्फ 1 सीट पर ही कामयाबी मिली। 62 सीटों पर तो उसके उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो गईं। लेकिन, पार्टी को उम्मीद की किरण इसमें नजर आई कि उसे प्रदेश में कुल 10.53 फीसदी वोट मिले थे और जिन सीटों पर उसने उम्मीदवार दिए थे वहां पर कुल 15.13 फीसदी वोट हासिल हुए थे। इस चुनाव में बीजेपी यह स्थिति बदलना चाहती है। पिछले हफ्ते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केरल पहुंचे थे, जहां उन्होंने भाजपा नेताओं से कहा था कि वह चाहते हैं कि इस चुनाव में पार्टी कम से कम 70 सीटों के आंकड़े को पार करे। जाहिर है कि पार्टी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बीच विभाजित केरल की राजनीति के लिए बहुत बड़ा लक्ष्य लेकर चल रही है तो उसे उतना बड़ा सियासी दांव भी चलना पड़ेगा; और मेट्रो मैन उसमें हर तरह से फिट बैठते हैं।

'ओपिनियन बिल्डिंग' का बड़ा दांव

'ओपिनियन बिल्डिंग' का बड़ा दांव

मसलन, श्रीधरन के अगले हफ्ते भाजपा में शामिल होने की बात पर खुशी जताते हुए पार्टी के एक नेता ने कहा है, 'उनके आने से पार्टी की छवि और बेहतर होगी और इससे कैडर का भी मनोबल बढ़ेगा। यही नहीं ऐसे समय में जब हम प्रदेश में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसे में अगर वह आने वाला चुनाव लड़ते हैं तो इससे भविष्य में भी पार्टी की संभावनाओं का द्वार खुलेगा।' पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनाव के मद्देनजर पार्टी की कोशिश है कि वो अपने साथ ऐसे लोगों को जोड़े जो जनता पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकें। इसके लिए पार्टी पूर्व अधिकारियों, पूर्व पुलिस अधिकारियों, वकीलों, अभिनेताओं को अपने साथ लाना चाहती है ताकि वोटरों तक पहुंच का दायरा बढ़ सके।

प्रदेश के लिए भाजपा ही कुछ कर सकती है-श्रीधरन

प्रदेश के लिए भाजपा ही कुछ कर सकती है-श्रीधरन

जहां तक विकास की बात है तो अपने हाल के दौरे और पिछले बजट में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने केरल में हजारों करोड़ रुपये के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का दरवाजा खोल दिया है। राज्य में अन्य परियोजनाओं के अलावा 1,100 किलोमीटर की सड़क परियोजनाओं की ही घोषणा की गई है; और जब इंफ्रास्ट्रक्चर की बात आती है तो श्रीधरन का नाम इतना बड़ा है कि 88 वर्ष की उम्र में भी देश की अत्याधुनिक रेलवे और मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए वह सबसे बड़े पहचान बन चुके हैं। भाजपा का कमल थामने से पहले ही बीजेपी के इसी विकास के एजेंडे को बुजुर्ग मेट्रो मैन अभी से धार भी देने लगे हैं। मसलन, उन्होंने न्यूज मिनट से कहा है कि सत्ताधारी एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ दोनों को सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे से मतलब है, उन्हें केरल के विकास से कोई लेना-देना नहीं है। वो बोले- 'इस स्थिति में बीजेपी ही है जो प्रदेश के लिए कुछ कर सकती है।'

'सबरीमाला पर भाजपा का स्टैंड सही'

'सबरीमाला पर भाजपा का स्टैंड सही'

विकास की बात तो अपनी जगह है, लेकिन हिंदुत्व ही भाजपा की राजनीति का मूल आधार है और केरल में सबरीमाला मंदिर का मामला उसके लिए एक बड़ा मुद्दा रहा है। हाल के स्थानीय निकाय चुनाव में उस इलाके में पार्टी को उसका फायदा भी मिला है। जब एनडीटीवी ने उनसे सवाल किया कि वह भाजपा के हिंदुत्व के मुद्दे (मसलन, लव जिहाद और सबरीमाला मंदिर विवाद) पर क्या राय रखते हैं तो उन्होंने कहा, 'मैं पार्टी में विश्वास करता हूं। इसलिए मैंने पार्टी ज्वाइन करने का फैसला किया है। भाजपा का स्टैंड सही है।'

मलप्पुरम से लड़ सकते हैं चुनाव?

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गौरतलब है कि जब दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महिला वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त मेट्रो यात्रा योजना के बारे में सोचा था तो ई श्रीधरन ने फौरन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर कहा था कि इस प्रस्ताव पर कतई राजी नहीं हों, क्योंकि इस लोक-लुभावन कदम से दिल्ली मेट्रो की सेहत पर बहुत खराब असर पड़ेगा। जाहिर है कि अगर दिल्ली मेट्रो, कोच्चि मेट्रो, कोंकण रेलवे, कोलकाता मेट्रो और रामेश्वरम में रेलवे ब्रिज जैसी परियोजनाओं से जिस शख्सियत का नाम जुड़ा है, उसका आना बीजेपी अपने लिए बहुत फायदेमंद मान रही है। संयोग से श्रीधरन के विचार भी उससे मेल खाते हैं। अलबत्ता अगर पार्टी उन्हें उनके गृहनगर मलप्पुरम से चुनाव मैदान में उतारना चाहेगी तो उसे अपने एक 'अलिखित संविधान' में संशोधन करना पड़ सकता है, जिसमें उनके इतने उम्र में मार्गदर्शक मंडल में भेजने की परंपरा बन चुकी है।

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English summary
What does Metro Man Sreedharan's BJP ride mean before Kerala elections?
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