भारत ने कृषि और स्टील उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर दिया अमेरिका को करारा जवाब, ट्रंप के खिलाफ साथ आए जिनपिंग और मोदी
चीन और भारत टैरिफ के मुद्दे पर अब अमेरिका और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ आ गए हैं। भारत ने ट्रंप की टैरिफ नीतियों का तगड़ा जवाब देते हुए कृषि और स्टील उत्पादों पर शुल्क बढ़ा दिया है।
नई दिल्ली। चीन और भारत टैरिफ के मुद्दे पर अब अमेरिका और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ आ गए हैं। भारत ने ट्रंप की टैरिफ नीतियों का तगड़ा जवाब देते हुए कृषि और स्टील उत्पादों पर शुल्क बढ़ा दिया है। भारत की ओर से यह कदम अमेरिका के उस फैसले के बाद उठाया गया है जिसमें भारत निर्यात होने वाली कुछ चीजों के शुल्क में इजाफा किया गया था। भारत ने चीन और यूरोपियन यूनियन के अलावा कुछ और देशों की ओर से उठाए गए इसी तरह के फैसले को अपनाया है।
दाल और चने पर शुल्क 70 प्रतिशत तक बढ़ा
गुरुवार को ग्लोबल ट्रेड वॉर उस समय और गहरा गया जब चीन ने कुछ और सामानों पर लगने वाले शुल्क में बढ़ोतरी कर दी। जबकि भारत ने यूरोपियन यूनियन की तर्ज पर अमेरिकी सामानों पर लगने वाले टैरिफ को बढ़ा दिया। अमेरिका ने साउथ एशियन देशों से निर्यात होने वाले सामानों पर लगने वाले शुल्क में कई गुना इजाफा किया है। भारत ने अब चना, अरहर की दाल और छोले पर लगने वाले टैरिफ में 70 प्रतिशत तक का इजाफा कर दिया है। नया शुल्क चार अगस्त से लागू होगा।
चीन ने कहा हम पूरी तरह से तैयार
चीन ने भी कहा है कि वह ट्रंप की तरफ से आने वाली टैरिफ की नई लिस्ट का जवाब देने के लिए अब पूरी तरह से तैयार है। चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री के मुताबिक चीन अब अमेरिका के खिलाफ गुणात्मक और मात्रात्मक उपाय अपनाने जा रहा है। ट्रंप ने सोमवार को आदेश दिया था कि चीन से आयात होने वाले सामनों पर कुल 200 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। यानी 10 प्रतिशत तक का अतिरिक्त शुल्क अब चीनी व्यापारियों को अदा करना पड़ेगा।
यूरोपियन यूनियन भी आया अमेरिका के खिलाफ
विशेषज्ञों की मानें तो जिस तरह से अब ट्रेड वॉर बढ़ता जा रहा है उससे कंपनियों के बीच आत्मविश्वास का माहौल खत्म हो रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि इसकी वजह से दुनियाभर में आर्थिक हालात बिगड़ सकते हैं। इस हफ्ते अमेरिका की तरफ से मेटल आयात पर शुल्क बढ़ाए जाने के बाद यूरोपियन यूनियन की ओर से इसका जवाब दिया गया है। वहीं जापान भी आगे आने वाले समय में बड़े कदम उठा सकता है। इसके अलावा कनाडा की ओर से जो कदम उठाए गए हैं वे एक जुलाई से लागू हो जाएंगे।