MP उपचुनाव: आगर में भाजपा का मजबूत किला ढहा पाएगी कांग्रेस ?
भोपाल। मध्य प्रदेश की जिन 28 सीटों पर चुनाव होना है उनमें आगर मालवा (Agar Malwa) की आगर सीट भी है लेकिन यहां उपचुनाव दलबदल की वजह से नहीं हो रहे हैं। यह सीट भाजपा के दलित नेता मनोहर ऊंटवाल के निधन के चलते खाली हुई है। इस बार भाजपा ने उनके बेटे मनोज ऊंटवाल को प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस के टिकट पर विपिन वानखेड़े यहां से मैदान में हैं।
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित यह सीट पिछले पांच चुनाव से भाजपा का गढ़ साबित हुई है। आखिरी बार यहां 1998 में ही कांग्रेस को जीत मिली थी। उसके बाद से कांग्रेस ने यहां जीत का स्वाद नहीं चखा है। पिछले चुनाव में वानखेड़े ने जरूर यहां पैर जमाने की कोशिश की थी। वह 2490 वोटों के करीबी अंतर से वानखेड़े यहां से हार गए थे। एक बार फिर कांग्रेस ने उन्हीं पर दांव लगाया है।
भाजपा प्रत्याशी मनोज ऊंटवाल को जहां भाजपा का मजबूत गढ़ होने से जीत की उम्मीद है वहीं पिता के निधन के चलते सहानुभूति मिलने का भी भरोसा है। यह सीट भाजपा विधायक के निधन के चलते खाली हुई है जिसके चलते यहां पर दलबदल या बिकाऊ नहीं टिकाऊ जैसे मुद्दे काम नहीं आने वाले हैं। भाजपा जहां पिछले 15 साल और वर्तमान के छह महीने के काम पर वोट मांगेगी।
कांग्रेस लगा रही हर दांव
वहीं भाजपा के इस गढ़ में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस कमलनाथ के डेढ़ साल के काम पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस प्रत्याशी ने बहुत पहले ही इस सीट पर चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था जिसका भी उन्हें फायदा मिलने की उम्मीद है।
इस क्षेत्र में किसानों के मुद्दे भी महत्वपूर्ण हैं यही वजह है कि कांग्रेस कर्जमाफी को जनता के बीच ले जा रही है। क्षेत्र में बड़े पैमाने पर संतरे का उत्पादन होता है लेकिन इलाके में फूड प्रोसेसिंग यूनिट की कमी है। ऐसे में यह मुद्दा किसानों के लिए प्रमुख है। फसलों का प्रीमियम देने के बाद भी क्लेम न मिलने से किसान नाराज हैं।
मुकाबले में बसपा ने गजेंद्र बनजारिया को मैदान में उतारा है तो स्पाक्स ने संतोष रत्नाकर को अपना प्रत्याशी बनाया है। वैसे प्रत्याशी चाहे जो हो लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच ही हो रही है।
पिछले
6
चुनाव
के
नतीजे
1998
में
कांग्रेस
को
यहां
आखिरी
बार
जीत
मिली
थी
जब
रामलाल
मालवीय
ने
भाजपा
के
गोपाल
परमार
को
15
हजार
वोटों
से
शिकस्त
दी
थी।
2003
में
भाजपा
के
टिकट
पर
रेखा
रत्नाकर
ने
यह
सीट
रामलाल
मालवीय
से
छीन
ली।
मालवीय
24,916
वोट
से
ये
चुनाव
हारे।
2008
में
भी
भाजपा
का
इस
सीट
पर
कब्जा
बरकरार
रहा।
लालजी
राम
मालवीय
ने
कांग्रेस
के
रमेशचंद्र
सूर्यवंशी
को
16
हजार
से
ज्यादा
वोटों
से
हराया।
2013
में
भाजपा
के
मनोहर
ऊंटवाल
ने
कांग्रेस
के
माधव
सिंह
को
28,829
वोट
के
भारी
अंतर
से
पराजित
किया।
ऊंटवाल
2014
के
लोकसभा
चुनाव
में
सांसद
चुन
लिए
गए।
बाद
में
हुए
उपचुनाव
में
भी
ये
सीट
भाजपा
के
कब्जे
में
आई।
2018
में
मनोहर
ऊटवाल
एक
बार
फिर
यहां
से
प्रत्याशी
बने
और
उन्होंने
विपिन
वानखेड़े
को
2490
वोट
से
हरा
दिया।
पिछले पांच चुनाव से जीत के लिए तरस रही कांग्रेस पिछली चूक से सबक ले रही है और कोई गलती नहीं करना चाह रही। वहीं भाजपा के लिए अपना मजबूत किला किसी भी हाल में नहीं खोना चाहेगी। ऐसे में यहां मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है।
MP: सांवेर सीट पर क्या फिर उगेगी तुलसी ? बगावत का हिसाब चुकता करने के लिए कांग्रेस भी है तैयार