इजरायल में PM मोदी ने क्यों पहनी लाल हिमाचली टोपी, जानिए राज
हिमाचल प्रदेश में टोपियां भी सियासत के अलग-अलग रंगों में बंट चुकी है। भाजपा ने लाल को अपना लिया जबकि कांग्रेस हरी हो गई।
शिमला। हिमाचल प्रदेश में टोपियों को लेकर भी राजनीति होती रही है। प्रदेश में लोग हरी व लाल टोपी पहनते हैं। अधिकांश लोग इसे कांग्रेस व भाजपा से जोड़ते हैं। हरी टोपी को कांग्रेस व लाल टोपी को भाजपा के साथ जोड़ा जाता है। सरकारें बदलते ही यहां लोागों के सिर का ताज मानी जाने वाली टोपियों का रंग भी बदल जाता है। लोग भी नेता की टोपी के रंग के साथ कदमताल करते देखे जा सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने इजरायल दौरे के दौरान लाल टोपी पहने रखी तो हिमाचली टोपी के चर्चे होने शुरू हो गये।
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कांग्रेसी सीएम से लेकर कार्यकर्ता तक पहनते हैं हरी टोपी
दरअसल, हरे रंग की टोपी बुशहरी टोपी कहलाती है। किन्नौर के लोग इसे प्रमुखता से पहनते हैं। इसे कई लोग किन्नौरी टोपी भी कहते हैं। किन्नौरी टोपी में हरे शनील के कपड़े के किनारे खुले रखे जाते हैं। इसका कारण ये है कि अधिक सर्दी होने पर टोपी को उल्टा कर इससे कान भी ढंक जाते हैं। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अमूमन हरे रंग की टोपी पहनते हैं। उस टोपी के किनारे सिले होते हैं यानी हरे रंग वाला हिस्सा टोपी से इनटैक्ट रहता है। इस टोपी का कमाल आप शिमला के माल रोड से लेकर राज्य सचिवालय तक आप देख सकते हैं। हर छोटा बड़ा अफसर हो या कर्मचारी शान से इसे पहनता है। इसी के साथ वह अपने आपको वीरभद्र सिंह का करीबी होने का दावा पेश करता नजर आता है। यहां तक की कांग्रेस कार्यकर्ता भी हरी टोपी को ही पहनते हैं। शायद किसी में इतनी हिम्मत नहीं कि आजकल वह दूसरे रंग की टोपी पहनकर मुख्यमंत्री के समक्ष खड़ा हो सके। माना जाता है कि वीरभद्र सिंह की जब जब सरकार बनी तब तब इस हरी टोपी की अहमियत बढ़ती देखी गई। यहां तक कि सार्वजनिक समारोहों में भी विशिष्ट लोगों को इसी टोपी के साथ सम्मानित करने का यहां रिवाज बन गया है।
शांता कुमार ले आए थे तिरंगिनी टोपी
प्रदेश में जिस समय शांता कुमार सत्ता में आए तो उन्होंने एक अलग ही टोपी धारण की। वो चंबयाली टोपी थी। इस टोपी को चंबा जिला के लोग पहनते हैं। हलांकि राजनीति में इस टोपी को कोई खास लोकप्रियता नहीं मिल पाई। चूंकि शांता कुमार थोड़े समय के लिये ही प्रदेश की राजनिति में रहे। एक बार जब कांग्रेस की वीरभद्र सरकार से मेजर विजय सिंह मनकोटिया ने बगावत की तो वह तिरंगनी टोपी को लेकर आये। उन्होंने इस तिरंगनी टोपी को न केवल खुद पहना बल्कि अपने सर्मथकों को भी पहनने के लिये कहा। संदेश साफ था कि वह वीरभद्र सिंह के प्रति अब कोई आस्था नहीं रखते।
धूमल ने की लाल टोपी की शुरुआत
इसी तरह प्रेम कुमार धूमल जिस समय 1998 में सत्ता में आए तो उन्होंने लाल रंग की टोपी की शुरुआत की। इस तरह से लाल टोपी विशुद्ध रूप से राजनीतिक टोपी कही जा सकती है। उसके बाद से हिमाचल में लाल टोपी भाजपा का प्रतीक बन गई। भाजपाई लाल रंग की टोपी पहनने लगे और कांग्रेस की पहचान हरी टोपी से हुई। दरअसल एक सेाची समझी रणनीति के तहत भाजपाइयों ने उस समय इस लाल रंग की टोपी को अपनाया। चूंकि भाजपा के सत्ता में आने के बावजूद शिमला में हरी टोपी का बोलबाला देखा जा रहा था जिससे यह पहचान करना कठिन हो रहा था कि वह सरकार का सर्मथक है या विरोधी। जब तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने लाल रंग की टोपी पहनी तो रातों रात अपनी वफादारी साबित करने के लिये शिमला में लोगों ने लाल टोपी को अपना लिया। जब तक प्रदेश में भाजपा की सरकार रही लाल टोपी का ही बोलबाला रहा।
पीएम मोदी ने इसलिए पहनी लाल टोपी...
इजरायल में पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल टोपी पहनी, इसके पीछे खास वजह है। इससे पहले किसी देश के दौरे में नरेंद्र मोदी ने लाल रंग की टोपी नहीं पहनी थी। दरअसल इजरायल से काफी सैलानी भारत की सैर के लिए आते हैं। इजरायल में युवाओं के लिए सेना की नौकरी अनिवार्य है। पांच साल तक की सैन्य सेवा के बाद उन युवाओं के पास काफी पैसा हो जाता है। उस पैसे का उपयोग वे देश-विदेश की सैर के लिए करते हैं। इजरायल से बहुत से सैलानी हिमाचल आते हैं और कुल्लू सहित धर्मशाला में काफी समय तक ठहरते हैं। इस दौरान वे चबद या खबाद, जिसे आम भारतीय शब्दों में सराय कहते हैं, वहां ठहराव करते हैं।
शिवराज ने भी हिमाचली टोपी की तारीफ
इजरायल के युवा हिमाचल की परंपराओं को नजदीक से जानते हैं। वे हिमाचल में लोगों द्वारा अकसर उपयोग में लाई जाने वाली इस लाल टोपी को भी पहचानते हैं। चूंकि लाल रंग की टोपी भाजपा से जुड़ती है, लिहाजा इसलिए ही मोदी ने इजरायल यात्रा में इसे पहना, ताकि इजरायल के लोग इसे देखते ही पहचान जाएं कि इसे हिमाचल में पहना जाता है।मोदी के बाद दूसरे नेताओं में भी लाल टोपी के प्रति क्रेज बढ़ा है। हाल ही में नाहन आए मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी हिमाचली टोपी की खूब तारीफ की, उन्होंने कहा कि यह टोपी नहीं यह हिमाचल प्रदेश की शान है। इसी लिए जब उनसे किसी ने इसे उतारने के लिए कहा तो नहीं उतारा।
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