हिमाचल चुनाव 2017: सीट नंबर 64 शिमला ग्रामीण (अनारक्षित) विधानसभा क्षेत्र के बारे में जानिये
शिमला। शिमला ग्रामीण विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश विधानसभा के 68 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। शिमला जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 68,326 मतदाता थे। यह क्षेत्र साल 2008 में, विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के अनुसरण में अस्तित्व में आया। 2012 के विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह इस क्षेत्र के विधायक चुने गए।
शिमला ग्रामीण में पिछले चुनावों में वीरभद्र सिंह चुनाव मैदान में थे, तो यहां जातिगत समीकरण निष्प्रभावी रहे। वहीं एकतरफा मुकाबले में वीरभद्र सिंह ने यहां से चुनाव जीता और क्षेत्र को मुख्यमंत्री मिला। हालांकि इस बार यहां से वीरभद्र सिंह यहां से चुनाव नहीं लडऩे जा रहे हैं। उनकी जगह अब इस बार उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह चुनाव लडने जा रहे हैं। इस बार भी मुकाबला दिलचस्प होगा। चूंकि भाजपा ने यहां से प्रेाफेसर प्रमोद शर्मा को मैदान में उतारा है।
शिमला
ग्रामीण
से
अभी
तक
चुने
गये
विधायक
वर्ष
चुने
गये
विधायक
पार्टी
संबद्धता
2012
वीरभद्र
सिंह
कांग्रेस
राजनीति
में
वीरभद्र
सिंह
का
कोई
सानी
नहीं
हिमाचल
प्रदेश
के
वर्तमान
मुख्यमंत्री
और
कांग्रेस
के
दिग्गज
नेता
वीरभद्रसिंह
का
जन्म
23
जून
1934
को
शिमला
में
हुआ
।
स्कूली
शिक्षा
शिमला
से
प्राप्त
कर
उन्होंने
दिल्ली
से
स्नातक
की
डिग्री
हासिल
की।
उनकी
चार
बेटियां
व
एक
बेटा
है।
वीरभद्रसिंह
के
राजनीतिक
जीवन
की
शुरुआत
1962
में
लोकसभा
चुनाव
में
निर्वाचित
होने
के
साथ
हुई।
1962
से
2007
तक
वे
हिमाचल
प्रदेश
की
राज्यसभा
में
सात
बार
सदस्य
रहे।
1967
में
लोकसभा
में
वे
दूसरी
बार
निर्वाचित
हुए।1971
में
तीसरी
बार
लोकसभा
चुनाव
में
विजयी
रहे।
1976-77
के
दौरान
वह
पर्यटन
और
नागरिक
उड्डयन
मंत्रालय
के
सहायक
मंत्री
रहे।
1980 के लोकसभा चुनावों में उन्हें चौथी बार चुना गया। 1982-83 में वे राज्य उद्योग मंत्री रहे। 1983, 1990, 1993, 1998 और 2003 तक वे पांच बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 2009 में वे पांचवी बार लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने गए। 31 मई 2009 को उन्हें केंद्रीय स्टील मंत्री बनाया गया। 19 जनवरी 2011 को उन्होंने सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्योगों के केंद्रीय मंत्री का पदभार संभाला। राजनीति के अलावा वीरभद्र सिंह इंडो-सोवियत मैत्री समिति के सदस्य भी हैं।
वे आठ बार विधायक, छ बार प्रदेश के मुख्यमंत्री और पांचवीं बार लोकसभा में बतौर सांसद रह चुके हैं और पिछले आधे दशक में वे कोई चुनाव नहीं हारे। शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से 20 दिसम्बर 2012 को राज्य विधान सभा के सदस्य चुने गए। 25 दिसम्बर, 2012 को हिमाचल प्रदेश के छठे मुख्य मंत्री बने। अपने 50 साल से अधिक के राजनैतिक सफऱ के दौरान उन्होंने 13 चुनाव लड़े और सभी जीते। वह हिमाचल कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वीरभद्र सिंह भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे हुए हैं। वीरभद्र पर आरोप है की उन्होने एक परियोजना के लिए एक निजी बिजली कंपनी को विस्तार देने के एवज में 'रिश्वत' ली है।