झारखंड : मुख्यमंत्री पद की लाइन में चार प्रमुख नेता
भाजपा इस मुद्दे पर पूरी तर ह सतर्क है। वह हर फैसला सोच-समझ कर लेना चाहती है जिससे कोई भी खेमा असंतुष्ट ना होने पाये। फिलहाल खबर ये है कि सोमवार को इस समले पर पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक बेनतीजा रही। अब पार्टी ने मंगलवार को रांची में विधायक दल की बैठक बुलाई है। बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह और महासचिव अनंत कुमार हिस्सा लेंगे।
उल्लेखनीय है कि झामुमो-भाजपा के बीच तय हो चुका है कि अब मुख्यमंत्री भाजपा से होगा। इसलिए भाजपा में मुख्यमंत्री ढूंढने की उठापटक जारी है। मुख्यमंत्री के नाम पर भाजपा खेमों में बंटी हुई है। एक खेमा पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री पद पर बैठाना चाहता है तो दूसरा खेमा रघुबर दास को। एक अन्य खेमा भी है जो यशवंत सिन्हा को मुख्यमंत्री बनाए जाने की वकालत कर रहा है।
दावेदार हैं चार -
अर्जुन मुंडा :- राज्य के प्रमुख जनजातीय नेता। पहले भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं, इसलिए अनुभव का लाभ उन्हें मिल सकता है। छवि साफ सुथरी न होना और लोकसभा सदस्य होना इनके खिलाफ जा सकता है। क्योंकि पार्टी के रणनीतिकार किसी विधायक को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में हैं। संघ के एक बड़े पदाधिकारी और पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह उनके पक्ष में बैटिंग कर रहे हैं।
यशवंत सिन्हा :- साफ सुथरी छवि, केंद्रीय मंत्री के रूप में लंबा अनुभव और विकास की छवि इनका सशक्त पक्ष है लेकिन पार्टी के रणनीतिकार चाहते हैं कि उनके अनुभव व उनकी वाकपटुता का लाभ केंद्र में लिया जाए। पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी हालांकि सिन्हा के पक्ष में बताए जाते हैं। उनका तर्क है कि नरेंद्र मोदी ने गुजरात और नीतीश कुमार ने बिहार में विकासोन्मुखी मुख्यमंत्री की जो छवि बनाई है, झारखण्ड में वैसी ही छवि सिन्हा भी बना सकते हैं। जनजातीय न होना और सांसद होना उनके खिलाफ जाता है।
रघुबर दास :- इनकी छवि साफ सुथरी और समर्पित कार्यकर्ता की है। उपमुख्यमंत्री और विधायक हैं, इसलिए इसका लाभ इन्हें मिल सकता है। केंद्र में अरूण जेटली व अन्य इनके पक्ष में हैं।
नीलकंठ मुंडा :- उस परिस्थिति में मुंडा की दावेदारी मजबूत हो जाती है कि जब किसी जनजातीय को ही मुख्यमंत्री बनाए जाने पर एकमत हो। अर्जुन मुंडा के विकल्प में उन्हें देखा जा रहा है। अनुभवहीन होना उनके लिए नकारात्मक हो सकता है।