भूटान में पड़ोसी बने मनमोहन, गिलानी
भूटान के एक टेबलॉयड अखबार 'भूटान टुडे' ने कहा, "सिंह और गिलानी को कम से कम पड़ोसियों के रूप में मिलने को बाध्य करने की यह पुरानी, देहाती लेकिन असरदार भूटानी चाल है।"
अखबार ने कहा कि दक्षेस गांव में अन्य राष्ट्राध्यक्ष जब अच्छे पड़ोसियों की तरह एक दूसरे का अभिवादन करेंगे तब वे एक दूसरे की कैसे अनदेखी करेंगे। भारत और पाकिस्तान के संबंधों की छाया एक बार फिर दक्षेस शिखर सम्मेलन पर दिख रही है।
दक्षेस राष्ट्र प्रमुखों के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं वाला गांव :
दक्षेस के दो दिवसीय 16वें शिखर सम्मेलन के दौरान आठ सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष ऐसे गांव में ठहरेंगे जो विशेष रूप से उनके लिए बनाया गया है। दक्षेस गांव में एयरकंडीशनर की आवश्यकता नहीं है क्योंकि हिमालय की तलहटी में बसे देश में मौसम काफी सुहाना है।
दक्षेस सदस्य देशों के नामों वाले इन दोमंजिला मकानों को ऐसा बनाया गया कि राष्ट्राध्यक्ष यहां घर जैसा महसूस कर सकें। सदस्य देशों के आवास का निर्धारण वर्णक्रम पर किया गया है। सबसे पहले अफगानिस्तान और उसके बाद क्रम से बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के आवास हैं। हर घर में एक आवास प्रबंधक के साथ पांच अन्य कर्मचारी आवश्यक सेवा उपलब्ध कराने के लिए रखे गए हैं। डाक, बैंकिंग और स्वास्थ्य जैसी अन्य सेवाओं के साथ ही इन मकानों में रसोईघर भी है। बहरहाल नेताओं का भोजन बाहर तैयार होगा।
उल्फा
के
खिलाफ
शहीद
हुए
सैनिकों
का
स्मारक:
भूटान के डोचु ला दर्रे पर भारत विरोधी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंड ऑफ असम (उल्फा) के आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई में शहीद सैनिकों का स्मारक बना गया है। यह पहाड़ी दर्रा 3,050 मीटर की ऊंचाई पर है और यहां बौद्ध स्तूप हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।