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Pongal 2021: जानिए क्या है 'जल्‍लीकट्टू' महोत्सव, जिसका आनंद उठाते दिखे राहुल गांधी

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Read History and Unknown Facts About about Jallikattu: कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी आज 'पोंगल' के खास अवसर पर तमिलनाडु के मदुरै पहुंचे और उन्होंने वहां पर तमिलनाडु के मशहूर पारंपरिक बैलों की दौड़ 'जल्‍लीकट्टू' का लुत्फ उठाया। उनकी तस्वीरें इस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिस पर लोग जमकर कमेंट कर रहे हैं। आपको बता दें कि 'जल्लीकट्टु' केवल इस राज्य के लिए एक प्रथा नहीं है बल्कि प्रथा से भी बढ़कर बहुत कुछ है इसलिए जब इसे बैन किया था तो इस पर जमकर बवाल मच गया था।

आइए जानते हैं कि आखिर 'जल्‍लीकट्टू' है क्या?

आइए जानते हैं कि आखिर 'जल्‍लीकट्टू' है क्या?

दरअसल 'जल्लिकट्टू' महोत्सव तमिलनाडु के पोंगल पर्व पर होने वाली सांडों की दौड़ है, जिसमें बिना लगाम के सांड दौड़ते हैं, जिन्हें लोग रोकने की कोशिश करते हैं, जो सांडों पर लगाम कस लेता है वो विजयी हो जाता है। तमिल में 'जली' का अर्थ है 'सिक्के की थैली' और 'कट्टू' का अर्थ है बैल का सिंग। इसलिए बैल के सिंग पर 'सिक्के की थैली' बांधकर दौड़ाया जाता है। चार दिवसीय पोंगल पर्व के तीसरे दिन 'जल्लीकट्टु' का दिन होता है। इस दौड़ में जो इंसान बैलों की सिंग को पकड़कर 'सिक्के की थैली' को पा लेता है,वो ही विजेता होता है।

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बैल को लोग आसानी से पकड़ लेते हैं...

बैल को लोग आसानी से पकड़ लेते हैं...

इस खेल की परंपरा 2500 साल पुरानी है। तमिलनाडु पूरे भारत में अकेला ऐसा राज्य है जहां बैलों को गाय से भी ज्यादा महत्व दिया जाता है। यहां के लोग मानते हैं कि बैल की प्रयोग बैलगाड़ी खींचने, हल चलाने और गर्भधारण के काम आता है इसलिए बैल बहुत उपयोगी है।

'जल्लीकट्टु' से तमिलवासियों की रोजी-रोटी भी चलती है

'जल्लीकट्टु' के लिए मंदिरों के बैलों का प्रयोग किया जाता है। जिस बैल को लोग आसानी से पकड़ लेते हैं, उसे कमजोर मान लिया जाता है और उसे घर के कामों के लिए प्रयोग जाता है। जो बैल आसानी से पकड़ में नहीं आते हैं उन्हें मजबूत मान लिया जाता है और उसका प्रयोग बैलों के परिवार को बढ़ाने के लिए किया जाता है। 'जल्लीकट्टु' से काफी हद तक तमिलवासियों की रोजी-रोटी भी चलती है। इसलिए 'जल्लीकट्टु' तमिलवासियों के लिए एक प्रथा नहीं बल्कि एक विश्वास- पहचान और जीविका का साधन है।

 'जल्लीकट्टू' के लिए बने हैं नियम

'जल्लीकट्टू' के लिए बने हैं नियम

इसलिए तमिलनाडु सरकार ने राज्य में 'जल्लीकट्टू' के आयोजन को लेकर अनुमति दी थी। लेकिन इसके साथ ही कुछ शर्तों को भी जोड़ा था, सरकार ने कहा कि आयोजन के दौरान कोरोना वायरस से जुड़े नियमों का पालन करना होगा, ताकि इसके संक्रमण को रोका जा सके। सरकार ने जो दिशा-निर्देश जारी किए थे, उनके अनुसार, आयोजन में 300 से अधिक सांड मालिक नहीं आ सकते हैं। साथ ही 150 से अधिक लोग आयोजन समारोह में हिस्सा नहीं ले सकते।

पहले लगा बैन फिर हटा

पहले लगा बैन फिर हटा

जनवरी 2011 में यूपीए ने एक अधिसूचना जारी करके 'जल्लीकट्टू' त्योहार पर पाबंदी लगाई थी लेकिन साल 2014 सुप्रीम कोर्ट ने इस पाबंदी को सही करार दिया था लेकिन साल 2016 में मोदी सरकार ने बैलों को उन जानवरों की सूची से हटा दिया, जिनके सार्वजनिक प्रदर्शन और परफॉर्मेंस पर प्रतिबंध था लेकिन सुप्रीम अदालत ने सरकार के आदेश पर रोक लगा दी और साल 2017 में एआईएडीएमके सरकार ने 'जल्लीकट्टू' को अनुमति दे दी थी।

वायरल वीडियो पर मचा था बवाल

दरअसल दो साल पहले इस महोत्सव से पहले एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिस पर बवाल मच गया था। वीडियो में दिखाया गया था कि महोत्सव से पहले बैलों को शराब पिलाई जाती है। बैलों को मारा जाता है जिसके कारण जब दौड़ शुरू होती है तो वो गुस्से में बेतहाशा दौड़ते हैं।

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English summary
Read History and Unknown Facts About about Jallikattu, Rahul Gandhi Reached Tamil nadu For this, read details here.
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