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Jallikattu Festival: जानिए आखिर पोंगल के साथ ही क्यों मनाया जाता है जल्लीकट्टू उत्सव

Jallikattu Festival: तमिलनाडु में हर साल पोंगल पर्व के साथ ही जल्लीकट्टू को मनाया जाता है। इस त्योहार में लोग सांड़ को काबू पाने की कोशिश करते हैं जोकि काफी खतरनाक होता है।

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Jallikattu Festival: जल्लीकट्टू तमिलनाडु का पारंपरिक खेल है और इसे सैकड़ों साल से यहां मनाया जा रहा है। जल्लीकट्टू शब् की बात करें तो यह सल्लीकट्टू से निकला है, सल्ली का मतलब होता है सिक्का और कट्टू का अर्थ होता है रस्सी का झोला। यानि सल्लीकट्टू का अर्थ होता है सिक्कों से भरा हुआ झोला या बैग। इस झोले को सांड़ की सींग पर बांधा जाता है, इसके बाद सांड़ को काबू करना होता है। इस प्रतियोगिता को ही जल्लीकट्टू प्रतियोगिता कहते हैं जिसे तमिलनाडू में सैकड़ों साल से लोग मनाते आ रहे हैं। माना जाता है कि यह परंपरा 2300 साल पुरानी है।

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त्योहारों में क्यों मनाया जाता है जल्लीकट्टू

त्योहारों में क्यों मनाया जाता है जल्लीकट्टू

जल्लीकट्टू को हर साल पोंगल पर्व के आस-पास मनाया जाता है। इसे तमिलनाडु के मदुरई जिले में खास तौर पर मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से अवनीयपुरम, पलामेडु और अलंगनल्लूर में मनाया जाता है। यहां बड़ी संख्या में लोग इसे देखने के लिए आते हैं। इस वर्ष 15 जनवरी से 17 जनवरी के बीच इसे मदुरई में मनाया जाएगा। दरअसल पौराणिक काल से ही सांड़ों का इस्तेमाल घरों और खेतों में किया जाता रहा है। फिर वह जमीन जोतने के लिए हो, गाड़ी खींचने के लिए हो, सांड़ो की हमेशा मदद ली जाती है। पोंगल पर्व को फसल की कटाई के समय मनाया जाता है। यही वजह है कि जल्लीकट्टू को भी पोंगल के साथ मनाया जाता है क्योंकि जानवरों की भूमिका खेती में काफी अहम मानी जाती है।

जान का खतरा होता है

जान का खतरा होता है

इस खेल की बात करें तो इसे एक छोटी से गली में खेला जाता है। यहां पर पहले मिट्टी को जोता जाता है और इसे थोड़ा गीला किया जाता है, गली को दोनों तरफ से स्टैंड लगाकर बंद कर दिया जाता है। इसके बाद सांड़ों को कुछ देर के लिए इस गली में छोड़ा जाता है और इस दौरान लोगों को सांड़ों पर काबू पाना होता है। यह खेल ना सिर्फ सांड़ों बल्कि इंसानों के लिए काफी खतरनाक होता है, इसमे जान जाने का खतरा होता है, यही वजह है कि इस खेल को लेकर काफी विवाद होता आ रहा है।

इसे प्रतिबंधित करने की हो रही है मांग

इसे प्रतिबंधित करने की हो रही है मांग

जानवरों के प्रति क्रूरता को लेकर लोग अक्सर इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। इस खेल पर प्रतिबंध लगाने के लिए कई याचिकाएं कोर्ट में दायर की गई। अलग-अलग संगठनों ने इस खेल को प्रतिबंधित करने की मांग की। लेकिन परंपरा का हवाला देते हुए लोग इस खेल का समर्थन करते हैं। कई लोग इस खेल में अपनी जान तक गंवा चुके हैं। वर्ष 2008 से 204 के बीच इस खेल में 43 लोगों की जान चली गई है जबकि 4 सांड़ों की भी मौत हुई है। वर्ष 2015 में इस खेल को प्रतिबंधित कर दिया गया था। लेकिन इस प्रतिबंध का काफी विरोध हुआ था, जिसके बाद इसे फिर से अनुमति मिल गई। लोग इसे संस्कृति और से जोड़ते हैं और नेता इसे वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।

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English summary
Here is why Jallikatu festival is celebrated with Pongal in Tamil Nadu
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