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Mulayam Singh Yadav की कमियों पर भारी पड़ी रिश्ते निभाने की उनकी खूबी

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2004 में मुलायम सिंह यादव उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री थे। विपक्षी दल भाजपा से लालजी टंडन नेता प्रतिपक्ष थे। 2004 में लोकसभा चुनाव का प्रचार चरम पर रहा था। राजनीतिक दलों की आपसी तल्‍खी तेज थी।

लालजी टंडन अक्‍सर मुलायम सिंह यादव की सरकार को घेर रहे थे। आरोप-प्रत्‍यारोप का दौर अपने चरम पर था। इसी दौरान लालजी टंडन के जन्‍मदिन पर 12 अप्रैल को गोल मार्केट में उनके समर्थक बृजेंद्र मुरारी यादव ने साड़ी वितरण कार्यक्रम रखा। टंडनजी इस कार्यक्रम में पहुंचे और साड़ी वितरण के दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें कई महिलाओं की मौत हो गई।

Mulayam Singh yadav maintained relations with all

इस हादसे के चलते लालजी टंडन बुरी तरह घबरा गये। उन पर मुकदमा दर्ज होने की नौबत आ गई, लेकिन मुलायम सिंह यादव चुनावी तल्‍खी के बावजूद लालजी टंडन के घर पहुंचे और सांत्‍वना दी। इस मामले में उन्‍होंने लालजी टंडन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने दी। हादसे को एक दुर्घटना के तौर पर दर्ज किया गया।

अगर यह घटना किसी और मुख्‍यमंत्री के कार्यकाल एवं चुनावी आरोप-प्रत्‍यारोप के दौर में हुई होती तो इतनी सरकारी उदारता की उम्‍मीद असंभव होती, लेकिन मुलायम सिंह ने राजनीतिक विद्वेष के आधार पर व्‍यक्तिगत नुकसान पहुंचाने की राजनीति नहीं की।

समाजवादी पार्टी की सियासत में तमाम कमियां होने के बावजूद मुलायम सिंह रिश्ते बनाने और निभाने की अपनी खूबी की बदौलत सभी दल के नेताओं-कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रिय रहे। राजनीतिक तौर पर उनके तमाम विरोधी रहे, लेकिन निजी तौर पर मुलायम सिंह यादव के विरोधियों की संख्‍या बहुत सीमित रही।

मुलायम ने राजनीतिक कडुवाहट के बीच अपने निजी संबंधों को सबसे ऊपर रखा। मुलायम सिंह यादव की एक सबसे बड़ी खासियत यह रही कि उन्‍होंने बहुतों की सही गलत मदद की, लेकिन कभी उसका सार्वजनिक प्रदर्शन या प्रचार नहीं किया।

वरिष्‍ठ पत्रकार योगेश श्रीवास्‍तव एक वाकया सुनाते हैं। मुलायम सिंह यादव दूसरी बार उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने थे। विधानसभा सत्र चल रहा था। सत्र के अंतिम दिन भाजपा के दिग्‍गज नेता एवं फर्रुखाबाद से विधायक ब्रह्मदत्‍त द्विवेदी ने राज्‍य में राजनीति के अपराधीकरण को लेकर मुलायम सिंह यादव की सरकार पर जमकर हमला बोला था।

ब्रह्मदत्‍त के आरोपों से मुलायम सिंह समेत सत्‍ता पक्ष असहज था। ब्रह्मदत्‍त द्विवेदी के सियासी हमले के बाद उत्‍तर प्रदेश में पुलिस की सक्रियता बढ़ गई थी।

विधानसभा सत्र समाप्‍त होने के बाद बाद ब्रह्मदत्‍त द्विवेदी फर्रुखाबाद वापस लौट रहे थे। रास्‍ते में कानपुर पुलिस सघन चेकिंग अभियान चला रही थी। इस चेकिंग की जद में ब्रह्मदत्‍त भी आ गये। पुलिस जांच में उनके पास से बिना लाइसेंस की एक रिवाल्‍वर मिली।

हाई प्रोफाइल मामला होने की वजह से तत्‍कालीन कानपुर एसपी ने इस बात की जानकारी अपने वरिष्‍ठ अधिकारियों को दी। यह बात मुख्‍यमंत्री मुलायम सिंह यादव तक पहुंची। बताते हैं कि मुलायम ने पुलिस को स्‍पष्‍ट निर्देश दिया कि ब्रह्मदत्‍त के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करनी है। उनसे कहो हमसे बात करें।

ब्रह्मदत्‍त ने मुलायम सिंह यादव से बात की। मुलायम ने ब्रह्मदत्‍त से कहा कि आप फौरन लखनऊ लौट कर मुझसे मिलो। ब्रह्मदत्‍त लखनऊ लौट आये और मुख्‍यमंत्री आवास जाकर मुलायम सिंह यादव से मिले।

यह भी पढ़ें: Mulayam Singh Yadav: सत्तावादी समाजवाद के कुशल अखाड़ेबाज थे मुलायम सिंह यादव

मुलायम सिंह ने लखनऊ के तत्‍कालीन डीएम को तलब किया और कहा कि इस रिवाल्‍वर का लाइसेंस जितना जल्‍दी हो सके, जैसे हो सके बनवाना सुनिश्चित करो। इस तरह अपने धुर विरोधी की मदद करने के बावजूद मुलायम सिंह यादव ने इस बात की चर्चा कभी नहीं की। यह तथ्‍य तब सामने आया जब स्वयं ब्रह्मदत्‍त द्विवेदी ने किसी वरिष्‍ठ पत्रकार से बातचीत के दौरान इसका जिक्र किया।

कांग्रेस सरकार के 80 दशक के एक कार्यकाल की बात है। 4 मार्च को इटावा में मुलायम सिंह यादव की कार यूटीसी-2516 गोलियों की तड़तड़ाहट से छलनी की गई। इस हमले में मुलायम सिंह यादव बाल बाल बच गये। हमले का आरोप लगा कांग्रेस सरकार में पंचायतीराज एवं ग्राम्‍य विकास मंत्री रहे बलराम सिंह यादव पर।

1989 में जब कांग्रेस यूपी में शक्तिहीन हो गई और बलराम सिंह यादव हाशिये पर पहुंच गये तब मुलायम सिंह यादव ने उन्‍हें ना केवल समाजवादी पार्टी से जोड़ा बल्कि उन्‍हें मैनपुरी लोकसभा सीट से 1998 में टिकट देकर सांसद बनाया। यह आसान निर्णय नहीं था, लेकिन मुलायम ने यह किया।

वर्ष 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला कार्यकाल खत्‍म हो रहा था, तब संसद के आखिरी सत्र में मुलायम सिंह यादव ने उन्‍हें फिर से प्रधानमंत्री बनने की शुभकामनाएं दीं। विपक्षी दल के लीडर होकर ऐसी शुभकामनाएं देना आसान नहीं था, लेकिन उनकी राजनीतिक समझ और यह अदा उन्‍हें मुलायम सिंह यादव बनाती थी।

मुलायम सिंह यादव पर किताब लिखने वाले वरिष्‍ठ पत्रकार दयानंद पांडेय बताते हैं कि गुजरात दंगों के बाद मुलायम सिंह यादव अपनी मुस्लिमपरस्‍त राजनीति के मद्देनजर एक कमेटी के साथ गुजरात का दौरा करना चाहते थे।

इस बात की जानकारी जब गुजरात के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी को हुई तो उन्‍होंने हालात बिगड़ने की आशंका जताते हुए मुलायम सिंह यादव से गुजरात दौरा टालने का आग्रह किया। मुलायम सिंह यादव ने राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश करने की बजाय मोदी की बात मानकर गुजरात का दौरा स्‍थगित कर दिया।

रिश्ते निभाने की अपनी इसी खूबी के चलते मुलायम अपने लोगों के बीच तो लोकप्रिय थे ही विपक्षी दलों में भी उनके प्रति व्‍यक्तिगत तौर पर एक सम्‍मान का भाव होता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिर तक मुलायम से राजनीतिक विरोध होने के बावजूद व्‍यक्तिगत संबंधों का सम्‍मान करते आये।

अपनों के प्रति मुलायम की उदारता की कई ऐसी कहानियां जुड़ी हैं। पार्टी के बुरे दौर में उनका साथ छोड़कर जाने वाले तमाम नेताओं की अच्‍छे दौर में वापसी करने पर ना केवल मुलायम ने उन्‍हें सम्‍मान दिया बल्कि पद भी दिया।

यह मुलायम सिंह की विशिष्टता थी कि घोर जातिवादी राजनीति के शिखर पुरुष होने के बावजूद उन्‍होंने जातीय वैमनस्‍यता की राजनीति कभी नहीं की। ना ही कभी किसी जाति के खिलाफ बयानबाजी की।

मुलायम सिंह यादव के जाने के बाद नेताओं की उस पीढ़ी का भी अवसान हो गया, जो अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के सुखदुख का ख्‍याल रखता था।

इस तथ्‍य से इनकार नहीं किया जा सकता कि अपराधियों एवं कार्यकर्ताओं की गुंडई को संरक्षण देने का आरोप भी मुलायम सिंह पर चस्‍पा है, उन पर भ्रष्‍टाचार के भी आरोप हैं, बावजूद इसके अपनी पार्टी के दिवंगत नेताओं के परिजनों को सहेजने की अदा उन्‍हें अपने समकक्ष नेताओं से अलग करती थी।

दरअसल, मुलायम सिंह यादव की इस खूबी के अनगिनत किस्‍से हैं, जिसमें कई तो उनके निधन के साथ ही दफन हो गये, क्‍योंकि उनसे लाभ लेने वाले नेताओं और पत्रकारों ने कभी इसका जिक्र नहीं किया। मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी पर राजनीति में अपराधीकरण को मान्‍यता देने तथा अपराधियों का महिमामंडन करने का आरोप है।

मुलायम सिंह पर मुख्‍यमंत्री रहते हुए अयोध्‍या में राम मंदिर आंदोलन के कारसेवकों पर गोली चलवाने का पाप भी चस्‍पा है, बावजूद इसके अपने लोगों के प्रति उदारता उनकी कमियों पर भारी पड़ती थी।

यह भी पढ़ें: Mulayam Singh Yadav Family Tree: जानिए 'नेताजी' के परिवार को, तीन दलों में एक्टिव हैं फैमिली के लोग

(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

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English summary
Mulayam Singh yadav maintained relations with all
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