अमेरिका में छात्र वीज़ा के नियमों में नरमी से भारतीयों में ख़ुशी
माता-पिता के एच1बी वीज़ा पर रह रहे हैं छात्रों को 21 वर्ष की आयु तक पहुँचने के बाद स्टूडेंट वीज़ा लेने और अपना क़ानूनी स्टेटस बरक़रार रखने के लिए बार-बार अलग आवेदन देना पड़ता था.
अमेरिका में अप्रवासन विभाग ने स्टूडेंट वीज़ा के नियमों में नरमी लाने का एलान किया है. इससे भारत के बहुत से युवाओं को भी फ़ायदा होगा.
वीज़ा नियमों में बदलाव के बाद ख़ासकर अमेरिका में काम करने के लिए एच1बी वीज़ा पर रह रहे लोगों के बच्चों को अमेरिका में क़ानूनी तौर पर रहते हुए छात्र वीज़ा लेने में भी आसानी होगी.
इसके तहत वे छात्र जो अपने माता-पिता के एच1बी वीज़ा पर रह रहे हैं, उन्हें 21 वर्ष की आयु तक पहुँचने के बाद छात्र वीज़ा लेने और अपना क़ानूनी स्टेटस बरक़रार रखने के लिए बार-बार अलग आवेदन नहीं भरने पड़ेंगे.
अमेरिका के अप्रवासन विभाग USCIS ने नए वीज़ा नियमों का एलान करते हुए एक बयान जारी किया.
अप्रवासन विभाग के बयान में कहा गया, "नए नियमों के तहत अब जिन लोगों ने F1 स्टूडेंट वीज़ा के लिए चेंज ऑफ़ स्टेटस (बदलाव) का आवेदन भर रखा है, उनको अब स्टूडेंट वीज़ा के तहत कॉलेज या यूनिवर्सिटी में पढ़ाई शुरू होने की तारीख़ से एक महीना पहले तक अपना लीगल स्टेटस (क़ानूनी हैसियत) बरक़रार रखने के लिए बार-बार इमीग्रेशन आवेदन नहीं भरने होंगे."
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लीगल स्टेटस में गैप
अमेरिका में रहने का वीज़ा ख़त्म न हो इसलिए बहुत से युवाओं को कॉलेज में पढ़ाई का सेशन शुरू होने से एक महीना पहले तक विभिन्न प्रकार के वीज़ा हासिल करके अपना लीगल स्टेटस बहाल रखना होता था, जिसके लिए अप्रवासन विभाग को कई अर्ज़ियां देनी पड़ती थीं.
अप्रवासन विभाग का कहना है कि अब जिस दिन जमा की गई पहली (I-539) ऐप्लिकेशन मंज़ूर की जाएगी, उसी दिन से F-1 के लिए चेंज ऑफ़ स्टेटस मान्य हो जाएगा और लीगल स्टेटस में गैप नहीं रहेगा.
अप्रवासन विभाग ने यह भी कहा है कि अगर किसी विद्यार्थी की पढ़ाई का कोर्स शुरू होने से एक महीना से अधिक समय पहले ही उसकी ऐप्लिकेशन मंज़ूर हो गई है तो उस दौरान भी स्टूडेंट वीज़ा के सारे नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा.
अमेरिकी अप्रवासन विभाग ने स्टूडेंट वीज़ा के नियमों का उद्हारण देते हुए कहा है कि स्टूडेंट वीज़ा पर रह रहे लोगों को शिक्षा कोर्स शुरू होने से एक महीना से अधिक समय पहले कैम्पस में या कैम्पस के बाहर नौकरी करने की इजाज़त नहीं है.
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अमेरिकी अप्रवासन विभाग
स्टूडेंट वीज़ा के नए नियमों का मक़सद यह है कि वीज़ा के लिए आवेदन देने वालों के साथ-साथ अमेरिकी अप्रवासन विभाग के लिए काम भी नहीं बढ़ेगा और ख़र्चा भी कम हो सकेगा.
मूल रूप से हैदराबाद शहर के रहने वाले भरत श्याम अब न्यू जर्सी में रहते हैं और आईटी क्षेत्र में काम करते हैं.
वह एच1बी वीज़ा पर भारत से अमेरिका आए और अब उनके बच्चों का भी दो साल बाद 21 वर्ष की आयु हो जाने के कारण एच4 वीज़ा खत्म हो जाएगा और इसीलिए एफ़1 के वीज़ा नियमों में नरमी से वह बहुत ख़ुश हैं.
भरत श्याम कहते हैं, "मेरे बच्चे भी दो तीन साल में एफ़1 में जाने वाले हैं तो इस नए नियम के आने से अब हम लोगों को परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी. इसीलिए मैं बहुत ख़ुश हूं कि वीज़ा नियम में बदलाव किए गए. मैं समझता हूं कि अप्रवसान विभाग का यह बहुत अच्छा क़दम है, इससे सभी लोगों के लिए बहुत अच्छे बदलाव आएँगे."
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एच1बी वीज़ा पर रहने वाले लोग
भारत के चेन्नई के रहने वाले हरीश कार्तिकेयन एफ़1 वीज़ा पर अमरीका में कई वर्षों से पढ़ाई कर रहे हैं. अब वह न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस में पीएचडी कर रहे हैं.
हरीश कार्तिकेयन कहते हैं कि छात्र वीज़ा के नियमों में नरमी से भारत से आने वाले छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी.
हरीश कार्तिकेयन कहते हैं, "F1 वीज़ा के नियमों में इस बदलाव से छात्रों को बहुत राहत मिलेगी. अब भारत से आने वाले छात्रों को अमेरिका में अपना लीगल स्टेटस बरक़रार रखने के लिए बार-बार विभिन्न अर्ज़िया नहीं भरनी पड़ेगी और उनको अपने वीज़ा पर स्टांप लगवाने भर के लिए वापस भारत नहीं जाना पड़ेगा... मैं समझता हूं यह बहुत बड़ी राहत है."
इससे पहले अमेरिका में नॉन-इमीग्रेंट वीज़ा धारकों जैसे एच1बी वीज़ा पर रहने वाले लोगों के बच्चे जब 21 वर्ष के हो जाते थे तो उनको या तो अंतरराष्ट्रीय छात्रों की तरह एफ़-1 स्टूडेंट वीज़ा लेना पड़ता था या फिर अपने देश वापस जाना पड़ता था.
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आईटी क्षेत्र
भारत के हैदराबाद शहर के ही सुब्रमणियम बोगावरपू न्यू जर्सी में रहते हैं और आईटी क्षेत्र में काम करते हैं. वह भी एच1बी वीज़ा पर ही अमेरिका में रह रहे हैं.
सुब्रमणियम बोगावरपू बताते हैं कि उनकी बहन भी एच1बी पर ही अमेरिका में रहती हैं और अब उनका ग्रीन कॉर्ड भी आने वाला है लेकिन उस समय तक उनके एक बच्चे की उम्र चूंकि 21 वर्ष की सीमा पार कर जाएगी और वह अपने माता-पिता के एच1बी या एच4 वीज़ा से अलग हो जाएगा.
इसलिए उस बच्चे को ग्रीन कार्ड भी नहीं मिल पाएगा. अब उनका परिवार इसको लेकर परेशान है कि उनके बच्चे को भारत वापस जाना पड़ सकता है या कनाडा शिफ़्ट होना पड़ सकता है. वह कहते हैं कि अब इस नए नियम से एफ़1 वीज़ा लेने में आसानी होगी.
सुब्रमणियम बोगावरपू कहते हैं, "इस नए वीज़ा नियम से एच1 वीज़ा पर अमेरिका आए लोगों को बहुत राहत मिलेगी. ख़ासकर इस वीज़ा पर आए लोगों के बच्चों को बहुत टेंशन होती थी, जब वह अनिश्चित्ता के दौर से गुज़र रहे होते हैं कि क्या अमेरिका में रहने का वीज़ा उन्हे मिलेगा या फिर उनको भारत वापस जाना पड़ेगा. और इसीलिए ऐसे बच्चों के माता-पिता भी बहुत परेशान रहते थे. अब यह नए नियम तो ऐसे लोगों के जीवन में बेहद अहम रोल अदा करेंगे."
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वीज़ा नियमों में नरमी
अमेरिका में काम करने के लिए एच1बी वीज़ा लेकर आने वाले पेशेवर लोगों में सबसे अधिक लोग भारत से ही आते हैं.
एक अनुमान के अनुसार अमेरिका में रहने वाले एक लाख 30 हज़ार से अधिक भारतीय युवाओं को एफ़1 वीज़ा नियमों में नरमी के कारण अमेरिका में रहने में आसानी हो जाएगी.
भारतीय मूल के बहुत से इमीग्रेशन वकीलों ने भी इस वीज़ा नियम में बदलाव का स्वागत किया है. लेकिन कई वकील यह भी कह रहे हैं कि अब अमेरिका को हर एक देश को एक सीमित संख्या में वीज़ा देने की नीति भी ख़त्म करनी चाहिए. और इसके साथ ही वीज़ा की संख्या भी बढ़ाई जानी चाहिए.
वहीं कुछ वकीलों का यह भी कहना है कि बच्चों का करियर तो एफ़1 वीज़ा के नियमों में बदलाव से बेहतर हो सकता है. लेकिन एच1बी वीज़ा वाले लोगों को ग्रीन कॉर्ड मिलना अब भी टेढ़ी खीर ही लगता है.
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ग्रीन कार्ड
भारतीय मूल के अमेरिकी आनंद अहूजा न्यूयॉर्क में अप्रवासन मामलों के वकील हैं.
वह कहते हैं, "एच1बी वीज़ा पर अमेरिका आए लोगों के बच्चों को इस नए नियम से फ़ायदा होगा क्योंकि वह यहां अमेरिका में उच्च शिक्षा लेकर अच्छी नौकरियों में जा सकते हैं. लेकिन मैं एच1बी वीज़ा पर आए लोगों को यह कहता हूं कि आप यह मान कर न चलें कि आपको ग्रीन कार्ड मिल ही जाएगा."
भारत से आकर जो लोग एच1बी और एच4 वीज़ा पर अमेरिका में रह रहे होते हैं और ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन देते हैं उन्हे ग्रीन कार्ड हासिल करने के लिए कई वर्षों तक इंतज़ार करना होता है. अधिकतर मामलों में तो 10 साल से भी अधिक का समय लग जाता है.
इसीलिए जब उन लोगों के बच्चे 21 वर्ष की उम्र पार कर जाते हैं तो उन बच्चों को अपने माता-पिता के वीज़ा से अलग किए जाने के कारण अपना लीगल स्टेटस बनाना मुश्किल होता रहा था.
अमेरिका के विश्वविद्यालयों में जल्द ही पढ़ाई का नया साल शुरू होने वाला है और ऐसे में अप्रवासन विभाग द्वारा छात्र वीज़ा नियमों में नरमी से युवाओं और उनके माता-पिता को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.
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