लॉकडाउन में दोगुनी हुई चिकन-फिश की डिमांड, ऑनलाइन फॉर्मूला आ रहा काम
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन जारी है। लोगों से घरों में रहने की अपील की गई है, तमाम तरह के कारोबार ठप पड़े हैं। छोटे व्यापारियों को भी बड़ा घाटा झेलना पड़ रहा है। इस बीच चिकन और मछली के खुदरा विक्रेताओं का ऑनलाइन मॉडल पर काम करना फायदे का सौदा रहा। खुदरा विक्रेताओं का दावा है कि लॉकडाउन के दौरान चिकन और मछली की ऑनलाइन बिक्री दोगुनी हो गई है। बता दें, 2013 में वैश्विक औसत 33.2 किलोग्राम की तुलना में 5.6 किलोग्राम के साथ भारत दुनिया में सबसे कम प्रति व्यक्ति मांस की खपत वाले देशों में से एक है।
लॉकडाउन में दोगुनी हुई ब्रिकी
कोरोनो वायरस (कोविड-19) के प्रकोप की वजह से बेंगलुरु स्थित चिकन रिटेलर 'नंदू चिकन', जो अपनी खुद की हैचरी, फीड-मिल, ब्रीडर फार्म, प्रोसेसिंग सेंटर, कोल्ड चेन चलाते है, वह अपने 49 स्टोरों में से 26 को बंद करने के लिए मजबूर हो गए। 'नंदू चिकन' के संस्थापक और चीफ कार्यकारी अधिकारी, नरेंद्र पसुपर्थी ने कहा, 26 स्टोर बंद करने के बावजूद हमने अपनी बिक्री दोगुनी कर दी है और हम दोगुनी गति से विकास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि फ्रोजन चिकन की मांग बढ़ी है, जबकि फ्रेश चिकन, जिसे बिरयानी और चिकन करी फॉर्मेट में इस्तेमाल किया जाता है, (250 रुपए की कीमत) पर बेचता है, उसकी बिक्री भी बढ़ी है। यह 'हीट-एंड-ईट' उत्पाद है जिसमें चिकन पॉपकॉर्न, चिकन बर्गर पैटीज और चिकन नगेट्स शामिल हैं। इन उत्पादों की बिक्री इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यह उत्पाद कस्टमर्स के स्टोर करने के लिए आसान है और साथ ही बनाने में भी आसान है।
'नंदू चिकन' में 110 कर्मचारी करते हैं काम
'नंदू चिकन' में 110 कर्मचारी काम करते हैं और कंपनी ने बिक्री, वितरण और ऑर्डर पूर्ति के लिए 17 लोगों की टीम के साथ अपने वर्चुअल कमांड सेंटर की स्थापना की है। पसुपर्थी ने कहा कि उन्हें कभी भी अपने कर्मचारियों से काम करने के लिए नहीं कहना पड़ा क्योंकि उनके पास कर्मचारियों के लिए रहने-खाने की पर्याप्त इंतजाम है। इसी वजह से काम में रुकावट नहीं आती है। उन्होंने बताया कि कंपनी अपने स्वयं के डिलिवरी एग्जीक्यूटिव के साथ-साथ'स्विगी' और 'डूंजो' जैसे पार्टनर्स के माध्यम से बेंगलुरु में एक सप्ताह में 15,000 डिलीवरी करती है। इस हिसाब से महीने में 65,000 आर्डर हो गए, जबकि लॉकडाउन से पहले ऑनलाइन एक महीने में 40,000 ऑर्डर थे।
'उपभोक्ता की मांग में 200 फीसदी की बढ़ोतरी'
पिछले साल दिसंबर में ई-फंडिग के माध्यम से 30 मिलियन डॉलर कमाने वाले ब्रांडेड मीट प्रोड्यूसर Licious के सह-संस्थापक विवेक गुप्ता ने बताया कि उनकी कंपनी के 700 कर्मचारी लॉकडाउन में काम कर रहे हैं। गुप्ता ने कहा, "इस समय हम उपभोक्ता की मांग में 200% की बढ़ोतरी देख रहे हैं।" शीर्ष विक्रेताओं ने चिकन और मछली के विकल्प शामिल किए हैं जिनमें कई किस्में शामिल हैं। गुप्ता ने कहा, "हाल के हफ्तों में नए ग्राहक की संख्या दोगुनी हो गई है।" उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी रोज करीब 18,000 आर्डर ले रही थी।
मछली की बिक्री में भी तेजी
मुंबई केंद्रित फ्रेश फिश वितरण सेवा, पेसाकफ्रेश के संस्थापक संग्राम सावंत की बिक्री में इसी तरह की तेजी देखी जा रही है। पिछले कुछ हफ्तों में उनकी संख्या कम से कम 1500 हो गई है और रोज उनके कॉल-सेंटर में 1500 कॉल आ रहे हैं। सावंत ने बताया कि करीब 80 फीसदी प्रवासी श्रमिक घर वापस चले गए हैं, लेकिन स्थानीय मछुआरे अभी भी हमारे साथ काम कर रहे हैं। "मीट-टेलर्स" के सामने आने वाली चुनौतियों पर टिप्पणी करते हुए Licious के सह-संस्थापक विवेक गुप्ता ने कहा, "हम स्थिति की निरंतर निगरानी कर रहे हैं और सरकार और स्थानीय अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि हम आवश्यक दिशानिर्देशों का पालन करें और सुरक्षा मानदंडों का पालन करें। बैकेंड आपूर्ति श्रृंखला अभी भी नहीं है। पूरी तरह से पुनर्जीवित, मानव शक्ति और रसद नेविगेट करने में चुनौतियां हैं।" एक संभावित समाधान यह है कि सरकार को रीजनिंग ज़ोन के लिए खुदरा विक्रेताओं के साथ हाथ मिलाना होगा जिन्हें डिलीवरी की आवश्यकता है।
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