सुप्रीम कोर्ट की तीस्ता सीतलवाड़ पर टिप्पणी, कहा-जाकिया जाफरी की भावनाओं का किया शोषण
नई दिल्ली, 24 जून: सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी रिपोर्ट के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा जाकिया की अर्जी में मेरिट नही है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि, इस मामले में सह-याचिकाकर्ता और कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने याचिकाकर्ता जकिया जाफरी की भावनाओं का शोषण किया है।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि एसआईटी रिपोर्ट को स्वीकार करने वाले गुजरात के मजिस्ट्रेट द्वारा पारित 2012 के आदेश को बरकरार रखते हुए जकिया जाफरी की याचिका में कोई दम नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा, तीस्ता सीतलवाड़ के पूर्ववृत्तों पर विचार करने की जरूरत है। वह परिस्थितियों की असली शिकार जकिया जाफरी की भावनाओं का गलत उद्देश्यों के लिए शोषण किया है।
अदालत ने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ की और जांच की जरूरत है क्योंकि वह अपने फायदे के लिए जकिया जाफरी की भावनाओं का इस्तेमाल कर रही थीं। न्याय की खोज के नायक अपने वातानुकूलित कार्यालय में एक आरामदायक वातावरण में बैठकर ऐसी भयावह स्थिति के दौरान विभिन्न स्तरों पर राज्य प्रशासन की विफलताओं को जोड़ने में सफल हो सकते है। पीठ ने आगे कहा कि केवल राज्य की विफलताओं को जोड़कर उच्चतम स्तर पर आपराधिक साजिश के आरोपों का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। एक साजिश का आरोप तभी लगाया जा सकता है जब अपराध करने के लिए मन के अंदर का स्पष्ट सबूत हो।
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इससे पहले, गुजरात सरकार ने कहा था कि जाफरी की याचिका के पीछे सीतलवाड़ का हाथ है। जिसने खुद दंगा पीड़ितों के कल्याण के लिए दान किए गए पैसे का कथित रूप से गबन किया था। गोधरा ट्रेन की घटना के एक दिन बाद हुई हिंसा में मारे गए 68 लोगों में जकिया जाफरी के पति और कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे। साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे को गोधरा में जला दिया गया था, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी और जिसके बाद 2002 में गुजरात में दंगे हुए थे।