तीस्ता सीतलवाड़ मामले पर UN की टिप्पणी को भारत ने अनुचित करार दिया
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के सवालों को अनुचित ठहरा दिया है।
नई दिल्ली/न्ययॉर्क, 29 जून : साल 2002 में हुए गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को SIT की ओर से मिली क्लीन चिट को सुप्रीम कोर्ट ने बरकार रखा। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के ठीक एक दिन बाद गुजरात एटीएस ने मुंबई की भारतीय नागरिक अधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व डीजीपी आरबी कुमार को गिरफ्तार कर लिया। इस पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने भारत की स्वतंत्र न्यायिक प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इसी विषय को लेकर पत्रकारों ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बगाची से कई सवाल किए।
We've seen a comment by the Office of the High Commissioner for Human Rights regarding legal action against Teesta Setalvad & 2 other persons. The remarks are completely unwarranted & constitute an interference in India's independent judicial system: MEA Spox Arindam Bagchi pic.twitter.com/uknUJKPtau
— ANI (@ANI) June 29, 2022
अरिंदम
बागची
ने
कहा,
यह
अनुचित
है..
विदेश
मंत्रालय
के
प्रवक्ता
अरिंदम
बागची
ने
पत्रकारों
के
सवालों
का
जवाब
देते
हुए,
संयुक्त
राष्ट्र
मानवाधिकार
उच्चायुक्त
कार्यालय
के
सवालों
को
अनुचित
ठहरा
दिया
है।
उन्होंने
साफ
शब्दों
में
कहा
कि,
उनकी
इस
विषय
पर
टिप्पणी
करना
अनुचित
है,
उन्होंने
ऐसा
प्रश्न
खड़ा
करके
भारत
की
स्वतंत्र
न्यायिक
प्रणाली
पर
सवाल
उठाए
हैं,
यह
अनुचित
है।
उन्होंने
कहा,
'भारत
में
प्राधिकरण
स्थापित
न्यायिक
प्रक्रियाओं
के
अनुसार
सख्ती
से
कानून
के
उल्लंघन
के
खिलाफ
कार्य
किया
जाता
हैं
और
ऐसे
में
यूएन
की
तरफ
से
की
गई
टिप्पणी
भ्रामक
और
अस्वीकार्य
है।'
"Authorities in India act against violations of law strictly in accordance with established judicial processes. Labeling such legal actions as persecution for activism is misleading and unacceptable," says MEA spokesperson Arindam Bagchi
— ANI (@ANI) June 29, 2022
जानें
पूरा
मामला
बता
दें
कि,
तीस्ता
सीतलवाड़
एक
कथित
भारतीय
नागरिक
अधिकार
कार्यकर्ता
और
पत्रकार
हैं।
वह
सिटीजन
फॉर
जस्टिस
एंड
पीस
की
सचिव
हैं,
जो
2002
के
गुजरात
दंगों
की
वकालत
करने
के
लिए
बनाई
गई
एक
संस्था
है।
साल
2002
में
हुए
गुजरात
दंगों
को
लेकर
एसआईटी
की
रिपोर्ट
में
भारतीय
नागरिक
अधिकार
कार्यकर्ता
तीस्ता
सीतलवाड़
और
पूर्व
डीजीपी
की
भूमिका
पर
सवाल
उठाए
गए
हैं।
जिसके
बाद
गुजरात
एसआईटी
ने
इन
दोनों
को
गिरफ्तार
कर
लिया
है।
अहमदाबाद
डिटेक्शन
ऑफ
क्राइम
ब्रांच
(DCB)
ने
सेवानिवृत्त
राज्य
डीजीपी
आरबी
श्रीकुमार
को
गिरफ्तार
कर
लिया।
जबकि
कोर्ट
में
जकिया
जाफरी
का
याचिका
का
समर्थन
करने
वाली
मुंबई
की
कार्यकर्ता
तीस्ता
सीतलवाड़
को
गुजरात
एटीएस
ने
गिरफ्तार
किया
है।
पूर्व
आईपीएस
अधिकारी
संजीव
भट्ट
का
नाम
गुजरात
की
ओर
से
दायर
नौ
पन्नों
की
प्राथमिकी
में
भी
पूर्व
आईपीएस
अधिकारी
संजीव
भट्ट
का
नाम
है,
जिन्हें
सुप्रीम
कोर्ट
के
आदेश
में
भी
सख्ती
का
सामना
करना
पड़ा
था।
भट्ट
पहले
से
ही
एक
अन्य
मामले
में
जेल
में
है।
अहमदाबाद
अपराध
शाखा
की
एक
टीम
ने
शनिवार
दोपहर
श्रीकुमार
को
गांधीनगर
स्थित
उनके
आवास
से
उठाया,
जबकि
सीतलवाड़
को
उनके
मुंबई
स्थित
आवास
से
हिरासत
में
लिया
गया।
आपराधिक
साजिश
के
आरोप
श्रीकुमार,
भट्ट
और
सीतलवाड़
के
खिलाफ
आईपीसी
की
धाराओं
468,
471,
194,
211,
218,
120
बी
के
तहत
एफआईआर
दर्ज
की
गई
है।
इनके
खिलाफ
जालसाजी,
फर्जी
दस्तावेज
या
इलेक्ट्रॉनिक
रिकॉर्ड
के
रूप
में
उपयोग
करना,
पूंजीगत
अपराध
की
सजा
हासिल
करने
के
इरादे
से
झूठे
सबूत
देना
या
गढ़ना,
चोट
लगाने
के
इरादे
से
किए
गए
अपराध
का
झूठा
आरोप,
लोक
सेवक
ने
गलत
रिकॉर्ड
या
लेखन
को
सजा
या
संपत्ति
को
जब्ती
से
बचाने
के
इरादे
से
बनाया
है
और
आपराधिक
साजिश
के
आरोप
लगे
हैं।