मोदी का 'पायलट प्रोजेक्ट' पूरा हो चुका है, रियल प्रोजेक्ट क्या है?
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नई दिल्ली- विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान की स्वदेश वापसी की राहत भरी खबरों के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने जिस रियल प्रोजेक्ट की बात की है, उसे संकेतों में समझने की कोशिश करें, तो उसके दूरगामी संकेत मिलते हैं। जांबाज अभिनंदन का वीडियो वायरल करने का पाकिस्तानी मकसद यही था कि भारत को बैकफुट पर लाया जा सके। लेकिन, भारत सरकार ने जिस सूझबूझ के साथ पाकिस्तान पर दबाव बनाया कि उसे 24 घंटे के भीतर ही घुटने टेक देने पड़े। मगर, भारत के रुख से लगता है कि उसके तेवर अभी भी नरम नहीं पड़े हैं, यानि बालाकोट एयर स्ट्राइक तक ही मामला खत्म नहीं हुआ है। मोदी के दिमाग में अभी भी कुछ न कुछ चल रहा है, जो कभी सामने आ सकता है।
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मसूद अजहर और हाफिज है टारगेट?
सर्जिकल स्ट्राइक (surgical strike) और एयर स्ट्राइक (air strike) ने आतंकी संगठनों और उनके रहनुमाओं में खौफ जरूर पैदा की है, लेकिन सच्चाई ये भी है कि वे अभी भी जिंदा हैं या कानून की गिरफ्त से बाहर हैं। भारत के नजरिए से देखें तो जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मौलाना मसूद अजहर और लश्कर-ए-तैयबा (कथित जमात-उद-दावा) का सरगना हाफिज सईद आतंक के वो दो बड़े नाम हैं। उनके खात्मे के बिना भारत में आतंक के खिलाफ जारी मौजूदा लड़ाई खत्म नहीं मानी जा सकती। भारत की सफलता ये है कि अब पाकिस्तान ने अजहर मसूद के पाकिस्तान में होने की बात भी कबूल ली है। वह भारत से भगोड़ा आतंकी है, जिसे इंडियन एयरलाइंस आईसी-814 (IC-814)का अपहरण करके छुड़ाया गया था। मौजूदा समय में पाकिस्तान के साथ तनाव के पीछे भी वही है, क्योंकि उसी के दहशतगर्दों ने पुलवामा हमले को अंजाम दिया है। जबकि, हाफिज सईद तो पाकिस्तान का प्रतिष्ठित नाम है। दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के लिए वह जमात-उद-दावा के नाम से सामाजिक संगठन चलाता है। लेकिन, हमारे लिए वह लश्कर का सरगना और मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड है। भारत ने उसके खिलाफ पुख्ता सबूत भी पाकिस्तान को दिए हुए हैं, लेकिन वो उसपर कुंडली मारकर बैठा है। अब सवाल उठता है कि मोदी ने जिस रियल प्रोजेक्ट की बात की है, वह कहीं यही दोनों तो नहीं है?
मीडिया के माध्यम से पाकिस्तान को चेतावनी
पाकिस्तान ने भारत को उसके रियल हीरो अभिनंदन का डर दिखाकर परेशान करने की कोशिश की थी। लेकिन, भारत सरकार कभी भी उसके दबाव में विचलित नजर नहीं आई। दोनों देशों के 7 दशक के तनाव भरे लंबे इतिहास में शायद ही कोई ऐसा मौका आया हो, जब पाकिस्तान भारत के किसी हाईप्रोफाइल युद्धबंदी को इतनी जल्दी वापस करने को तैयार हुआ हो, वो भी बिना शर्त। अभिनंद के पाकिस्तान की गिरफ्त में होने के दौरान ही भारत में तीनों सेनाओं के अधिकारियों ने देशी-विदेशी मीडिया की मौजूदगी में पाकिस्तान के शांतिदूत बनने की नौटंकी को बेनकाब कर दिया। क्योंकि, भारत को पता था कि मौजूदा हालातों में कायर पाकिस्तान में हमारे वीर सैनिक का बाल भी बांका करने का दम नहीं है। दरअसल, भारत ने उसके खुद भी आतंकवाद से पीड़ित होने का कच्चा चिट्ठा खोलकर रख दिया है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इस्तेमाल के लिए अमेरिका से मिले फाइटर जेट एफ-16(F-16) का उसने उस भारत के खिलाफ उपयोग किया है, जो दहशतगर्दी के विरुद्ध ही जंग लड़ रहा है और उसी के लिए बालाकोट तक पहुंचा है। पाकिस्तानी शासकों और वहां की सेना को पूरा इल्म है कि भारत के राजौरी इलाके में अमराम (AMRAAM) मिसाइल के टुकड़े मिलने के मायने क्या हैं। क्योंकि यह सिर्फ फाइटर जेट एफ-16(F-16) में ही उपयोग होता है। क्या, इसके बाद भी पाकिस्तान दुनिया के सामने चेहरा दिखाने लायक बचा है? जाहिर है, कि इस सबूत का इस्तेमाल अब भारत हाफिज और अजहर जैसे आतंकी सरगनाओं को भारत के हवाले करने या उन्हें पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन की तरह ठिकाने लगाने के लिए दबाव बना सकता है।
अजहर मसूद पर पाकिस्तान का कबूलनामा
मौलाना मसूद अजहर पर नकेल कसने के लिए भारत को एक के बाद एक रणनीतिक कामयाबी मिली है। पहले चीन समेत लगभग 50 देश भारत के समर्थन में आ चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पुलवामा हमले की निंदा करने वाले प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वालों में पाकिस्तान का दोस्त चीन भी था। ये वही चीन है, जो हमेशा उसे ग्लोबल टेररिस्ट की लिस्ट में शामिल करने पर पेंच फंसाता था। अब अमेरिकी, यूनाइटे किंगडम और फ्रांस जैसे देश फिर से उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रयास में जुटे हुए हैं। यह सब मोदी की उसी रणनीति का परिणाम है, जो प्रोजेक्ट उनके दिमाग में चल रहा है। भारत का यह चौतरफा कूटनीतिक दबाव रंग भी ला रहा है। अब पाकिस्तान यह मानने को मजूबर हो चुका है कि अजहर मसूद पाकिस्तान में ही छिपा बैठा है। हालांकि अभी भी उसकी नौटंकी जारी है और वह कह रहा है कि उसकी सेहत ठीक नहीं। अब देखने वाली बात होगी कि पाकिस्तान आखिरकार कबतक उसे पनाह दे पाता है। क्योंकि, भारत में पुलवामा हमले के बाद जो माहौल खड़ा हुआ है, उसे अब और ज्यादा नजरअंदाज करना किसी के लिए आसान नहीं है।
मुस्लिम देशों में भी पाक को अलग-थलग करने की कोशिश
पाकिस्तान के जिद को ठुकरा कर भी ऑरेगेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (OIC)में भारतीय विदेश मंत्री को विशेष मेहमान के रूप में बुलाना, मुस्लिम देशों के नजरिए से मामूली घटना नहीं है। इससे जाहिर होता है कि मुस्लिम देशों के लिए भी आज भारत का महत्त्व क्या है। 47 मुस्लिम बहुल देशों के इस संगठन का पाकिस्तान फाउंडर मेंबर है, लेकिन फिर भी उसके न चाहते हुए भी भारत को बुलाया गया। जबकि, सबको पता था कि सुषमा स्वराज आतंकवाद का मुद्दा जरूर उठाएंगी और उन्होंने वैसा ही किया भी। पाकिस्तान एक मुस्लिम राष्ट्र है, लेकिन उसकी बात मुस्लिम देशों ने भी नहीं मानी। क्या इतना सबकुछ बिना भारत के बढ़ते दबदबे से मुमकिन हो पाता। अगर मोदी के नेतृत्व में भारत ने मुस्लिम देशों में भी अपनी पैठ बनाई है, तो निश्चित तौर पर यह भी किसी बड़ी रणनीति का ही हिस्सा है। सच्चाई ये है कि ईरान जैसा मुस्लिम देश भी आज आतंकवाद से परेशान है। वहां भी दहशतगर्दी में सीधा या परोक्ष रूप से पाकिस्तान का हाथ है। अगर मोदी ने सुषमा को संयुक्त राष्ट्र के बाद इस सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय संगठन में भारत का पक्ष रखने के लिए भेजा है, तो जाहिर है कि उनके दिमाग में जो प्रोजेक्ट है, वह उसी की ओर बढ़ते जा रहे हैं।