जानिए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा किन चेहरों पर लगाएगी दांव, किन वोटरों को कर रही टारगेट
बेंगलुरु। दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। राज्य की सभी 70 सीटों के लिए आठ फरवरी को मतदान होगा और 11 फरवरी को मतगणना होगी। चुनाव आयोग द्वारा तरीखों की घोषणा के बाद ही दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी संग्राम में उतर चुकी है। सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी प्रमुख और दिल्ली के वर्तमान सीएम अरविंद केजरीवाल दोबारा सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं वहीं हरियाणा में झटका और महाराष्ट्र-झारखंड में हार झेल चुकी बीजेपी के लिए ये बेहद अहम चुनाव है। इस चुनाव में हुई ऊंच-नीच हिचकोले खा रही बीजेपी की गाड़ी को बुरी तरह पटरी से उतार सकती है। इसलिए भाजपा 2020 चुनाव में दिल्ली की सल्तनत को अपने कब्जे में करने के लिए पूरा दम लगा रही है।
दिल्ली में पिछले विधानसभा चुनाव में महज तीन सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा इस चुनाव में हर कदम बहुत संभल कर रखना चाह रही है। मुख्यमंत्री के चेहरे की बात करें तो आम आदमी पार्टी को अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर चुनाव लड़ना तय है वहीं बीजेपी में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर ऊहापोह था। मनोज तिवारी दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष हैं। काफी मुखर भी नजर आते हैं लेकिन मनोज तिवारी के दम पर चुनाव जीतना भाजपा के लिए संभव नहीं है। इसीलिए पार्टी चुनाव की नदी अपने खेवैया पीएम नरेंद्र मोदी के सहारे पार करना चाहती है। बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत भी पीएम नरेंद्र मोदी की दिल्ली में रैली से कर चुकी है।
भाजपा इन चेहरों पर लगाएगी दांव
पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा इस चुनाव में बड़ी संख्या में नए चेहरों पर दांव लगाने की रणनीति बना रही है। इसके तहत भाजपा कई पूर्व पार्षदों को चुनाव दंगल में उतारेगी जिनके टिकट 2017 में काटे गए थे। भाजपा ने एक अंदरूनी सर्वे और आरएसएस की रिपोर्ट के अनुसार पार्टी को नए चेहरों के साथ बेहतर सफलता मिल सकती है। इतना ही नहीं भाजपा उम्मीदवारों का चयन उनके निर्वाचन क्षेत्र में पसंद और ट्रैक रिकार्ड के आधार पर करेंगी। पार्टी को सबसे ज्यादा मशक्कत आम आदमी पार्टी सरकार के मुफ्त बिजली, पानी व डीटीसी बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा जैसे मुद्दों से करनी पड़ रही है। लेकिन भाजपा को अपने कच्ची कॉलोनियों के मुद्दे पर भरोसा है।
नए चेहरों पर इसलिए लगाएगी दांव
बता दें दिल्ली में भाजपा के वर्तमान समय में महज तीन ही विधायक हैं। भाजपा के पास ज्यादा न होने से टिकट कटने जैसा ज्यादा विरोध सामने नहीं आएगा। ऐसे में पार्टी अधिकांश नए चेहरों पर दांव लगाएगी। पिछली बार चुनाव हारे कुछ ही लोगों को फिर से उम्मीदवार बनाया जाएगा। पार्टी उम्मीदवारों के लिए पूर्व पार्षदों के नामों पर गंभीरता से विचार कर रही है। गौरतलब है कि पिछले नगर निगम चुनावों में भाजपा ने सत्ता विरोधी माहौल से निपटने के लिए सभी पार्षदों के टिकट काट दिए थे। अब विधानसभा चुनावों में उनके नामों पर विचार किया जा रहा है।
इसलिए 14 जनवरी के बाद भाजपा निकालेगी पहली लिस्ट
गौरतलब है कि एक सप्ताह बाद विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक भी 14 जनवरी के बाद ही होगी। भाजपा खरमास होने के कारण उम्मीदवारों की पहली सूची 15 जनवरी को जारी करेगी। जिसमें भाजपा के चुनावी उम्मीदवार के रुप में कई पूर्व पार्षदों के नाम का खुलासा किया जाएगा। भाजपा 40 उम्मीदवारों के नाम बैठक के बाद पहली सूची में तय किए जा सकते हैं। खरमास के अलावा 14 जनवरी के बाद लिस्ट जारी करने की यह भी रणनीति है कि तब तक उसकी विरोधी राजनीतिक पार्टी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर देगा जिसके आधार पर वह अपने उम्मीदवार उतारेगी।
भाजपा इन वोटरों को कर रही टारगेट
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले ही गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को एक बड़ा एलान किया। उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों से कहना चाहता हूं कि आप चिंता मत कीजिए, जहां झुग्गी है वहीं मकान देने का काम नरेंद्र मोदी करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि एक पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू हो गया है, 20 हजार झुग्गियों को मकान देने की शुरुआत हो गई है। मौजूदा आप सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली की जनता की आंखों में केवल धूल झोंकी है, उन्होंने पांच साल में कुछ नहीं किया। ऐसे में साफ है कि भाजपा का टारगेट झुग्गी झोपडि़यों में रहने वाले वोटरों पर खासतौर पर रहेगा। भाजपा ने सभी झुग्गी बस्तियों में भी अपना दफ्तर खोलना शुरु कर दिया है। भाजपा कार्यकर्ता जहां झुग्गी वहां मकान योजना को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएंगे। इसके लिए स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे
कच्ची कॉलोनियों के वोटर हैं टारगेट
कच्ची कालोनियों के वोटरो को ध्यान में रखते हुए भाजपा विधानसभा चुनावों में कच्ची कॉलोनियों का मुद्दा बड़े स्तर पर उठाएगी। कच्ची कॉलोनियों के नियमितिकरण को लेकर प्रधानमंत्री की रैली रामलीला मैदान में हो चुकी है। इसके बाद पार्टी ने तय किया है कि 1731 कच्ची कालोनियों में भाजपा दफ्तर खोल रही है। यहां भाजपा कार्यकर्ता स्थानीय लोगों की मदद कर रहे हैं। इतना ही नहीं कच्ची कॉलोनी में रहने वालों के रजिस्ट्रेशन में मदद की जाएगी। पार्टी कच्ची कॉलोनियों में बड़ा अभियान भी चला रही है। सभी को बताने का प्रयास किया जाएगा कि लंबे समय से लंबित इस मामले को भाजपा ने सुलझाया है। कच्ची कालोनी का असर चालीस लाख से ज्यादा लोगों पर पड़ेगा। भाजपा इसे चुनाव में बड़ा फैक्टर मान रही है।
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