Health ID Card: डिजिटल हेल्थ कार्ड क्या है और कैसे काम करेगा ? पूरी जानकारी यहां मिलेगी
नई दिल्ली, 27 सितंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से देश में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) की भी शुरुआत कर दी है। यह तारीख देश में आयुष्मान योजना की तीसरी वर्षगांठ भी है। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत शुरू में 1 लाख से ज्यादा यूनिक हेल्थ आईडी कार्ड लॉन्च किया गया है। गौरतलब है कि कुछ केंद्र शासित प्रदेशों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 15 अगस्त को ही लॉन्च किया गया था। आइए जानते हैं कि डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र क्या है, यह कैसे काम करेगा, आप इसे कैसे बनवा सकते हैं और आपके लिए यूनिक हेल्थ आईडी कार्य क्यों लाभदायक है? यह यूनिक हेल्थ आईडी पूरी तरह से फ्री और स्वैच्छिक है। इसकी मदद से सरकार को भविष्य में स्वास्थ्य से संबंधित नीति और योजनाएं बनाने में भी सहायता मिलेगी।
डिजिटल हेल्थ आईडी कार्ड क्या है ?
यह आधार कार्ड की तरह ही एक डिजिटल पहचान पत्र है, जिसमें संबंधित व्यक्ति का पूरा मेडिकल डेटा मौजूद रहेगा और एक क्लिक से उस व्यक्ति की पूरी मेडिकल हिस्ट्री उपलब्ध हो जाएगी। यानी इसके बनने के बाद लोगों को डॉक्टरों के पास अपने स्वास्थ्य से संबंधित सारी रिपोर्ट या पर्ची ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यूनिक डिजिटल हेल्थ आईडी कार्ड इसका झंझट ही खत्म कर देगा। जिस तरह से अभी अपनी पहचान बताने के लिए आपका आधार नंबर ही काफी होता है, इसी तरह से 14 अंकों वाला डिजिटल हेल्थ आईडी नंबर लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी पूरी जानकारी सहेज कर रखेगा। डॉक्टर को सिर्फ यह नंबर बताना होगा और उसके कंप्यूटर पर मरीज के स्वास्थ्य से संबंधित अबतक का पूरा रिकॉर्ड आ जाएगा। (पहली प्रतीकात्मक तस्वीर सौजन्य: एनडीएचएम डॉट गॉव डॉट इन)
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स्वास्थ्य के क्षेत्र में 'वन-स्टॉप सॉल्यूशन'
डिजिटल हेल्थ आईडी कार्ड को ऐक्टिवेट करने के लिए आधार नंबर या मोबाइल नंबर की जरूरत पड़ेगी। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी बातों के लिए आने वाले दिनों में 'वन-स्टॉप सॉल्यूशन' की तरह काम करेगा। इसे लागू करने का मकसद देश में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के लिए एक मजबूत आधार तैयार करना है। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन की वेबसाइट के मुताबिक यह मिशन प्रत्येक व्यक्ति का इलेक्ट्रॉनि मेडिकल रिकॉर्ड तैयार करने के लिए लॉन्च किया गया है। इससे डॉक्टर संबंधित मरीजों के स्वास्थ्य के तमाम मापदंडों जैसे कि ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर आदि में आए बदलावों को आसानी से मॉनिटर कर सकेंगे। इस प्रोजेक्ट को पहले पायलट फेज के तौर पर केंद्र शासित प्रदशों- अंडमान और निकोबार द्वीप, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, दमन औ दीव, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुडुचरी में लॉन्च किया गया था।
डिजिटल हेल्थ आईडी कार्ड कैसे काम करेगा ?
इस योजना के चार जरूरी भाग हैं- यूनिक डिजिटल हेल्थ आईडी, हेल्थकेयर प्रोफेशनल रजिस्ट्री, हेल्थ फैसिलिटी रजिस्ट्री और इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड। शुरुआत में इस योजना का उद्देश्य इसके जरिए स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक डिजिटल ढांचा तैयार करना है, जिनमें ऊपर के चारों विषय शामिल हैं। बाद में सरकार की योजना इसके जरिए टेलीमेडिसिन और ई-फार्मेसीज को भी जोड़ना है। यूनिक हेल्थ आईडी जेनरेट करने के लिए पहले सिस्टम में लोगों की आधारभूत जानकारी जैसे कि नाम, उम्र, स्थान, परिवार और कॉन्टैक्ट डिटेल्स डाला जाएगा। इस सिस्टम से सरकारी और निजी स्वास्थ्य सेवाओं जैसे कि अस्पताल, क्लिनिक, डायग्नॉस्टिक सेंटर, इमेजिंग सेंटर और फार्मेसी जुड़े रहेंगे। लेकिन, मरीजों के स्वास्थ्य से संबंधित कोई भी जानकारी उसकी सहमति के बाद ही एक्सेस की जा सकेगी। यानी मरीजों की निजता, गोपनीयता और सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाएगा।
हेल्थ रिकॉर्ड कैसे तैयार किया जाएगा ?
यूनिक हेल्थ आईडी बन जाने के बाद संबंधित व्यक्ति के स्वास्थ्य से जुड़ी सारी जानकारी उसकी सहमति से उसमें ली जाएगी। एनडीएचएम वेबसाइट के मुताबिक यह सूचनाएं पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड-सिस्टम के तहत होंगी, जिसे संबंधित व्यक्ति खुद मैनज करने में सक्षम होगा। इसके जरिए वह व्यक्ति अपने स्वास्थ्य स जुड़े सारे रिकॉर्ड जैसे कि डॉक्टरों की पर्ची, लैब रिपोर्ट, उपचार का ब्योरा, डिस्चार्ज समरी देख सकेगा। यानी इस एक यूनिक हेल्थ आईडी की मदद से मरीजों की बीमारी, उसकी टेस्ट रिपोर्ट, किस अस्पताल या किस क्लिनिक में किस डॉक्टर ने देखा, क्या उपचार किया, क्या दवाइयां दी गईं इनका पूरा ब्योरा एक क्लिक में उपलब्ध रहेगा। जिसे मरीज खुद तो देख ही सकेंगे, उसकी सहमति से उसके डॉक्टर भी उसे एक्सेस कर पाएंग।