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LIC का शेयर ख़रीदना फ़ायदे या नुकसान का सौदा? जानिए हर अहम बातें

सब कुछ जोड़ने के बाद जानकार इस नतीजे पर पहुँचे थे कि सिर्फ गणित जोड़कर एलआइसी की क़ीमत निकाली जाए तो वो क़रीब 5.4 लाख करोड़ रुपए है.

By BBC News हिन्दी
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भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआइसी का आइपीओ चार मई को आएगा और नौ मई तक इसमें अर्ज़ी लगाने का मौक़ा है.

देश में शायद ही कोई परिवार होगा, जिसके किसी ने किसी सदस्य ने एलआइसी की पॉलिसी न ली हो यानी इससे बीमा न करवाया हो. लेकिन सवाल है कि आख़िर एलआइसी का आइपीओ आ रहा है, इसमें बड़ी बात क्या है?

भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआइसी भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी और दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी है.

इसके साथ ही ये देश के सबसे बड़े ज़मींदारों में से एक भी है यानी देश के अलग-अलग शहरों में सबसे क़ीमती जायदाद का बड़ा हिस्सा इसी कंपनी के पास है. भारत के शेयर बाज़ारों में पैसा लगाने वाला सबसे बड़ा संस्थान भी एलआइसी ही है.

देश के सारे म्यूचुअल फंड मिलकर भी बाज़ार में एलआइसी के निवेश से लगभग आधी रक़म ही जुटा पाते हैं. इसी लिए शेयर बाज़ार के खिलाड़ियों और निवेशकों को लंबे समय से उस दिन का इंतज़ार था जब सरकार एलआइसी में हिस्सेदारी बेचने का फ़ैसला करे और उन्हें इस बेशकीमती कंपनी के शेयर ख़रीदने का मौक़ा मिल जाए.

पिछले साल के बजट में वित्त मंत्री ने एलआइसी में पाँच से 10 फ़ीसदी तक हिस्सेदारी बेचने का इरादा सामने रखा था, जिसके बाद से ये इंतज़ार और तेज़ हो गया था. सरकार के लिए भी एलआइसी का आइपीओ काफ़ी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे जो रक़म मिलेगी वो उसके विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने में योगदान करेगी.

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एलआइसी की संपत्ति का भाव कितना है?

ये बहुत मुश्किल सवाल है. वित्त मंत्री के एलान के बाद से आइपीओ आने तक लगभग दो साल का जो समय लगा उसका बड़ा हिस्सा ये हिसाब लगाने में ही गया है कि देश भर में फैली एलआइसी की संपत्ति का बाज़ार भाव क्या क्या है और उस सब को जोड़ने के बाद एलआइसी की क़ीमत क्या बनती है.

इसके बाद ही ये हिसाब लग सकता था कि सरकार एलआइसी की हिस्सेदारी बेचने के लिए क्या भाव लगाए. इसके साथ एलआइसी के बीमा कारोबार की क़ीमत और बाज़ार में उसके निवेश को भी जोड़ना ज़रूरी है. सब कुछ जोड़ने के बाद जानकार इस नतीजे पर पहुँचे थे कि सिर्फ गणित जोड़कर एलआइसी की क़ीमत निकाली जाए तो वो क़रीब 5.4 लाख करोड़ रुपए है.

इसे एंबेडेड वैल्यू या अंतर्निहित मूल्य भी कहा जा सकता है. लेकिन कंपनियां जब बाज़ार में उतरती हैं, तब उन्हें फ़ैसला करना होता है कि वो बाज़ार को इस क़ीमत के कितने गुने पर अपने शेयर बेच सकती हैं.

इसका फ़ैसला इस बात से होता है कि कंपनी का भविष्य कैसा दिख रहा है यानी आगे जाकर ये क़ीमत किस रफ़्तार से बढ़ सकती है.

बाज़ार पर कंपनी का कितना क़ब्ज़ा है, यानी मुक़ाबला कितना कठिन या आसान है. और भी बहुत सी चीज़ें हैं, जिनके आधार पर सलाहकारों ने पाया था कि कंपनी की हैसियत क़रीब साढ़े तेरह लाख करोड़ रुपए पर आंकी जा सकती है, यानी लगभग ढाई गुना.

लेकिन निवेशकों और सलाहकारों के साथ चर्चा के बाद अब सरकार एलआइसी की निहित क़ीमत से सिर्फ 1.1 गुना भाव पर आइपीओ में शेयर बेचने जा रही है.

इसके लिए काफ़ी हद तक बाज़ार के हालात और यूक्रेन युद्ध से पैदा हुई अनिश्चितता ज़िम्मेदार है. इसीलिए जहाँ सरकार एलआइसी में पाँच से 10 पर्सेंट हिस्सा बेचना चाहती थी, अब वो सिर्फ़ साढ़े तीन पर्सेंट हिस्सेदारी ही बेच रही है. यानी आइपीओ का आकार काफ़ी छोटा हो चुका है.

इसके बावजूद ये भारतीय बाज़ार का अब तक का सबसे बड़ा आइपीओ है और सरकार 221,374,920 शेयर बेचकर लगभग 20557 करोड़ रुपए जुटाने की तैयारी कर रही है. इससे पहले अब तक का सबसे बड़ा आइपीओ पेटीएम का था, जिसमें साढ़े अठारह हज़ार करोड़ रुपए जुटाए गए थे.

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एलआइसी के आइपीओ में इतनी देर क्यों लगी?

एलआइसी किसी दूसरी कंपनी की तरह नहीं है. सन् 1956 में जब भारत सरकार ने जीवन बीमा कारोबार का राष्ट्रीयकरण किया तब उसने एक विशेष क़ानून बनाकर देश की सारी जीवन बीमा कंपनियों का कारोबार समेटकर एलआइसी का गठन किया था. इसके तहत एलआइसी के सारे शेयर सरकार के पास थे.

कंपनी इतनी बड़ी हो चुकी है कि इसकी हैसियत आँकने में भी वक़्त लगा और सरकार को आशंका थी कि इसका पाँच या 10 पर्सेंट हिस्सा बेचने पर भी शेयर बाज़ार को झटका लग सकता है.

इसलिए इस बात की तैयारी भी की गई कि नियम बदलकर विदेशी निवेशकों को सीधे आइपीओ में अर्ज़ी लगाने की इजाज़त दी जाए. इसके साथ ही एलआइसी के पॉलिसीधारकों के लिए अलग कोटे का इंतज़ाम भी किया गया और सारी तैयारी के बाद फ़रवरी में सरकार ने सेबी के पास आइपीओ की अर्ज़ी लगाई.

पिछले हफ्ते सेबी से मंज़ूरी मिल गई है लेकिन इस बीच यूक्रेन युद्ध की वजह से बाज़ार की अनिश्चितता का असर है कि सरकार को आइपीओ के आकार में कटौती करनी पड़ी और जहाँ साठ हज़ार से डेढ़ लाख करोड़ रुपए तक जुटाने के अनुमान लगाए जा रहे थे वहीं अब ये आइपीओ सिर्फ बीस हज़ार करोड़ के आसपास की रक़म के लिए आ रहा है.

क्या सरकार जल्दी ही एलआइसी के और शेयर भी बाज़ार में बेच सकती है?

नियम के हिसाब से शेयर बाज़ार में लिस्टेड किसी भी कंपनी में कम से कम 25 पर्सेंट शेयर जनता के पास यानी ऐसे लोगों के पास होने चाहिए जो कंपनी के प्रोमोटर नहीं हैं. लिस्टिंग के इस नियम का पालन करने के लिए सरकार को अपनी हिस्सेदारी 100 पर्सेंट से घटाकर 75 पर्सेंट तक लानी होगी.

सरकारी कंपनियों को इस नियम के लिए कुछ ज़्यादा मोहलत मिल जाती है. इसीलिए एलआइसी को सिर्फ़ साढ़े तीन पर्सेंट शेयर बेचने की विशेष अनुमति भी मिल गई है.

सरकार ने पहले कह रखा है कि वो दो तीन साल में 10 से 20 पर्सेंट हिस्सेदारी और बेच सकती है. नियम के अनुसार उसे ऐसा करना भी है.

लेकिन आज आइपीओ में पैसा लगानेवालों के लिए ये फ़िक्र की बात हो सकती है इसलिए सरकार ने ये वादा भी किया है कि आइपीओ आने के बाद कम से कम एक साल तक वो अपने बाकी शेयरों में से कोई हिस्सेदारी बाज़ार में नहीं बेचेगी ताकि मौजूदा शेयर होल्डरों को उनके शेयरों की कीमत अचानक गिरने का डर न रहे.

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एलआइसी के पॉलिसीधारकों को शेयर क्यों दिए जा रहे हैं?

ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई कंपनी अपने सभी ग्राहकों को अपना शेयरधारक बनने का प्रस्ताव दे रही है. वजह ये है कि जब सरकार एलआइसी के आइपीओ की तैयारी कर रही थी तो उसे इस बात का डर था कि इतने बड़े आइपीओ के लिए बाज़ार में पूरी मांग भी हो पाएगी या नहीं.

इसीलिए ये अनूठा तरीक़ा सोचा गया. एलआइसी के लगभग 29 करोड़ पॉलिसीधारक हैं. इनमें बहुत बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जिन्होंने कभी शेयर बाज़ार में निवेश नहीं किया.

जानकारों का मानना है कि इनमें से 10 पर्सेंट लोग भी अगर एलआइसी के शेयरों के लिए अर्ज़ी लगाते हैं तो इससे दोहरा फ़ायदा होगा. एक तो एलआइसी का इशू सफल होने की संभावना बढ़ जाएगी और दूसरे इन लोगों को शेयर बाज़ार की राह दिख जाएगी तो फिर ये दूसरी जगह भी निवेश की सोच सकते हैं.

ये वजह है कि सिर्फ़ एलआइसी और सरकार ही नहीं बल्कि पूरा शेयर बाज़ार इस बारे में उत्साहित है. एलआइसी के एजेंट महीनों से काम पर लगे हैं और पॉलिसीधारकों को शेयर होल्डर बनने के फ़ायदे भी बता रहे हैं और ऐसा करने का रास्ता भी.

क्या पॉलिसीधारकों को एलआइसी के शेयर मुफ़्त में मिलेंगे?

नहीं. किसी को भी ये शेयर मुफ़्त नहीं मिलेंगे. पॉलिसीधारकों को भी इसकी क़ीमत चुकानी होगी. बस उनके लिए एक अलग कोटा है.

इस आइपीओ का दस पर्सेंट हिस्सा यानी दो करोड़ 21 लाख शेयर पॉलिसीधारकों के लिए अलग रखे गए हैं. साथ ही उन्हें शेयर की क़ीमत में 60 रुपए का डिस्काउंट या छूट भी दी जाएगी. जो शेयर आम निवेशकों को 902 से 949 रुपए के बीच मिलेंगे उन्हीं की क़ीमत पॉलिसीधारकों के लिए 842 से 889 रुपए तक ही होगी.

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पॉलिसीधारक को ये शेयर पाने के लिए क्या करना होगा?

एलआइसी काफ़ी समय से विज्ञापन देकर और एजेंटों के जरिए पॉलिसीहोल्डरों को बता रही थी कि उन्हें क्या करना है. सबसे ज़रूरी काम था कि आप अपनी पॉलिसी को अपने पैन कार्ड के साथ जोड़ लें. ताकि आप पॉलिसी होल्डर कोटे में अर्ज़ी लगा सकें.

22 अप्रैल तक पॉलिसी ख़रीदने वाले लोगों को ये मौक़ा मिल सकता था. हालांकि पुराने पॉलिसीधारकों को इससे पहले ही 28 फरवरी तक अपनी पॉलिसी और पैन को जोड़ने का काम पूरा करना था. एलआइसी चेयरमैन के अनुसार साढ़े छह करोड़ लोग अपनी पॉलिसी को पैन से जोड़ चुके हैं.

अगर ये लोग एक एक लॉट यानी 15-15 शेयरों के लिए भी अर्ज़ी लगाएंगे तो लगभग 100 करोड़ शेयरों की अर्ज़ी लग जाएंगी.

इसके बाद अब इन्हें आइपीओ का फ़ॉर्म भरते वक़्त ये बताना है कि वो पॉलिसीहोल्डर कोटे में अर्ज़ी लगा रहे हैं. उनका पैन नंबर इस बात की गवाही दे देगा कि वो पॉलिसीहोल्डर हैं.

शेयर मिलेंगे तो 60 रुपए सस्ते मिलेंगे और सीधे डीमैट अकाउंट में जाएंगे. इसलिए इनके पास डी मैट अकाउंट होना ज़रूरी है. अब तक न खोला हो तो वो आज भी खुल सकता है.

पॉलिसी कितनी बड़ी या छोटी है इससे तय होगा कि कितने शेयर मिलेंगे?

नहीं. पॉलिसी चाहे जितनी बड़ी या छोटी हो सबको सिर्फ़ इस कोटे में अर्ज़ी लगाने का मौक़ा मिलेगा. इसके बाद सबको बराबर मानकर अलॉटमेंट होगा.अगर कोटे से ज़्यादा शेयरों के लिए आवेदन आए तो फिर लॉटरी का फ़ॉर्मूला तय करके उसके आधार पर शेयर दिए जाएंगे.

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कम से कम कितने शेयरों के लिए अर्ज़ी लगाई जा सकती है?

पॉलिसीधारक हो या सामान्य व्यक्ति दोनों के लिए ही कम से कम एक लॉट यानी पंद्रह शेयरों की अर्ज़ी लगाना ज़रूरी है. इससे कम की अर्ज़ी नहीं लग सकती. पॉलिसीधारक कोटे में अधिकतम दो लाख रुपए की अर्ज़ी लगाई जा सकती है.

यानी अधिकतम 14 लॉट के लिए अर्ज़ी लग सकेगी. रीटेल में अर्ज़ी लगाने वाले सामान्य आवेदक भी कम से कम या ज़्यादा से ज़्यादा इतनी ही अर्ज़ी लगा पाएंगे.

अगर दो लाख रुपए से ज़्यादा की अर्ज़ी लगानी है तो फिर एचएनआई या हाइ नेटवर्थ इंडिविजुअल श्रेणी में लगेगी और उस कैटिगरी में ज़्यादा से ज़्यादा किसी भी रकम की अर्ज़ी लगाई जा सकती है.

क्या एक से ज़्यादा अर्ज़ी लगाना भी संभव है?

यूं आइपीओ में एक से ज़्यादा अर्ज़ी नहीं लगाई जा सकती है लेकिन एलआइसी के आइपीओ में पहली बार ये इंतजाम किया गया है कि पॉलिसीधारक एक ही पैन कार्ड का इस्तेमाल करके दो आवेदन कर सकते हैं. एक पॉलिसीहोल्डर कोटे में और एक सामान्य रूप से रिटेल या एचएनआइ कोटे में. जिन लोगों के पास एलआइसी पॉलिसी नहीं है या जिन्होंने अपनी पॉलिसी को पैन से नहीं जोड़ा है वो केवल एक ही अर्ज़ी लगा पाएंगे.

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आइपीओ में अर्ज़ी कब से कब तक लगाई जा सकती है?

एलआइसी का आइपीओ चार मई को खुल रहा है और नौ मई को बंद होगा. इसी बीच ये अर्ज़ी लगाई जा सकती है. आखिरी दिन अर्ज़ी लगानेवालों के ध्यान रखना चाहिए कि कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर एप्लिकेशन बंद होने का टाइम थोड़ा जल्दी खत्म हो जाता है इसलिए बेहतर होगा कि उस दिन बारह बजे के पहले ही ये काम निपटा लिया जाए.

एलआइसी के आइपीओ में अर्ज़ी लगाना फ़ायदेमंद है?

इस सवाल का जवाब हर आदमी के लिए अलग-अलग होगा. कंपनी लंबे समय में मुनाफ़े का कारोबार कर रही है. जिस भाव पर शेयर जारी हो रहे हैं वो अच्छा दिख रहा है. लेकिन बाज़ार में अनिश्चितता कब-क्या करवा दे पता नहीं. इसलिए ये फैसला हर निवेशक को अपने अध्ययन या अपने भरोसेमंद निवेश सलाहकार से बात करके ही करना चाहिए.

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Buying LIC Shares advantage or Disadvantage?
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