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कौन थे नानाजी देशमुख जिनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की तारीफ, जेपी की बचाई थी जान

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नई दिल्ली। आज देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख के जयंती के अवसर पर दोनों हस्तियों को याद किया। उन्होंने कहा कि लोकनायक और नानाजी जैसे लोगों ने अपना जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया लेकिन राजनीतिक पदों से हमेशा दूर रहे। उन्होंने पटना में जेपी और नानाजी देशमुख से जुड़े एक किस्से को भी लोगों को सुनाया।मोदी ने कहा कि जब भ्रष्टाचार के खिलाफ जयप्रकाश जी जंग लड़ रहे थे तो दिल्ली की सल्तनत में खलबली मच गयी। उन्हें रोकने के लिए षड्यंत्र होते थे। पटना के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में जेपी पर हमला हुआ। उनके बगल में नानाजी देशमुख खड़े थे। नानाजी ने अपने हाथों पर मृत्युदंड के रूप में आए प्रहार को झेल लिया। हाथ की हड्डियां टूट गई थी लेकिन नाना नहीं हटे। वो महान व्यक्ति थे। इसलिए चलिए जानते हैं नानाजी देशमुख के बारे में विस्तार से...

जीवन-परिचय

जीवन-परिचय

  • नानाजी देशमुख का पूरा नाम चंडिकादास अमृतराव देशमुख था।
  • इनका जन्म 11 अक्टूबर 1916 को हिंगोली जिले के कडोली नामक छोटे से कस्बे में मराठा परिवार हुआ था।
  • नानाजी का लंबा और घटनापूर्ण जीवन अभाव और संघर्षों में बीता।
  • लेकिन अभाव में जीने के बावजूद उन्होंने पिलानी के बिरला इंस्टीट्यूट से उच्च शिक्षा प्राप्त की।
  • अपनी शिक्षाप्राप्ति के लिए उन्हें सब्जी तक बेचनी पड़ी।
  • Recommended Video

    PM Modi to meet common people on the Birth anniversary of Nanaji Deshmukh Today | वनइंडिया हिंदी
    कार्यक्षेत्र राजस्थान और उत्तरप्रदेश

    कार्यक्षेत्र राजस्थान और उत्तरप्रदेश

    • 1930 में वे आरएसएस में शामिल हो गये।
    • उनका कार्यक्षेत्र राजस्थान और उत्तरप्रदेश ही रहा।
    • उनकी श्रद्धा देखकर आर.एस.एस. सरसंघचालक श्री गुरू जी ने उन्हें प्रचारक के रूप में गोरखपुर भेजा।
    • बाद में वे उत्तरप्रदेश के प्रान्त प्रचारक बने।
    • उत्तरप्रदेश की पहली गैर-कांग्रेसी सरकार

      उत्तरप्रदेश की पहली गैर-कांग्रेसी सरकार

      • 1967 में भारतीय जनसंघ संयुक्त विधायक दल का हिस्सा बन गया और चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में सरकार में शामिल भी हुआ।
      • नानाजी के चौधरी चरण सिंह और डॉ राम मनोहर लोहिया दोनों से ही अच्छे सम्बन्ध थे, इसलिए गठबन्धन निभाने में उन्होंने अहम भूमिका निभायी।
      • उत्तरप्रदेश की पहली गैर-कांग्रेसी सरकार के गठन में विभिन्न राजनीतिक दलों को एकजुट करने में नानाजी जी का योगदान अद्भुत रहा।
      • जयप्रकाश नारायण की जान नाना ने बचाई

        जयप्रकाश नारायण की जान नाना ने बचाई

        • नानाजी, विनोबा भावे के भूदान आन्दोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुए।
        • दो महीनों तक वे विनोबाजी के साथ रहे। वे उनके आन्दोलन से अत्यधिक प्रभावित हुए।
        • जेपी आन्दोलन में जब जयप्रकाश नारायण पर पुलिस ने लाठियाँ बरसायीं उस समय नानाजी ने जयप्रकाश को सुरक्षित निकाल लिया था और इसी वजह से पीएम ने आज उन्हें याद किया है।
        • भारत का पहला ग्रामीण विश्वविद्यालय

          भारत का पहला ग्रामीण विश्वविद्यालय

          1980 में साठ साल की उम्र में उन्होंने सक्रिय राजनीति से सन्यास लेकर आदर्श की स्थापना की। बाद में उन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक और रचनात्मक कार्यों में लगा दिया। वे आश्रमों में रहे और कभी अपना प्रचार नहीं किया। उन्होंने दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की और उसमें रहकर समाज-सेवा की। उन्होंने चित्रकूट में चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना की। यह भारत का पहला ग्रामीण विश्वविद्यालय है और वे इसके पहले कुलाधिपति थे। 1999 में एनडीए सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सांसद बनाया। उन्होंने अपने जीवन का अंतिम वक्त चित्रकूट में बिताया और यहीं पर 27 फ़रवरी 2010 को इन्होंने अंतिम सांस ली।

English summary
PM Narendra Modi Shares His Thoughts On The Birth Anniversary Of Nanaji Deshmukh Or Jayprakash Narayan, Here is Social Worker Nanaji Deshmukh profile in hindi.
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