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Ujjain : सुजलाम जल सम्मेलन में शामिल हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत, कही ये बड़ी बात

धार्मिक नगरी उज्जैन में आगामी 27 से 29 दिसंबर तक सुजलाम नामक सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जिसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल हुए.

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उज्जैन: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया जल स्तंभ का अनावरण

पंच महाभूत की अवधारणा पर पर्यावरण का देशज विमर्श स्थापित करने हेतु इन्दौर रोड स्थित मालगुड़ी डेज रिसोर्ट में अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के सारस्वत सत्र को सम्बोधित करते हुए सर-संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि, पंच महाभूतों में पैदा हुए असंतुलन से उत्पन्न विकृतियों के संकट से उभरना आवश्यक है। हमें किसी भी तरह जल का अनादर न करना चाहिये। हमारी प्रकृति का सम्मान हो और इसकी सदैव पूजा की जाना चाहिये। जल का विषय गंभीर है और हमें इस बात की प्रमाणिकता से लोगों को अवगत कराना होगा। अपनी-अपनी शक्ति अनुसार पंच महाभूतों पर अलग-अलग स्थानों पर कार्य करना आवश्यक है। हमारी भारतीय संस्कृति एकात्मवादी है। देश में जल के संकट होने से विचार-विमर्श करने हेतु संगोष्ठियां आयोजित की जा रही है। इस संकट से उबरने के लिये हमें अपने-अपने स्तर से उपाय ढूंढना जरूरी है।

आचरण में सुधार लाना जरूरी है

इसके साथ ही उन्होंने कहा की, मनुष्य ने प्रकृति पर विजय पाने की कोशिश करते रहने से पंच महाभूतों पर संकट आने लगा है। मनुष्य में अहंकार नहीं आना चाहिये। हमें पहले अपने आप में शुद्ध होकर प्रकृति को बचाने की हर प्रकार से कोशिश करना चाहिये। चाहे हमारी खेती के धंधे की पद्धति में बदलाव ही क्यों न करना पड़े। हमें अधिक से अधिक जैविक खेती करने की आवश्यकता है। प्रकृति का सम्मान करना आवश्यक है। इसका अंधाधुंध दोहन करें। पंच महाभूतों की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से पूजा करना आवश्यक है। पंच महाभूतों पर नियंत्रण कर हमारे स्वभाव को बदलकर उनकी रक्षा की जाना चाहिये। हमें इस दिशा में प्रयत्न करना चाहिये। उन्होंने सतत शोधन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। जल का भण्डारण अधिक से अधिक धरती पर किया जाये। हमारे आचरण में सुधार लाना जरूरी है। पंच महाभूत को भारतीय संस्कृति में एकात्मवादी होना आवश्यक है। पानी की खपत कैसे कम हो, कम पानी में हमारा काम हो, इस पर जोर देना जरूरी है।

व्यवहार में परिवर्तन लाना भी आवश्यक है

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि, हमारे देश में हमारी सभ्यता को बचाने के लिये ऋषि-मुनियों ने समय-समय पर अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पंच महाभूत को धरातल पर लाने के लिये अलग-अलग देश में संगोष्ठियां आयोजित की जा रही है। जल का संचय, इसका उपयोग और उपभोग की पद्धति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पंच महाभूत को बचाने के लिये समय-समय पर सरकार तो अपना कार्य कर ही रही है, परन्तु इसमें सबकी जागरूकता और सबकी सहभागिता और जन-भागीदारी भी होना जरूरी है। हमारे व्यवहार में परिवर्तन लाना भी आवश्यक है। हमारी पहली पाठशाला हमारा परिवार है। इसके बाद शिक्षा पद्धति से भी व्यक्ति बहुत कुछ सीखता है। इसी के साथ धर्मगुरू, सामाजिक संस्थाएं भी अपने-अपने ढंग से पंच महाभूतों पर कार्य कर रही है। आने वाले समय में जल की उपलब्धता बाधित न हो, इस प्रकार से हम सब मिलकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि पंच महाभूतों की अवधारणा हमारे देश में ही विकसित हुई है।

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English summary
Sujalam Conference, Rss chief Mohan Bhagwat, Ujjain, Madhya Pradesh
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