क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

राज्य तैयार कर सकेंगे ओबीसी की सूची, लोकसभा में बिल पास

Google Oneindia News

नई दिल्ली, 11 अगस्त। लोकसभा ने मंगलवार को एक विधेयक पारित किया, जो कानून बनने पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अन्य पिछड़े समुदायों (ओबीसी) की अपनी सूची तैयार करने की अनुमति देगा. ओबीसी से संबंधित 127वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से पारित हुआ.

Provided by Deutsche Welle

मोदी सरकार के इस विधेयक का कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी समेत पूरे विपक्ष ने समर्थन किया. बिल के पास हो जाने के बाद राज्य अपने हिसाब से ओबीसी की सूची तैयार कर पाएंगे. बिल में राज्यों को अधिकार दिया गया है कि वे किसे इस सूची में जगह दें.

संसद के 385 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया जबकि किसी सदस्य ने इसका विरोध नहीं किया.

लोकसभा में केंद्र सरकार ने सोमवार को ही "अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021" पेश किया था. इस विधेयक पर मंगलवार को चर्चा शुरू हुई. विपक्ष ने भी एक मत होकर इस विधेयक का समर्थन किया. इस वजह से विधेयक के खिलाफ एक भी वोट नहीं पड़ा.

इस विधेयक को लेकर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि हर राज्य पिछड़े वर्गों की सूची बना सकता है और उसे बनाए रख सकता है. इस संशोधन से नियुक्ति के लिए अपनी ओबीसी सूची राज्य तैयार कर सकेंगे.

राज्य सभा में आज पेश होगा बिल

किसानों के विरोध और कथित पेगासस जासूसी मामले समेत कई मुद्दों पर केंद्र को निशाना बनाने वाले विपक्षी दलों ने बिल का समर्थन किया. लोकसभा में अहम मुद्दों पर विरोध करने के बजाय इस पर समर्थन दिया गया.

दोनों सदनों से इस विधेयक के पास होने के बाद राज्यों और केंद्र शासित प्रदशों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची तैयार करने का अधिकार मिलेगा. यह अधिकार अभी तक केंद्र के पास है.

जरूरत क्यों पड़ी

सुप्रीम कोर्ट ने मई में आरक्षण पर पुर्नविचार से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई करने की मांग खारिज करते हुए कहा था कि 102वें संविधान संशोधन के बाद ओबीसी की सूची बनाने का अधिकार राज्यों के पास नहीं, बल्कि केंद्र के पास है. और इसी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठों को ओबीसी में शामिल कर आरक्षण देने के फैसले पर भी रोक लगा दी थी.

इसके बाद केंद्र सरकार ने ओबीसी सूची तय करने का अधिकार राज्यों को देने के लिए 127वां संविधान संशोधन विधेयक लाने की पहल की.

अलग-अलग जातियों की मांग

हरियाणा में जाट, महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पटेल, कर्नाटक में लिंगायत जाति के लोग लंबे समय से आरक्षण की मांग करते आए हैं. कई राज्यों में आरक्षण की मांग को लेकर उग्र आंदोलन तक हुए हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट इंदिरा साहनी केस के फैसले में कह चुका है कि नौकरी और शिक्षा में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है. साल 2019 में केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को 50 फीसदी के कोटे से अलग 10 फीसदी आरक्षण दिया था.

बिल पास हो जाने के बाद राज्यों को नई जातियों को अन्‍य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का अधिकार तो मिल जाएगा लेकिन आरक्षण सीमा 50 फीसदी ही है. राज्यों की मांग है कि 50 फीसदी की सीमा भी खत्म कर दी जाए.

कुछ ऐसे भी राज्य हैं जो 50 फीसदी से अधिक आरक्षण दे रहे हैं, उन्होंने इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन, मोस्ट बैकवर्ड क्लास यानी एमबीसी को मिलाकर आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक पहुंचा दी है.

Source: DW

Comments
English summary
lok sabha clears bill restoring states rights to specify obc groups
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X