स्वीडन की जीडीपी जितना एक हफ़्ते में चीन का डूबा पैसा
चीन और अमरीका के बीच ट्रेड वॉर का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. चीन के शेयर मार्केट में इस ट्रेड वॉर की वजह से भारी उठापटक है.
जनवरी की तुलना में शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में 19 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज़ की गई है. शुक्रवार को यह 2,889.76 के अंक पर बंद हुआ. चीन के शेयर बाज़ार में लोग डर से शेयर बेच रहे हैं और ख़रीद नहीं रहे हैं.
चीन और अमरीका के बीच ट्रेड वॉर का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. चीन के शेयर मार्केट में इस ट्रेड वॉर की वजह से भारी उठापटक है.
जनवरी की तुलना में शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में 19 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज़ की गई है. शुक्रवार को यह 2,889.76 के अंक पर बंद हुआ. चीन के शेयर बाज़ार में लोग डर से शेयर बेच रहे हैं और ख़रीद नहीं रहे हैं.
चीन के शेयर मार्केट में ऐसी उठापटक 2015 के बाद पहली बार देखने को मिल रही है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार चीनी शेयर बाज़ार में इस हफ़्ते 514 अरब डॉलर का नुक़सान हो चुका है जो कि स्वीडन की अर्थव्यवस्था के बराबर है.
यह नुक़सान अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की 200 अरब डॉलर के अतिरिक्त शुल्क लगाने की चेतावनी के बाद हुआ है. ट्रंप ने यह चेतावनी चीन के पलटवार की धमकियों के बीच दी है.
शंघाई कंपोजिट में पिछले दो सालों में 34 फ़ीसदी की मज़बूती आई थी. यह मज़बूती बड़ी कंपनियों के मुनाफ़े कारण आई थी. कई एजेंसियों का कहना है कि चीनी शेयर बाज़ार, ट्रेड वॉर और पूंजी की कमी के दोहरे मार से जूझ रहा है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार ट्रेड वॉर की वजह चीनी शेयर बाज़ार पर विदेशी निवेशकों का भरोसा डगमगाया है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार विदेशी निवेशकों ने 306.3 अरब युआन के शेयर मंगलवार को बेचे और गुरुवार को 834.2 मिलियन युआन के शेयर बेचे गए.
वहीं ख़रीदारी में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई. शघाई कंपोजिट में भारी गिरावट के कारण इसका शुमार दुनिया के कमज़ोर शेयर बाज़ार के तौर पर किया रहा है. ब्लूमबर्ग का कहना है कि अमरीका से ट्रेड वॉर की आशंका के कारण निवेशकों में डर का माहौल है.
दुनिया भर के विश्लेषकों का कहना है कि अमरीका के साथ कारोबारी जंग में चीन को ज़्यादा नुक़सान उठाना होगा. चीन कह तो रहा है कि वो अमरीका को जवाब देगा, लेकिन उसके कहने भर से शेयर बाज़ार में निवेशकों का भरोसा नहीं लौट रहा है.
हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि आने वाले हफ़्तों में अमरीकी शेयर बाज़ार में भी इसका असर साफ़ दिख सकता है.
कई विशेषज्ञों का मानना है कि अमरीका की तरफ़ से शुरू की गई यह जंग शीत युद्ध के हालात पैदा कर सकती है. चीन और अमरीका दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और अगर दोनों के बीच तनाव लंबे समय तक जारी रहा तो इससे दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित होंगी.
शुक्रवार को जापनी स्टॉक मार्केट निक्केई में भी 1.1 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
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वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक़ वियतनाम और फिलीपींस के शेयर बाज़ार में भी भारी उठापटक की स्थिति है. निक्केई एशियन रिव्यू के अनुसार अमरीका ने जब से स्टील और एल्यूमीनिम पर अतिरिक्त शुल्क की घोषणा की तब से दुनिया भर के शेयर बाज़ार में 78 ख़रब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है.
मसला केवल चीन और अमरीका का नहीं है बल्कि ट्रंप का रुख़ यूरोप के देशों के साथ भी वैसा ही है. ट्रंप ने यूरोप की ऑटो इंडस्ट्री पर 20 फ़ीसदी टैक्स लगाने की चेतावनी दी है और इसके जवाब में यूरोप ने कई अमरीकी सामानों पर आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा कर दी.
निक्केई एशियन रिव्यू का कहना है कि इस ट्रेड वॉर में क्रिया और प्रतिक्रिया का सिलसिला अभी नहीं थमेगा. दुनिया भर की कंपनिया अनिश्चित व्यापार नीति से जूझ रही हैं. शुक्रवार को सिंगापुर की कई कंपनियों के शेयर भी औंधे मुंह गिरे. फिलीपींस के शेयर बाज़ार पीएसईआई में फ़रवरी की तुलना में 18 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.