अखबारों के शीर्षक सुर्खियों में आ गए, जब सुबह देवेंद्र फड़णवीस बन गए महाराष्ट्र के सीएम!
बेंगलुरू। प्रिंट पत्रकारिता के इतिहास में शायद यह पहला मौका था जब देश और दुनिया के अखबारों के शीर्षक सुर्खियों में आ गए। शनिवार को संस्करण में हिंदी, अंग्रेजी और विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में छपे अखबारों के शीर्षक पाठकों का मुंह चिढ़ा रहे थे, क्योंकि अखबारों के शीर्षक महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के रूप में शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे को पेश कर रही थीं जबकि सुबह के 7-8 के बीच देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र में बतौर मुख्यमंत्री की शपथ ले चुके थे।
यह पहला मौका था जब अखबारों की विश्वसनीयता खतरे में थी, क्योंकि अखबारों की शीर्षक पढ़कर चौराहे पर उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री बताने पर पाठकों का शर्मिंदा होना तय था। भला हो कि मौजूदा दौर में लोगों के हाथों में स्मार्टफोन हैं और लोग सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं वरना फजीहत होनी तय थी।
क्योंकि आज भी प्रिंट मीडिया यानी न्यूजपेपर्स में छपी खबरों की विश्वसनीयता दूसरे अन्य मीडियम की तुलना में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है, लेकिन शनिवार सुबह चाय की चुस्की के साथ अखबारों में खबरें पढ़ रहा पाठक जरूर कंफ्यूज हो गया होगा। उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री बनाते अखबारों की शीर्षकों ने उसकी विश्वसनीयता पर आघात पहुंचाने के लिए काफी थी।
महाराष्ट्र की राजनीति में रातों-रात बदला घटनाक्रम सभी को चौंका दिया था। क्योंकि शुक्रवार रात 12 बजे तक पाठक ही नहीं, अखबारों के संपादक भी आश्वस्त थे कि तब तक महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन सरकार की कवायद ही चल रही थी और शनिवार को ग्रैंड एलायंस राज्यपाल से मिलने वाली थी और बीजेपी और एनसीपी फिगर में ही नहीं थी।
चूंकि शुक्रवार रात 12 बजे तक बीजेपी और एनसीपी गठबंधन वाली सरकार की सुगबुगाहट किसी को नहीं थी और न ही कोई ऐसा कुछ संभावित था। अखबारों को चाय की चुस्कियों के साथ पढ़ने के अभ्यस्त पाठक भी महाराष्ट्र में सरकार गठन के डवलेपमेंट को लेकर आशंकित नहीं था, लेकिन ऐसा पहली बार हुा जब सुबह-सुबह के अखबारों के शीर्षक ने पाठकों को झटका दे दिया।
क्योंकि अखबारों में खबरों की तह तक पहुंचने को आतुर पाठक तब तक सोशल मीडिया और गूगल न्यूज के जरिए महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री पद शपथ लेने की खबरें वायरल हो चुकीं थी। इतना ही नहीं, न्यूजपेपर का पाठक एनसीपी और बीजेपी गठबंधन को लेकर भी अचंभित थी।
गौरतलब है शुक्रवार तक शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच बैठकों का दौर चल रहा था और तीनों दलों में महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर आम राय लगभग बन चुकी थी। अखबारों ने भी शुक्रवार देर रात तक हुए इन्हीं डवलेपमेंट के मद्देनजर अपने शीर्षक बनाए, लेकिन रातों-रात महाराष्ट्र में बदले घटनाक्रम ने अखबारों की शीर्षकों को अप्रसांगिक बना दिया।
निः संदेह ऐसा पहली बार हुआ जब अखबारों की न्यूज स्टोरी नहीं, बल्कि शीर्षक सुर्खियों में आ गए। पाठकों को ऐसा लगा जैसे वो एक दिन पुराना अखबार उनके हाथ में आ गया हो, क्योंकि सूचना क्रांति के विभिन्न माध्यमों से पाठक महाराष्ट्र में हुए ताजा डवलेपमेंट से अपडेट हो चुके थे।
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आइए देखते हैं शनिवार को हिंदी और अंग्रेजी अखबारों में छपे अप्रसांगिक हो चुके कुछ शीर्षक-
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने उद्धव ठाकरे बताया सीएम
महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद में बीजेपी और एनसीपी शनिवार देर रात तक दूर-दूर तक फिगर में नहीं थी और रातों-रात हुए नाटकीय बदलाव से अंजान टाइम्स ऑफ इंडिया एडीटोरियल ने एनसीपी चीफ शरद पवार को उस बयान को शीर्षक बना दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि शिवसेना अब रिमोट छोड़कर महाराष्ट्र को सीधे कंट्रोल करेगी। लेकिन सुबह तक यह शीर्षक पाठकों के लिए बेमानी हो चुकी थी।
टेलीग्राफ ने शीर्षक दिया, उद्धव के लिए मील का पत्थर की सवारी!
अपनी अजीबोगरीब शीर्षक के लिए मशहूर पश्चिम बंगाल की अग्रणी अंग्रेजी न्यूजपेपर द टेलीग्राफ ने उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र के अगले सीएम के रूप में शीर्षक बनाया था, लेकिन अगले दिन शीर्षको अप्रसांगिक हो चुकी थी, क्योंकि एनसीपी और बीजेपी गठबंधन सरकार अखबार घरों में पहुंचने से पहले ही शपथ ले चुकी थी।
HT का शीर्षक था, उद्धव 5 वर्ष के लिए होंगे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री
महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना को गठबंधन को लेकर शुक्रवार तक कोई ऊहापोह नहीं था, क्योंकि शिवसेना और बाकी दलों के बीच केवल रस्साकसी रोटेशनल मुख्यमंत्री को लेकर बात चल रही थी, लेकिन शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को पांच वर्ष तक महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने का बयान देकर तस्वीर साफ कर दी थी, लेकिन तब भी एचटी एडीटोरियल ने सीधे न लिखकर गठबंधन के हवाले से शीर्षक बनाकर फजीहत से बच गई।
साउथ अंग्रेजी अखबार का शीर्षक था उद्धव सीएम पद के नजदीक
दक्षिण भारत की अग्रणी अंग्रेजी अखबार डेक्कन हेरल्ड ने भी अपने शीर्षक में उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र का अगला सीएम बनाने में सावधानी बरती और फजीहत से खुद को बचाने में कामयाब हुई। डेक्कन हेरल्ड ने कहा कि उद्धव ठाकरे सीएम की कुर्सी के नजदीक हैं जबकि अधिकांश अखबारों ने उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र का अगला सीएम घोषित कर दिया था।
टाइम्स समूह का हिंदी अखबार ने लिखा, अब ठाकरे सरकार
टाइम्स समूह का हिंदी अखबार नव भारत टाइम्स के दिल्ली संस्करण में महाराष्ट्र के अगले सीएम के रूप में उद्धव ठाकरे का नाम सुनिश्चित कर दिया था। उनके शीर्षक को देखकर लगा कि अब उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र का शासन शुरू हो जाएगा, लेकिन सुबह जब पाठकों ने उनका शीर्षक पढ़ा और न्यूज अपडेट देखा तो शॉक रह गए थे।
हिंदुस्तान हिंदी का शीर्षक भी उद्धव को मुख्यमंत्री बना चुकी थी
हिन्दुस्तान हिंदी दैनिक के दिल्ली संस्करण में भी उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया गया। हालांकि अखबार ने शीर्षक बनाने में थोड़ी चतुराई बरती और उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र का अगला सीएम बोलने के बजाय बस इतना कहा कि उद्धव के नाम पर गठबंधन में सहमति बन गई है, जिसका मतलब था कि उद्धव होंगे महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री।
राष्ट्रीय सहारा अखबार के शीर्षक में भी उद्धव बने सीएम
सहारा समूह के हिंदी अखबार राष्ट्रीय सहारा में भी उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र को अगला मुख्यमंत्री बताया गया। उनके शीर्षक में सीधे-सीधे कुछ नहीं लिखा गया, लेकिन यह स्पष्ट हो गया कि सहारा का एडीटोरियल मान चुका है कि कांग्रेस, एनसीपी और शिनसेना गठबंधन का अगले सीएम उद्धव ठाकरें होंगे।
दैनिक जागरण का शीर्षक था, उद्धव होंगे महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री
हिंदी न्यूजपेपर में अग्रणी दैनिक जागरण ने बिना किसी लाग लपेट के अपने शीर्षक बनाया कि महाराष्ट्र में सब सेट हो चुका है और अब उद्धव ठाकरे ही होंगे महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री। शीर्षक में यह भी जोड़ दिया गया कि कांग्रेस और एनसीपी को मुख्यमंत्री बनाने में कोई एतराज नहीं है जबकि सुबह यह शीर्षक हंसी का पात्र बन चुकी थी।
राजस्थान पत्रिका ने लिखा, उद्धव पांच साल तक होंगे महाराष्ट्र के सीएम
राजस्थान पत्रिका ने अपने महाराष्ट्र संस्करण में महाराष्ट्र को न केवल महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना डाला बल्कि उद्धव को पांच वर्ष की कमान भी सौंप दी। हालांकि पत्रिका के एडीटोरियल ने चतुराई कि उन्होंने ने एनसीपी चीफ शरद पवार का नाम शीर्षक के आगे जोड़ दिया, जिससे शीर्षक वरडिक्ट बनने से बच गई।